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उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से कुछ सुकून, तो चिंताएं भी बढ़ीं; जानिए

जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से यह तस्वीर कुछ सुकून देने वाली है। बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू भी है

By Edited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:14 PM (IST)
उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से कुछ सुकून, तो चिंताएं भी बढ़ीं; जानिए
उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से कुछ सुकून, तो चिंताएं भी बढ़ीं; जानिए

देहरादून, केदार दत्त। कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 71.05 फीसद वन भूभाग और इसमें 45.44 फीसद वनावरण। प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र भी 0.375 हेक्टेयर। जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में हरियाली के लिहाज से यह तस्वीर कुछ सुकून देने वाली है। बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। राज्य गठन के बाद से अब तक की अवधि को देखें तो प्रतिवर्ष जिस हिसाब से जंगलों में पौधरोपण हो रहा, उसके अनुरूप वनावरण नहीं बढ़ पाया है। यह चिंता हर किसी को साल रही है। 

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उत्तराखंड में प्रतिवर्ष वर्षाकाल में करोड़ों की संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण होता है। अकेले वन विभाग की ओर से जंगलों में होने वाले वर्षाकालीन पौधरोपण को ही लें तो प्रतिवर्ष डेढ़ से दो करोड़ पौधे लगाए जा रहे। इस वर्ष 1.79 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। इस परिदृश्य के बीच पिछले 20 वर्षों को देखें तो अब तक रोपे गए 30 से 40 करोड़ पौधे पेड़ों का आकार ले चुके होते, मगर ऐसा नहीं है। भारतीय वन सर्वेक्षण की 2019 की रिपोर्ट भी उत्तराखंड में वनों के संबंध में कुछ सकारात्मक संकेतों के साथ ही भविष्य की चुनौतियों की तरफ भी इशारा करती है। रिपोर्ट बताती है कि 2017 के मुकाबले राज्य के वनावरण में थोड़ा इजाफा हुआ, लेकिन चमोली, पौड़ी जिलों में वनावरण की बढ़ोतरी न्यून रही है। 

हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों में भी वनावरण में 13.4 फीसद की कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार आबादी के नजदीकी क्षेत्रों में मध्यम सघन वनों में कमी आई है। विकास कार्यों की पूर्ति के लिए सर्वाधिक दबाव इन्हीं क्षेत्रों पर है। तस्वीर से साफ है कि वनावरण बढ़ाने के लिए पौधरोपण को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत है। प्रदेश के सेवानिवृत्त प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.आरबीएस रावत भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। वह कहते हैं कि संख्यात्मक रूप से पौधरोपण की बजाए लक्ष्य कम रखकर रोपित पौधों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की दरकार है। साथ ही पौधों के चयन में भी खास सतर्कता बरतनी होगी। इससे गुणात्मक रूप में अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

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प्रदेश में वन क्षेत्र (वर्ग किमी में) 

राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल, 53483 

वन विभाग के अधीन क्षेत्र, 25863.18 

राजस्व विभाग के अधीन, 4768.704 

वन पंचायतों के अधीन, 7168.502 

निजी और संस्थाओं के अधीन, 156.444

-71.05 फीसद है कुल वन भूभाग 

-24295 वर्ग किमी वनाच्छादित क्षेत्र 

-45.44 फीसद भौगोलिक क्षेत्र के सापेक्ष वन क्षेत्र

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