485 करोड़ की क्रिप्टो करेंसी का मालिक था शकूर, पासवर्ड के लिए दोस्तों ने की हत्या
केरल निवासी अब्दुल शकूर 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी का मालिक था। यह बात उसके ग्रुप के करीब दस दोस्तों को पता थी। पासवर्ड जानने के लिए दोस्तों ने यातनाएं देकर उसकी हत्या की।
देहरादून, जेएनएन। केरल निवासी अब्दुल शकूर 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी का मालिक था। यह बात उसके ग्रुप के करीब दस दोस्तों को पता थी। दो साल पहले शकूर ने अकाउंट हैक होने की बात फैलाई, तो जिन लोगों ने उसके जरिए क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रखा था, वह रकम वापस लेने का दबाव बनाने लगे थे। इस पर शकूर भूमिगत हो गया।
उसके दोस्तों को मालूम था कि शकूर को बिजनेस में घाटा तो हुआ है, लेकिन अभी भी उसके पास करीब 485 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी है। यही उसकी जान का दुश्मन बना। क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड जानने के लिए दोस्त उसे घुमाने के बहाने देहरादून लेकर आए। यहां पासवर्ड जानने के लिए उसे इतनी भयंकर यातनाएं दीं कि उसकी मौत हो गई।
दोस्तों को अहसास नहीं था कि शकूर मर गया। दोस्त उसे लेकर सीएमआइ पहुंचे, वहां चिकित्सकों ने मृत घोषित किया तो फिर शकूर के शव को लेकर मैक्स गए। जब वहां भी शकूर के मरने पुष्टि हुई तो सभी उसके शव और गाड़ी को छोड़ कर फरार हो गए।
पुलिस ने पांच दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि फरार पांच अन्य दोस्तों की तलाश में टीम दिल्ली से लेकर केरल तक दबिश दे रही है। मामले में प्रेमनगर थाने में सभी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
सनसनीखेज अब्दुल शकूर हत्याकांड का खुलासा करते हुए एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि अब्दुल शकूर की हत्या क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन को लेकर ही की गई है। शकूर तीन-चार साल से क्रिप्टो करेंसी में लोगों से निवेश कराता था। इसके लिए कोर ग्रुप बना रखा था। कोर ग्रुप में रिहाब, अरशद, आसिफ व मुनीफ शामिल थे।
कोर ग्रुप के सदस्यों ने भी अपनी टीम बना रखी थी। इस टीम में आशिक, सुफेल, आफताब, फारिस ममनून, अरविंद सी व आसिफ शामिल थे। यह टीम क्रिप्टो करेंसी में निवेश के लिए बिचौलिए का काम करती थी। आशिक शकूर का बचपन का दोस्त था। शुरुआती दिनों में सब ठीक चलता रहा और क्रिप्टो करेंसी में हजारों लोगों से निवेश कराकर शकूर 24 साल की उम्र में ही साइबर बिजनेसमैन बन गया।
करीब दो साल पहले उसे क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन में घाटा हो गया। इससे वह निवेशकों के पैसे लौटाने की स्थिति में नहीं रहा। निवेशकों को बताया कि क्रिप्टो करेंसी के लिए बनाया गया उसका अकाउंट हैक हो गया है और वह उसे ठीक करा रहा है। निवेशकों ने तो उसकी बातों पर यकीन कर लिया, लेकिन उसके दोस्त आशिक को हकीकत मालूम थी। वह जानता था कि शकूर झूठ बोल रहा है। उसका अकाउंट हैक नहीं हुआ है। कारोबार में घाटा हुआ है, मगर अभी भी उसके पास करीब 485 करोड़ की क्रिप्टो करेंसी पड़ी है।
इधर, शकूर निवेशकों से बचने के लिए भूमिगत हो गया, लेकिन कोर ग्रुप के संपर्क में बना रहा। जिन लोगों ने आशिक और कोर गु्रप के सदस्यों के जरिए निवेश किया था, वह इन सब पर दबाव बढ़ाने लगे थे और मुकदमा दर्ज कराने की धमकी तक देने लगे थे। इस पर आशिक शकूर से क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड पता करने की जुगत में लग गया।
एसएसपी ने बताया कि वारदात में शामिल फारिस ममनून पुत्र अब्दुल्ला अबुलन निवासी शबाना मंजिल करूवंबरम मंजीरी मल्लपुरम केरल, अरविंद सी पुत्र रविचंद्रन निवासी चेन्निक कठहोडी मंजीरी मल्लपुरम, आसिफ पुत्र शौकत अली पी व व आफताब मोहम्मद पुत्र सादिक निवासी पलाई पुथनकलइथिल मंजीरी, सुफेल मुख्तार पुत्र मो. अली निवासी पुथईकलम पलपत्ता केरल को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, आशिक निवासी निल्लीपुरम, अरशद निवासी वेंगरा, यासीन, रिहाब व मुनीफ निवासी मंजीरी मल्लपुरम फरार हैं। तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं।
कोर ग्रुप ने रची दून लाने की साजिश
आशिक ने पहले अपने ग्रुप के सदस्यों आफताब, आसिफ, फरासी, सुहेल व अरविंद को साजिश में शामिल किया। आशिक ने कहा कि अगर वह शकूर से क्रिप्टो करेंसी का पासवर्ड पता कर लें तो वह रातोंरात करोड़ों के मालिक हो जाएंगे। तीनों दोस्तों के राजी होने के बाद आशिक ने केरल से प्रेमनगर के बीएफआइटी में बीटेक की पढ़ाई करने आए यासीन निवासी मंजीरी मल्लपुरम से संपर्क किया।
यासीन आशिक और शकूर दोनों का ही जिगरी दोस्त था। उसने यासीन से कहा कि वह प्रेमनगर में कहीं एकांत में कमरा दिला दे, वह कुछ दिन के लिए वहां रहने आ रहा है। यासीन ने केरल मूल के ही अपने दोस्त के माध्यम से मांडूवाला में कमरा दिला दिया। तय योजना के तहत आशिक व उसके दोस्त 12 अगस्त की रात क्रेटा गाड़ी से देहरादून पहुंचे। बाद में कोर ग्रुप के मेंबर अरशद, मुनीफ और रिहाब भी देहरादून आ गए।
कोर ग्रुप के सदस्यों को दून आकर पता चली योजना
आशिक के टीम मेंबर तो उसकी योजना जानते थे, लेकिन कोर ग्रुप के मेंबर अरशद, मुनीफ और रिहाब को बाद में योजना में शामिल किया गया। आशिक की प्लानिंग थी कि यदि यह तीनों उसकी योजना में शामिल नहीं होते हैं तो शकूर के साथ इन तीनों को भी बंधक बना लेंगे। मगर आशिक की योजना सुनने के बाद इन तीनों के भी मन में लालच आ गया। इस पर सभी ने शकूर के हाथ-पैर बांधकर मुंह पर टेप चिपका दिया और पिटाई कर उस पर पासवर्ड बताने का दबाव बनाने लगे।
पोस्टमार्टम में मिले 11 गहरे घाव
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शकूर के शरीर पर 11 तरह की चोटों के निशान मिले हैं। पुलिस को मांडूवाला में कमरे की तलाशी में खून से सना चाकू, पेचकस और खून से सने कपड़े बरामद हुए हैं, वहीं कई अधजली सिगरेट भी मिली हैं। माना जा रहा है कि कभी पेचकस घोंपकर तो कभी चाकू से कलाई काट कर तो कभी सिगरेट से जलाकर शकूर को यातनाएं दी गई।
खुद की करेंसी लांच करने की थी तैयारी
अब्दूल शकूर अपनी खुद की क्रिप्टो करेंसी लांच करने की तैयारी में था। उसने क्रिप्टो करेंसी का नाम भी सोच रखा था। माना जा रहा है, वह पूर्व में एकत्रित क्रिप्टो करेंसी को अपनी इसी क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना चाह रहा था।
अब्दुल शकूर और उसके सभी दोस्त बीटेक-एमटेक हैं और सभी साइबर दुनिया के महारथी भी हैं। क्रिप्टो करेंसी के कारोबार में उतरने के बाद शकूर और उसके दोस्तों की लाइफ स्टाइल ही बदल गई थी। केरल में वह किसी सेलेब्रिटी की तरह रहता था।
शकूर जानता था कि भारत में क्रिप्टो करेंसी भले ही बैन हो, मगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई देशों में अभी क्रिप्टो करेंसी मान्य है और आने वाला समय क्रिप्टो करेंसी का ही है। वह पहले क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रहा था, लेकिन वह क्रिप्टो मास नाम से अपनी क्रिप्टो करेंसी लांच करना चाहता था। यह बात उसके दोस्तों को भी मालूम थीं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का पूरा कंट्रोल शकूर के ही हाथ में होने की वजह सभी उसके ही इशारे पर चलते थे।
ऑटो चालक ने दिए अहम सुराग
शकूर के शव को मैक्स अस्पताल में छोडऩे के बाद उसके दोस्तों ने फरार होने के लिए जिस ऑटो को हायर किया था। पुलिस उस तक पहुंचने में कामयाब हो गई थी। इस ऑटो चालक से पुलिस को यह सुराग मिला कि वह सभी मांडूवाला की ओर जाना चाह रहे थे, लेकिन बल्लूपुर से वापस रेलवे स्टेशन आ गए। यहां सभी रात भर छिपे रहे, सुबह आइएसबीटी पहुंचे और दिल्ली के लिए निकल पड़े।
इस बीच पुलिस ने ऑटो चालक की निशानदेही पर प्रेमनगर में पढऩे वाले दक्षिण भारत के कई छात्रों को पूछताछ के लिए उठा लिया, लेकिन बाद में क्रेटा गाड़ी से मिले दस्तावेज से जब सभी की पहचान हो गई तो पुलिस मांडूवाला में उस कमरे तक पहुंच गई, जहां शकूर को बंधक बनाया गया था। लोकेशन ट्रेस कर पुलिस आइएसबीटी पहुंची और पांच को दबोच लिया।
क्रिप्टो करेंसी बिट क्वाइन
क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है, जो कंप्यूटर प्रोग्राम पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी सरकार या संस्था के नियंत्रण में नहीं होती। अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह इसका संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने में किया जा सकता है।
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दस साल पहले शुरू हुई थी क्रिप्टो करेंसी
क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी, तब इसे बिट क्वाइन नाम दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में वैसे तो कई क्रिप्टो करेंसी अभी भी चलन में है, लेकिन बिट क्वाइन अभी भी सबसे चर्चित है। भारत में क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से बैन है। शुरूआत में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, मगर धीरे-धीरे इसकी मांग इतनी बढ़ गई कि वर्तमान में एक बिट क्वाइन की कीमत सात से आठ लाख रुपये तक पहुंच गई है।
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खुलासे में शामिल टीम
एसपी सिटी श्वेता चौबे, सीओ सिटी शेखर चंद सुयाल, सीओ मसूरी अरविंद सिंह रावत, एसओजी प्रभारी ऐश्वर्य पाल सिंह, एसओ पे्रेमनगर नरेंद्र गहलावत, चौकी प्रभारी झाझरा ओमवीर चौधरी, एसआई शिवराम, नवनीत भंडारी, कांस्टेबिल मुस्तफा जैदी, नरेंद्र रावत, अमित कुमार, हरीश सामंत।