Dehradun: दर्द और दहशत से नहीं उबर पा रहे सरखेत और सेरकी के ग्रामीण, जलप्रलय का डर अब भी बरकरार
देहरादून के सरखेत और सेरकी गाँव में अतिवृष्टि के कारण भारी तबाही हुई है जिससे ग्रामीण दहशत में हैं। सड़कें टूट गई हैं खेत बह गए हैं और फसलें तबाह हो गई हैं। लोगों ने घरों से भागकर जान बचाई लेकिन उनके घरों में रखा सामान बर्बाद हो गया। प्रलय की रात की यादें अभी भी ग्रामीणों को डरा रही हैं उन्हें रात में नींद भी नहीं आ रही है।

तुहिन शर्मा, जागरण देहरादून। मालदेवता से लगभग पांच किलोमीटर ऊपर स्थित पीपीसीएल सरखेत गांव में आई आपदा ने ग्रामीणों को गहरे जख्म दिए हैं। अतिवृष्टि के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
ग्रामीणों ने किसी तरह अपने घरों से बाहर भागकर जान बचाई, लेकिन उनके घरों में रखा राशन, बिस्तर और अन्य सामान बर्बाद हो गया। वहीं, सरखेत से पहले सेरकी गांव में सैकड़ों बीघा धान, अदरक और दाल की फसलें तबाह हो गईं। प्रलय की रात की यादें अब भी ग्रामीणों की आंखों में अंधेरा छा जाती हैं।
पीपीसीएल सरखेत के निवासी विकास रावत ने बताया कि सोमवार रात को वे सो रहे थे। मध्य रात में अचानक जोरदार धमाका हुआ और पानी का तेज बहाव उनके घर की ओर बढ़ने लगा। उन्होंने अपने बुजुर्ग माता-पिता, बच्चों और पत्नी के साथ भागकर पूर्व प्रधान के घर में शरण ली।
मंगलवार को भी पानी कम नहीं हुआ और वे पूरा दिन वहीं रहे। जब शाम को पानी कम हुआ तो घर लौटे, लेकिन घर में चार फीट तक पानी भरा था। इस दौरान घर में रखा अनाज पूरी तरह बर्बाद हो गया और बिस्तर भी बह गए।
सरखेत निवासी मंगल सिंह पंवार ने बताया कि उनकी रोजी-रोटी किराने की दुकान से चलती थी, लेकिन अतिवृष्टि के कारण दुकान का सारा सामान खराब हो गया है। दीप्ती कैंतुरा ने कहा कि प्रलय वाली रात से अब तक घर में कोई नहीं सोया है।
ग्रामीणों को नहीं आ रही नींद
सेरकी गांव में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ग्रामीणों की मेहनत से तैयार की गई फसलें बर्बाद हो गई हैं। बीना क्षेत्री, किशन भारद्वाज और सुशीला देवी ने बताया कि उनकी कई बीघा फसलें खराब हुई हैं। पटवारी ने मंगलवार को फसलों का आकलन किया है।
सेरकी पंचायत की क्षेत्र पंचायत सदस्य कविता सकलानी ने प्रभावित गांवों का दौरा किया और लोगों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि कई घरों की क्यारियां जलमग्न हो गई हैं। वहीं, पूर्व प्रधान आरती पंवार का घर ऊंचाई पर स्थित है, जहां आपदा वाली रात गांव के अधिकांश लोग शरण लेने पहुंचे। आरती ने बताया कि किसी को नींद नहीं आई।
मंगलवार शाम को पानी कम होने के बाद ग्रामीण अपने घर लौट गए, लेकिन उनकी आंखों में प्रलय का भय अभी भी बरकरार है।
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