Uttarakhand News: फिट इंडिया मूवमेंट के सिपाही हैं IAS अफसर Dr Purushottam, रोज साइकिल से जाते हैं आफिस
Fit India Movement आइएएस अफसर डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम सचिवालय आने-जाने के लिए रोज साइकिल से 16 किमी की दूरी तय करते हैं। उनकी इस पहल का उद्देश्य फिट रहने के साथ जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का संदेश देना है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) के अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम (Dr BVRC Purushottam) 'फिट है इंडिया-हिट है इंडिया' मिशन पर हैं।
शासन में सहकारिता, मत्स्य एवं ग्राम्य विकास विभागों का दायित्व देख रहे सचिव डा पुरुषोत्तम लग्जरी कार को छोड़ प्रतिदिन घर से सचिवालय आने-जाने को 16 किलोमीटर की दूरी साइकिल (Cycle) से तय करते हैं।
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यही नहीं, वह प्रतिदिन सुबह 20 किलोमीटर और छुट्टी के दिन 40 से 50 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। उनकी इस पहल का उद्देश्य फिट रहने के साथ ही जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का संदेश देना है।
पर्यावरण संरक्षण में भी मिलेगी मदद
आइएएस डा पुरुषोत्तम कहते हैं कि वह दून में साइकिलिंग (Cycling) को लेकर अभियान शुरू करने जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़कर साइकिल चलाने को प्रेरित हों।
- इससे वाहनों का उपयोग कम होने पर पेट्रोल-डीजल की बचत होने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection) में भी मदद मिलेगी।
साइकिलिंग है पुरुषोत्तम का जुनून
उत्तराखंड कैडर (Uttarakhand Cadre) के वर्ष 2004 बैच के आइएएस (IAS) अधिकारी डा पुरुषोत्तम को साइकिल की सवारी हमेशा से प्रिय रही है। यूं कहें कि उन्हें साइकिलिंग का जुनून है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
दिल्ली में साइकिल से जाते थे कार्यालय
पूर्व में जब वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक के पीएस के रूप में सेवाएं दे रहे थे, तब भी वह दिल्ली में अक्सर भारी ट्रैफिक( Traffic)से बचने को साइकिल से कार्यालय पहुंचते थे।
देहरादून के जिलाधिकारी रह चुके डा पुरुषोत्तम
2019 में गढ़वाल मंडलायुक्त ( Garhwal Commissioner) और वर्ष 2012 में देहरादून के जिलाधिकारी रह चुके डा पुरुषोत्तम तब भी अक्सर साइकिल चलाते थे। कुछ माह पहले केंद्र से वापस उत्तराखंड लौटने पर उन्होंने ध्येय बना लिया कि वह देहरादून में साइकिलिंग को अधिक महत्व देंगे।
8 KM साइकिल चलाकर पहुंचते हैं सचिवालय
इसी क्रम में वह प्रतिदिन कौलागढ़ स्थित अपने घर से लगभग आठ किलोमीटर दूर सचिवालय तक पहुंचने को साइकिल (Cycle) का उपयोग करते हैं। वह सबसे पहले राजपुर रोड स्थित राज्य समेकित विकास परियोजना के कार्यालय पहुंचते हैं।
- वह इस परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक भी हैं।
- वहां से फाइलें निबटाने के बाद सीधे सचिवालय पहुंचते हैं।
साइकिल से खोजते हैं दून शहर को
डा पुरुषोत्तम के अनुसार साइकिलिंग के लिए उत्तराखंड सबसे बेहतर है। वह सुबह चार से पांच बजे के करीब कौलागढ़ स्थित आवास से मालदेवता क्षेत्र तक प्रतिदिन 20 किमी साइकिल चलाते हैं। उनका कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए साइकिलिंग बेहतर विकल्प है। साथ ही वह साइकिल से घूमकर देहरादून शहर की खोज करते हैं।
- उन्होंने कहा कि वाहनों के बढ़ते दबाव का असर यहां के पर्यावरण पर भी पड़ा है।
- ऐसे में सभी साइकिल का उपयोग कर वाहनों के धुएं को रोकने का प्रयास करें तो यह इस शहर की सेहत के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान होगा।
गढ़वाली बोली में भी हैं माहिर
मूल रूप से दक्षिण भारतीय (South Indian) डा पुरुषोत्तम को तमिल के साथ ही हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच व गढ़वाली (Garhwali) बोलने में महारथ हासिल है। वर्ष 2019 में उनके गढ़वाल मंडलायुक्त रहने के दौरान जब पौड़ी में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई तो तब बैठक में शामिल हुए मंत्रियों व विधायकों के स्टेटस गढ़वाली में लिखे गए थे।
यही नहीं, डा पुरुषोत्तम ने गढ़वाली में अपने संबोधन की शुरुआत यह कहकर की थी-'य भाषा हि छ कि दक्षिण भारत कु आदमी गढ़वालि मा अपणि बात बोलणु छ।
साइकिल से 20 किमी की दूरी तय कर कार्यालय पहुंचती हैं अल्पना
फिट रहने के साथ ही जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का संदेश देने के उद्देश्य से साइकिल को बढ़ावा देने की आइएएस डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम की पहल रंग जमाने लगी है।
इस कड़ी में मत्स्य निदेशालय में कार्यरत उप निदेशक अल्पना हल्दिया ने भी साइकिल से कार्यालय आना-जाना शुरू कर दिया है। वह अपने घर से कार्यालय तक पहुंचने को लगभग 20 किमी की दूरी साइकिल से तय करती हैं।
मत्स्य विभाग की उप निदेशक अल्पना बताती हैं कि कार्यालय आने-जाने के लिए चौपहिया वाहन की बजाए साइकिल का उपयोग करने की प्रेरणा उन्हें विभागीय सचिव डा पुरुषोत्तम से मिली।
कंडोली निवासी अल्पना के अनुसार वह पहले से साइकिल चलाती आ रही हैं, लेकिन 20 किमी दूर बड़ासी ग्रांट भोपालपानी स्थित निदेशालय तक आने-जाने के लिए साइकिल का उपयोग पिछले दो दिन से कर रही हैं। वह कहती हैं कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी को जागरूक होना होगा।
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