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    Uttrakhand News: जंगल बचाने को निर्धारित तारिख से 26 दिन पहले ही अग्निकाल घोषित, जानें सरकार ने क्यों उठाया ऐसा कदम

    By kedar dutt Edited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Mon, 22 Jan 2024 02:00 AM (IST)

    पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में इस बार सर्दियों में ही जंगलों के सुलगने की घटनाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाले हुए हैं और राज्य में नियत समय से 26 दिन पहले ही वनों को आग से बचाने के दृष्टिगत अग्निकाल घोषित कर दिया है। वन प्रभागों के डीएफओ और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को तत्काल सभी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।

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    जंगल बचाने के लिए 26 दिन पहले ही अग्निकाल की निर्धारित तारिख घोषित (फाइल फोटो)

    केदार दत्त, देहरादून। पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में इस बार सर्दियों में ही जंगलों के सुलगने की घटनाओं ने वन विभाग के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। स्थिति को भांपते हुए राज्य में नियत समय से 26 दिन पहले ही वनों को आग से बचाने के दृष्टिगत अग्निकाल (फायर सीजन) घोषित कर दिया गया है।

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    इस कड़ी में सभी वन प्रभागों के डीएफओ और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को तत्काल सभी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देेश दिए गए हैं। उनसे यह भी कहा गया है कि वे अग्निकाल में रखे जाने वाले फायर वॉचरों की अभी से तैनाती करना सुनिश्चित करें। साथ ही फील्ड में रिस्पांस टीमों को सक्रिय करने के लिए भी निर्देशित किया गया है।

    जंगलों में आग से बढ़ी चिंता

    उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड में भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, लेकिन बदरा रूठे-रूठे से हैं। पूरा दिसंबर बिन वर्षा के गुजर गया तो जनवरी का अब तक का परिदृश्य भी ऐसा ही है। उस पर जंगलों के सुलगने से चिंता अधिक बढ़ गई है।

    सर्दी के मौसम में इस बार उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ समेत अन्य पर्वतीय जिलों के जंगलो में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में वनों को आग से बचाने के लिए विभागीय तैयारियों पर भी प्रश्न उठने लगे थे।

    आए दिन आग की घटना सुर्खियां बन रही

    आए दिन वनों में आग की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। इस सबको देखते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हाल में हुई समीक्षा बैठक में विभाग को निर्देश दिए कि राज्य में अभी से अग्निकाल घोषित किया जाए।

    बता दें कि गर्मियों में जंगल अधिक धधकते हैं। इसी क्रम में प्रतिवर्ष 15 फरवरी से मानसून आने तक की अवधि को अग्निकाल घोषित किया जाता है। इसी के अनुरूप क्रू-स्टेशन की स्थापना समेत अन्य व्यवस्थाएं की जाती हैं। साथ ही फायर वॉचरों की तैनाती समेत अन्य कदम उठाए जाते हैं।

    राज्यों में वनों का आग से बचाने के लिए अग्निकाल घोषित

    बदली परिस्थितियों में राज्य में वनों को आग से बचाने को अभी से अग्निकाल घोषित कर दिया गया है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक अनूप मलिक ने इसकी पुष्टि की।

    उन्होंने बताया कि इस संबंध में सभी वन प्रभागों के डीएफओ और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों को निर्देश जारी किए गए हैं कि अग्नि नियंत्रण के लिए फील्ड स्टाफ को पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतार दें।

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    ड्रोन समेत आधुनिक तकनीकी का भी उपयोग

    वन विभाग के मुखिया के अनुसार वनों में अग्नि नियंत्रण के लिए बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। सभी प्रभागों को आवश्यक उपकरणों की खरीद समेत अन्य व्यवस्थाएं तत्काल करने को कहा गया है। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अग्नि नियंत्रण में ड्रोन के उपयोग समेत आधुनिक तकनीकी का भी इस्तेमाल किया जाए।

    जलवायु परिवर्तन है बड़ा कारण

    सर्दियों में वनों के धधकने के पीछे जलवायु परिवर्तन को बड़ा कारण माना जा रहा है। वन विभाग के मुखिया अनूप मलिक के अनुसार वर्षा का पैटर्न बदला है। सर्दियों में इस बार अभी तक वर्षा नहीं हुई है। साथ ही बर्फबारी भी उस हिसाब से नहीं हुई, जैसी पूर्व के वर्षों तक होती रही है। इस सबके चलते जंगलों में आग की घटनाएं हो रही हैं।

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