अब रोडवेज को सरकारी मदद मिलने में आ सकती है थोड़ी दिक्कतें
रोडवेज को सरकारी मदद मिलने में दिक्कतें आ सकती है। कारण यह कि हाल ही में कोर्ट के निर्देश पर शासन ने निगम के सभी देयकों का भुगतान तय बजट की सीमा से बाहर जाकर किया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। परिवहन निगम (रोडवेज) को अब सरकारी मदद मिलने में थोड़ी दिक्कतें आ सकती है। कारण यह कि हाल ही में कोर्ट के निर्देश पर शासन ने निगम के सभी देयकों का भुगतान तय बजट की सीमा से बाहर जाकर किया है। इसके अलावा अन्य विभागों को भी परिवहन निगम का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
परिवहन निगम गठन के बाद से ही घाटे में चल रहा है। इससे उबरने को हर बार परिवहन निगम शासन की ओर उम्मीद भरी नजरें लगाए रहता है। शासन द्वारा समय-समय पर उसे वित्तीय सहायता दी भी जाती है। शुरुआत में शासन ने उसे बस खरीदने की सुविधा दी। अब शासन परिवहन निगम को बसों को खरीदने वाले ऋण का ब्याज देकर सहायता करता है। हाल ही में हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को परिवहन निगम के लंबित देयकों का भुगतान करने के निर्देश दिए।
दरअसल, विभिन्न सरकारी योजनाओं में परिवहन निगम की बसों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें रक्षा बंधन के दौरान बहनों को मुफ़्त सेवा, छात्राओं को मुफ्त बस सेवा, दिव्यांगजनों को मुफ्त बस सेवा के साथ ही चुनाव ड्यूटी व आपदा में निगम की सेवाएं ली जाती हैं। इसके अलावा पर्वतीय मार्गों पर सरकार ने परिवहन निगम की बसों का समयबद्ध संचालन किया जाना सुनिश्चित किया है। इसके लिए परिवहन निगम को इन मार्गों पर कम सवारियों के दृष्टिगत हिल लॉस दिए जाने का भी प्रावधान है।
कोर्ट के निर्देश पर सरकार को निगम के 86 करोड़ रुपये जारी करने को कहा था। इसमें एक बड़ी राशि हिल लास की शामिल थी। कोर्ट के निर्देशों पर शासन ने जैसे तैसे कर परिवहन निगम को 17 करोड़ रुपये जारी किए। इसके अलावा विभिन्न विभागों को भी निगम की अवशेष धनराशि जारी करने को कहा गया। यह स्थिति तब थी जब शासन ने वार्षिक बजट में परिवहन निगम के लिए मात्र 10 करोड़ का प्रावधान किया था। अब रोडवेज 300 नई बसें खरीद रहा है।
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इनकी कीमत 71 करोड़ के आसपास है। इसके लिए विभिन्न बैंकों से ऋण लिया जा रहा है। सरकार ने इसके ब्याज के रूप में तकरीबन 17 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई है। अब परिस्थितियां बदली हुई हैं और सरकार काफी पैसा रोडवेज को दे चुकी है। ऐसे में अब सरकार द्वारा इस ब्याज राशि देने में अड़ंगा लगने की आशंका जताई जा रही है।
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