Move to Jagran APP

सिनेमा को समझने के लिए भाषा नहीं, भावनाओं की जरूरत

फिल्म अभिनेता गिरीश सहदेव ने कहा कि सिनेमा को समझने के लिए भाषा नहीं भावनाओं की जरूरत है। इन्हीं भावनाओं के चलते ही पूरी दुनिया का सिनेमा एक-दूसरे से जुड़ा है।

By Edited By: Published: Mon, 11 Jun 2018 06:03 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 05:14 PM (IST)
सिनेमा को समझने के लिए भाषा नहीं, भावनाओं की जरूरत
सिनेमा को समझने के लिए भाषा नहीं, भावनाओं की जरूरत

देहरादून, [जेएनएन]: सिनेमा को समझने के लिए भाषा नहीं भावनाओं की जरूरत है। इन्हीं भावनाओं के चलते ही पूरी दुनिया का सिनेमा एक-दूसरे से जुड़ा है। फिल्म अभिनेता गिरीश सहदेव ने कुछ इस अंदाज में सिनेमा के बारे में बताया। 

loksabha election banner

'दबंग-2', 'रुस्तम' समेत कई फिल्मों से अपनी पहचान बना चुके अभिनेता गिरीश सहदेव फिल्म 'जसवंत रावत: द राइफल मैन' में एक आर्मी अफसर की भूमिका में होंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि फिल्म के जरिये पूरी दुनिया को गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन के जाबांज जसंवत रावत की वीरता से रूबरू कराया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि जसवंत रावत ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था। बाद में सरकार ने उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया था। अभिनेता गिरीश ने बताया कि उत्तराखंड के कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा। राज्य की नई फिल्म नीति से बॉलीवुड का रुझान उत्तराखंड की तरफ बढ़ने लगा है। 

टीवी और धारावाहिकों में काम करने के अनुभव पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल वैसा है, जैसे स्कूल के बाद कॉलेज की पढ़ाई करना। टीवी धारावाहिक में रोजाना आपको अपने कैरेक्टर को निखारना होता है, जबकि फिल्म एक डॉक्यूमेंट की तरह है, जिसकी रिपीट वैल्यू मायने रखती है।

अभिनेता गिरीश सहदेव इससे पहले धारावाहिक 'खिचड़ी', फिल्म 'दबंग-2', 'रुस्तम', 'मंजुनाथ', 'सत्याग्रह' आदि में शानदार अभिनय कर चुके हैं। भगत सिंह और अमिताभ के रोल को निभाना है सपना 

अभिनेता गिरीश सहदेव ने कहा कि यदि भगत सिंह और अमिताभ बच्चन पर बायोपिक बने तो उनकी इच्छा है कि वह इस किरदार को निभाएं। भविष्य की योजनाओं पर उन्होंने कहा कि जल्द ही वह एक बड़े बजट की फिल्म में अभिनय करते नजर आएंगे। 

आज भी सीमा पर पहरा देते हैं जसवंत 

फिल्म के प्रोड्यूसर जसवंत रावत का कहना है कि फिल्म बनाने के पीछे उनका मकसद पूरी दुनिया में उत्तरांखड के वीर जवान के योगदान को बताना है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे तरुण रावत और प्रशिल रावत ने भी फिल्म में योगदान दिया है। क्रिएटिव डायेक्टर सुमित अदलखा ने बताया कि ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि जसवंत की आत्मा आज भी सीमा पर देश की सेवा कर रही है। उन्हें अन्य सैनिकों की तरह ही प्रमोशन, वेतन, वर्दी और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं।

यह भी पढ़ें: अल्मोड़ा के गौरव ने यूट्यूब पर मचाया धमाल, खूब पसंद किया जा रहा गाए फ्रॉम द हिल्स

यह भी पढ़ें: अभिनेत्री सनी लियोनी ने दाबका नदी में की शूटिंग

यह भी पढ़ें: इस हॉरर सीरीज में नज़र आएंगी देहरादून की मलीहा मल्ला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.