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    Famous Temple in Tehri: यहां बुजुर्ग स्वरूप में होती है भगवान शिव की पूजा, बूढ़ाकेदार नाम से जाने जाते हैं महादेव

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2022 05:31 PM (IST)

    Famous Temple in Tehri बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। यह मंदिर दो नदियों (बालगंगा व धर्म गंगा) के मध्य में स्थित है। यहां दोनों नदियों का संगम भी है। यहां भगवान शिव की पूजा बुजुर्ग स्वरूप में होती है।

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    बूढ़ाकेदार मंदिर टिहरी जिले के भिलंगना प्रखंड में स्थित है।

    जागरण संवाददाता, नई टिहरी। बूढ़ाकेदार मंदिर टिहरी जिले के भिलंगना प्रखंड में स्थित है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 85 किलोमीटर है। यह स्थान बालगंगा व धर्मगंगा में मध्य स्थित है। यहां से केदारनाथ के लिए पैदल कांवड़ यात्रा भी निकलती है। कांवड़ यात्री पहले बूढाकेदार के दर्शन करते हैं और उसके बाद केदारनाथ यात्रा पर निकलते हैं। बूढ़ाकेदार धाम के लिए पैदल नहीं जाना पड़ता है। श्रावण मास में काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

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    यह है मंदिर का इतिहास

    आदि गुरु शंकराचार्य ने मंदिर की नींव रखी थी। पुराणों में उल्लेख है कि जब पांडव गोत्रहत्या के पाप से मुक्ति के लिए यहां से स्वार्गारोहण के लिए जा रहे थे तो यहां पर भगवान शिव ने उन्हें वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए, जिसके बाद इस जगह का नाम बूढाकेदार पड़ा।

    काफी प्रचीन केदारों मे एक है यह मंदिर

    भगवान शिव ने यहां पर पांडवों की शंका का समाधान किया, जिसके बाद पांडव यहां से स्वार्गारोहण के लिए निकले। यहां दूर-दराज क्षेत्र से काफी संख्या में कांवड़ यात्री भी पहुंचते हैं। यह काफी प्रचीन केदारों मे एक है।

    यह है मंदिर की विशेषता

    मंदिर के गर्भगृह में पत्थर की काफी बड़ी शिला है, जो काफी प्राचीन है। इस पत्थर पर पांडवों के चित्र उकेरे गए हैं। आज भी यह रहस्य बने हुए हैं। इस शिला के श्रद्धालु विशेष दर्शन करते हैं।

    ऐसे पहुंचे मंदिर तक

    जिला मुख्यालय नई टिहरी से 85 किमी दूर बूढ़ाकेदार मंदिर स्थित है। सबसे नजदकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से 150 किमी दूर बूढ़ाकेदार मंदिर है। मंदिर तक जाने के लिए सड़क की सुविधा उपलब्‍ध है।

    भूपेंद्र नेगी (अध्यक्ष मंदिर समिति) ने बताया कि बूढ़ाकेदार काफी प्राचीन मंदिर है। यहां पर दूरदराज क्षेत्रों से श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर पहले काफी पुराना था, जिसे अब भव्य रूप दिया गया है। इस पर अभी तक तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए।

    अमरनाथ (मंदिर के पुजारी) ने बताया कि मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां वर्ष भर मंदिर के कपाट खुले रहते हैं, जिस कारण श्रद्धालु आसानी से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।