उत्तराखंड में पैसों के खेल में रिश्तों का मजाक, नकली शादी कर बटोर रहे मोटी रकम
देहरादून में 6 सितंबर को होने वाले एक फर्जी शादी इवेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू संगठनों ने इस इवेंट का विरोध किया है जिसमें बैंड-बाजा-बारात थीम पर नकली शादी का आयोजन किया जा रहा है। आयोजकों ने पारंपरिक परिधानों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन करने की बात कही है।

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। भारतीय संस्कृति में शादी सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि सात जन्मों का बंधन मानी जाती है। अब इसी शादी की पवित्र परंपरा को खेल बनाकर मजाक उड़ाया जा रहा है। फिल्मों की तरह फर्जी शादियां करवाई जा रही हैं और इसमें आयोजक खूब पैसे बटोर रहे हैं।
ऐसा ही एक आयोजन छह सितंबर को दून में होने जा रहा है। फर्जी शादी के नाम पर कार्ड बांटे जा चुके हैं। हालांकि, शादी के कार्ड बंटने के बाद विवाद पैदा हो गया है। हिंदू संगठन इसके विरोध में उतर गए हैं।
मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों की तरह देवभूमि में भी इस तरह की नकली शादी आयोजित होने लगी हैं। राजधानी के माल आफ देहरादून में बैंड-बाजा-बरात थीम पर फर्जी शादी इवेंट कराया जा रहा है। इस इवेंट में डेकोरेशन से लेकर बरात जैसे रिवाज नकली तौर पर दिखाए जाने वाले हैं।
इसके लिए बाकायदा 1001 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस रखी हुई है और मेहमान बनकर आने वाले युवक-युवतियों के लिए ड्रेस कोड भी निर्धारित किया गया है। उधर, माल ऑफ देहरादून के प्रवक्ता का कहना है कि त्योहारी सीजन आ रहा है।
पारंपरिक परिधानों को प्रमोट करने के उद्देश्य से यह इवेंट आयोजित किया जा रहा था। विवाद की स्थिति को देखते हुए आयोजकों को शुक्रवार को बुलाया गया है। बैठक के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
नकली शादी के कारोबार में मोटी कमाई
नकली शादी के इस कारोबार में मोटी कमाई होती है। आयोजक लाखों रुपये लेकर पूरा पैकेज तैयार करते हैं। बरातियों की भीड़ जुटाने के लिए आनलाइन कार्ड भेजे जाते हैं। बराती भी रेगुलर ग्राहक होते हैं। बैंड-बाजे से लेकर सजावट तक सब कुछ असली जैसा होता है, बस असली नहीं होता तो वह है रिश्ता।
इस तरह का आयोजन देवभूमि की संस्कृति को धूमिल करने की साजिश है। किसी भी सूरत में शादी जैसे पवित्र रिश्ते का मजाक नहीं उड़ाने देंगे। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। उत्तराखंड आपदा से जूझ रहा है। ऐसे में आयोजकों को पीड़ितों के दुख में शामिल होना चाहिए, लेकिन वह पैसों की खातिर इस तरह का मजाक बना रहे हैं। -विकास वर्मा, प्रांत साप्ताहिक मिलन प्रमुख, बजरंग दल।
हिंदू संस्कृति में 16 संस्कारों में एक संस्कार है पाणिग्रहण संस्कार। इस संस्कार का मजाक बनाना सभ्यता का हनन करने जैसा है। ऐसे ही आयोजनों के कारण लोग अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए और हिंदू समाज को भी ऐसे लोगों का विरोध करना चाहिए। पूरी दुनिया संस्कारों से चल रही है, अपनी संस्कृति को बचाना हर किसी का धर्म है। -एचसी पुरोहित, विभागाध्यक्ष प्रबंधन, दून विश्वविद्यालय।
आयोजकों ने इवेंट का नाम बैंड-बाजा-बरात फर्जी शादी रखा है। इसमें दूल्हा-दुल्हन नहीं होते, लेकिन पूरा माहौल शादी का रहता है। आयोजकों की ओर से आयोजन के लिए अनुमति मांगी गई थी, जिसे मना कर दिया है। शादी के नाम पर कोई इवेंट की अनुमति नहीं दी जाएगी। -अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून।
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