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ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बेच रहा था नकली सामान, पुलिस के आने से पहले हुआ फरार; ऐसे हुआ खुलासा

देहरादून की एक दुकान से ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बेची जा रही 2206 नकली जींस और अन्य कपड़े बरामद किए गए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:43 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:43 AM (IST)
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बेच रहा था नकली सामान, पुलिस के आने से पहले हुआ फरार; ऐसे हुआ खुलासा
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बेच रहा था नकली सामान, पुलिस के आने से पहले हुआ फरार; ऐसे हुआ खुलासा

देहरादून, जेएनएन। नेहरू कॉलोनी क्षेत्र की एक दुकान से ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बेची जा रही 2206 नकली जींस और अन्य कपड़े बरामद किए गए हैं। पुलिस ने सामान जब्त करते हुए दुकान मालिक पर कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जब कंपनी की टीम ने पुलिस के साथ छापा मारा, उस समय दुकान का मालिक रोहित साहनी मौके पर नहीं था, उसकी तलाश की जा रही है।

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पुलिस के अनुसार शुक्रवार को विभिन्न कंपनियों के कांस्टीट्यूटिव अटॉर्नी हिमांशु चौधरी ने थाने में तहरीर दी कि जी-10 नेहरू कॉलोनी स्थित न्यू पिंच नाम की दुकान में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली सामान बेचा जा रहा है। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया। साथ ही, एक टीम गठित की गई। टीम कांस्टीट्यूटिव अटॉर्नी के साथ दुकान पर पहुंची। कंपनी के अधिकारी ने निरीक्षण के बाद बताया कि दुकान में रखा हुआ सारा माल नकली है। दुकान में नाइकी, लिवाइस, अरमानी, लेकोसते कंपनी के नाम पर नकली सामान बेचा जा रहा था।

बीमा की रकम दिलाने के नाम पर 32 लाख ठगे

बीमा पॉलिसी की रकम दिलाने का झांसा देकर जालसाजों ने महिला से 32 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश शुरू कर दी है। पीड़ित महिला डालनवाला कोतवाली क्षेत्र में रहती है। इंस्पेक्टर मणिभूषण श्रीवास्तव के अनुसार महिला के पति का दस अक्टूबर 2018 को देहांत हो गया था। उनका आरोप है कि अगस्त 2019 में उनके मोबाइल नंबर पर एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसने अपना नाम कृष्ण नंद मंडल और खुद को दिल्ली में एक बीमा कंपनी के फंड क्लीयरेंस डिपार्टमेंट में तैनात बताया।

आरोपित ने महिला से कहा कि उनके पति ने अपने जीवनकाल मे बीमा पॉलिसी खरीदने के साथ ही अन्य इन्वेस्टमेंट किए थे। उनकी बीमा पॉलिसी आदि की कुल रकम 64 लाख 90 हजार रुपये बनती है, जो उन्हें तय विधिक प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद अदा कर दी जाएगी। उन्हें बताया गया कि यह प्रक्रिया निश्शुल्क होगी। इसके बाद महिला को विश्वास में लेने के लिए कई अन्य व्यक्तियों ने भी पॉलिसी के संबंध में फोन किया।

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उन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अन्य सरकारी विभागों के लेटरहेड पर धनराशि की प्राप्ति की रसीद भी भेजी गई। इसके बाद महिला ने आरोपितों के कहने पर पॉलिसी की रकम प्राप्त करने के लिए उनके बताये खाते में करीब 32 लाख रुपये जमा कर दिए, लेकिन महिला को पॉलिसी की रकम नहीं मिली। इसके बाद आरोपितों ने फोन पर बात करना बंद कर दिया।

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