उत्तराखंड में खाली हाथों को मिलेगा काम, संवरेगी आर्थिकी
राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से इस वर्ष तमाम विभागों में रिक्त पड़े 24 हजार से अधिक पदों पर युवाओं को रोजगार की आस जगी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। नए साल की पहली किरण के साथ ही उत्तराखंड में भी उम्मीदों का सागर हिलोरें लेने लगा है। उम्मीद बेहतरी की, खाली हाथों को काम मिलने और आर्थिकी के संवरने की। राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से इस वर्ष तमाम विभागों में रिक्त पड़े 24 हजार से अधिक पदों पर युवाओं को रोजगार की आस जगी है। औद्योगिक इकाइयों के साथ ही न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित हो रहे ग्रोथ सेंटरों में हजारों हाथों को काम मिलेगा। पर्यटन के साथ ही होमस्टे, सगंध खेती, औद्यानिकी, जैविक उत्पाद के जरिये भी झोलियां भरेंगी। जाहिर है कि इस सबके चलते राज्य की आर्थिकी भी संवरेगी।
प्रदेश के सरकारी महकमों ही बड़ी संख्या में पद खाली चल रहे हैं। इनमें 24 हजार से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां होनी हैं और शिक्षित-प्रशिक्षित बेरोजगार युवा इन पर टकटकी लगाए बैठे हैं। हालांकि, सरकार भी इस दिशा में संजीदा हुई और वह इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया तेज करने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद इसकी मॉनीटङ्क्षरग कर रहे हैं। शिक्षा समेत कुछ विभाग रिक्त पदों पर भर्ती को अधियाचन भेज चुके हैं, जबकि कुछ तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में उम्मीद जगी है कि इस साल हजारों युवाओं को सरकारी नौकरी मिल सकेगी।
यही नहीं, वर्ष 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट के सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं। करीब 15 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतरने लगे हैं। ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में भी बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने ग्रामीण आर्थिकी की मजबूती के लिए न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेंटर की पहल की है। 82 ग्रोथ सेंटर इस साल अस्तित्व में आने की उम्मीद है, जिनमें स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा ही, अन्य उद्यम भी स्थापित होंगे।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में अब बदलेगी तस्वीर, उच्च शिक्षा में बढ़ी रोजगार की धमक
ग्रोथ सेंटरों से हजारों की संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभ की मुहिम भी परवान चढ़ेगी। पर्यटन के अलावा होमस्टे की मुहिम तेज हुई है। प्रदेशभर में 5000 होम स्टे बनाने का संकल्प है और यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। खेती-किसानी के दृष्टिकोण से देखें तो इसके दिन संवरने की भी उम्मीद है। केंद्र के सहयोग से खेती-किसानी पर फोकस किया गया है। जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि और औद्यानिकी के 3900 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। जाहिर है कि इनसे किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा।
यह भी पढ़ें: इसबार साल में 242 दिन ही खुले रहेंगे ग्रीष्मकालीन विद्यालय, पढ़िए पूरी खबर