Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कंडी रोड का विरोध करने वाले प्रदेश के दुश्मन: हरक सिंह रावत

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 07 Jun 2018 05:16 PM (IST)

    वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कंडी रोड का विरोध करने वाले प्रदेश के दुश्मन हैं।

    कंडी रोड का विरोध करने वाले प्रदेश के दुश्मन: हरक सिंह रावत

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड का विरोध करने वाले प्रदेश के दुश्मन हैं। डॉ.रावत के मुताबिक सोमवार को दिल्ली में जलवायु परिवर्तन विषय पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हर्षवर्द्धन की मौजूदगी में हुई कॉन्‍फ्रेंस में भी उन्होंने यह बात कही। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉ.रावत ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि कंडी रोड (लालढांग-कोटद्वार -कालागढ़-रामनगर) को सरकार ग्रीन रोड के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके बनने से जहां दोनों मंडलों के लोगों को आवाजाही की सुविधा मिलेगी, वहीं पर्यावरण और बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा भी होगी। आवाजाही सुगम होने से कार्बेट टाइगर रिजर्व में सुरक्षा के उपाय और अधिक गंभीरता से किए जा सकेंगे। कहा कि जो लोग कंडी रोड की राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रहे हैं, वे उत्तराखंड के दुश्मन हैं। बता दें कि कंडी रोड का कोटद्वार से रामनगर का हिस्सा कार्बेट टाइगर रिजर्व और कोटद्वार-लालढांग हिस्सा लैंसडौन वन प्रभाग से होकर गुजरता है।

    वर्षा की चेतावनी के मद्देनजर रूका है काम

    कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल (कोटद्वार) हिस्से के डामरीकरण का कार्य मौसम विभाग की बारिश की चेतावनी के मद्देनजर रोका गया है, अन्य कारणों से नहीं। वन मंत्री डॉ.रावत ने यह दावा किया। उन्होंने बताया कि हाल में अपर मुख्य सचिव वन की ओर से लैंसडौन वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ को पत्र भेजा गया था कि यह कार्य फॉरेस्ट एक्ट के तहत ही कराया जाए। इस पर तत्कालीन डीएफओ ने पत्र कार्यदायी संस्था लोनिवि को भेज दिया था। माना जा रहा था कि इसी के चलते कार्य रोका गया। वन मंत्री ने साफ किया कि लालढांग-चिलरखाल मार्ग को लेकर कहीं कोई दिक्कत नहीं है। वन अधिनियम-1980 लागू होने से पहले यह सड़क डामरीकृत थी। इसकी पुष्टि पूर्व में हुए संयुक्त सर्वे में भी हो चुकी है। नियमानुसार जो सड़क पहले से डामरीकृत रही हो, उसके पुन: डामरीकरण में वन कानून बाधक नहीं बनते।

    ग्रीन बोनस व कैंपा फंड भी मांगा

    काबीना मंत्री डॉ.रावत के अनुसार केंद्र के समक्ष उन्होंने ग्रीन बोनस और कैंपा निधि में जमा राज्य की हिस्सेदारी जारी करने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों और तमाम दिक्कतें सहने के बावजूद उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान दे रहा है। इसके एवज में उसे ग्रीन बोनस अथवा कुछ इंसेटिव मिलना चाहिए। डॉ.रावत ने बताया कि कैंपा निधि में उत्तराखंड की करीब 2200 करोड़ की राशि जमा है। इसे भी जारी करने का आग्रह केंद्र से किया गया है।

    यह भी पढ़ें: विकृत हो रही राजनीति का पवित्रीकरण जरूरी: मनीष सिसोदिया

    यह भी पढ़ें: उमा भारती बोलीं, जातिवाद का जहर घोल विपक्ष ने जीता कैराना