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    देहरादून के जोगीवाला चौक में न अतिक्रमण हटा पाए, न चौक कर रहे चौड़ा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 14 Sep 2021 01:46 PM (IST)

    देहरादून के जोगीवाला चौक में आए दिन आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यातायात सुधार के नाम पर पुलिस ने चौक की व्यवस्था को समाप्त कर दी। डिवाइडर लगाकर सड़क को दो भागों में बांट दिया जिससे सड़क संकरी हो गई।

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    देहरादून के जोगीवाला में जाम का यह झाम सुबह से शाम तक परेशानी का सबब बना रहता है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। सड़क सुरक्षा के नाम पर सरकारी मशीनरी बस वाहनों को इधर-उधर हांकना जानती है। वाहनों को हांक कर होगा भी क्या? वाहन चालक अनावश्यक परेशान होते हैं और पुलिस की भी बेवजह परेड होती रहती है। बावजूद इसके यहां पर यातायात व्यवस्था का कोई हल नजर नहीं आता। वह इसलिए कि जिस जोगीवाला चौक को चौड़ा किया जाना था या यहां पर फ्लाईओवर/एलिवेटेड रोड का निर्माण किया जाना था, उस पर आज तक कुछ भी नहीं किया गया। उल्टे पुलिस ने यातायात सुधार के नाम पर चौक की व्यवस्था को समाप्त कर इसे डिवाइडर के माध्यम से बीचों-बीच दो भाग में बांट दिया है। अब यह जगह नाम की जोगीवाला चौक है, जबकि हकीकत में महज एक संकरी सड़क नजर आती है।

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    जोगीवाला को शहर का प्रवेश स्थल माना जा सकता है। हरिद्वार, दून शहर व सहारनपुर, पांवटा साहिब के लिए वाहनों का आवागमन करना हो तो यही चौक प्रमुख माध्यम है। जोगीवाला में लगने वाले जाम की स्थिति को देखते हुए वर्ष 2013 में यहां पर फ्लाईओवर निर्माण का शिलान्यास किया गया था। तब आइएसबीटी, बल्लीवाला व बल्लूपुर फ्लाईओवर का भी शिलान्यास किया गया था। यह सभी फ्लाईओवर कई साल पहले बनकर तैयार हो गए थे, जबकि जोगीवाला फ्लाईओवर की परियोजना को निरस्त कर दिया गया था। शिलान्यास के कुछ समय बाद धरातल पर जरूर कुछ काम किए गए और निर्माण कंपनी ईपीआइएल के बोर्ड भी सड़क पर लगे रहे। फिर कुछ दिन बाद सब कुछ हटा दिया गया। बाद में बताया गया कि बजट सीमित था। सवाल यह भी है कि जब बजट सीमित था तो क्यों शिलान्यास का दिखावा किया गया।

    जनता की सुविधा के आगे अधिक लगे 40 करोड़

    वर्ष 2013 में फ्लाईओवर निर्माण की परियोजना के ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने के बाद वर्ष 2018-19 में जोगीवाला चौक को चौड़ा करने की कवायद शुरू की गई थी। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला ने चौड़ीकरण के लिए करीब 40 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था। करीब 35 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण पर खर्च होने थे और पांच करोड़ रुपये चौड़ीकरण कार्य में। शासन को यह राशि बहुत अधिक लगी और परियोजना को मंजूरी देने में हाथ खड़े कर दिए गए।

    अतिक्रमण तक नहीं हटा पा रहे अधिकारी

    इसे अधिकारियों की निष्क्रियता कहा जाए या राजनीतिक दबाव। सड़कों पर पसरे अतिक्रमण को हटाने के हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी अधिकारी चौक से अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे। कोर्ट के आदेश पर तीसरी दफा चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान में तहसील प्रशासन की टीम ने फरवरी 2021 में चौक पर 10 अतिक्रमण चिह्नित किए थे। इसके साथ ही सड़क घेरकर बनाई गई दुकानों पर चार मीटर तक के निशान लगाए गए थे। यह लाल निशान आज भी व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। पुलिस व प्रशासन की टीम जितनी सक्रियता से वाहनों को इधर-उधर खदेड़ने में लगी रहती है, उसका पांच फीसद प्रयास अतिक्रमण हटाने में भी किया जाता तो चौक का संकरा गला खुल चुका होता।

    जोगीवाला चौक पर यह रहती है दिक्कत

    • जोगीवाला चौक पर बीचों-बीच डिवाइडर लगा दिए जाने के कारण बड़े वाहन एक बार में मुड़ नहीं पाते। इससे अनावश्यक जाम लग जाता है।
    • जोगीवाला में चौक की व्यवस्था होने के दौरान रिंग रोड व बदरीपुर रोड की तरफ आवागमन करने वाले वाहन सीधे पार हो जाते थे। अब उन्हें करीब एक किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी होती है और इस पूरे हिस्से में वाहनों की कतार लगी रहती है।

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