अतिक्रमण की जकड़न में देहरादून, सड़कों पर चलना हुआ दूभर; बाजार में घुट रहा दम
देहरादून में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन गई है जिससे सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। नगर निगम और पुलिस की कार्रवाई केवल दिखावटी साबित हो रही है क्योंकि अतिक्रमणकारी बार-बार लौट आते हैं। शहर के प्रमुख बाजारों में रेहड़ी-ठेलियों और अवैध दुकानों ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है जिससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। राजधानी दून की सड़कों और फुटपाथों पर पसरे अतिक्रमण ने शहर की सांसें घोंट दी हैं। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ गायब हो गए हैं और सड़कें ठेली-रेहड़ियों व दुकानदारों के कब्जे में हैं। हालात यह हैं कि दून में जाम का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण ही बन चुका है। न मुख्य मार्गों के फुटपाथ खली और न ही बाजारों में पैर रखने की जगह। अभियान के नाम पर सिस्टम की खानापूर्ति और आमजन की फजीहत भी बदस्तूर जारी है।
सड़क-फुटपाथ पर पसरे अतिक्रमण से दून को निजात नहीं मिल पा रही है। नगर निगम, पुलिस और प्रशासन समय-समय पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर कार्रवाई का दावा तो करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत उनके सारे दावों की पोल खोलती है। टीम के लौटते ही अतिक्रमणकारी फिर से सड़क और फुटपाथ पर कब्जा जमा लेते हैं।
न सिर्फ बाजार, बल्कि शहर की लगभग हर मुख्य सड़क अतिक्रमण से ग्रसित है। फुटपाथों पर मरम्मत वर्कशाप तक चल रहे हैं। कहीं होटल-ढाबे फुटपाथ पर ही चूल्हा-भट्टी जला देते हैं तो कहीं अस्थायी दुकानें स्थायी कब्जे का रूप ले चुकी हैं। घंटाघर से आइएसबीटी तक माडल रोड बनाने के सपने दिखाए गए थे, लेकिन सालों बाद भी हकीकत उलटी है।
अतिक्रमण ने घाेंटा शहर का दम
शहर के पलटन बाजार, धामावाला बाजार, पीपल मंडी, दर्शनी गेट, बाबूगंज, मोतीबाजार, हनुमान चौक, बैंड बाजार, शरणीमल मार्केट, तिलक रोड, झंडा बाजार और सहारनपुर चौक जैसे प्रमुख बाजारों में अतिक्रमण की जकड़न चरम पर है। यहां रेहड़ी-ठेलियां सड़कों पर पसर जाती हैं, दुकानदार फुटपाथ पर सामान सजा लेते हैं और लोडर वाहन दिनभर बाजार में खड़े रहते हैं।
नतीजा, भीड़भाड़ के बीच पैदल चलना दूभर और वाहनों की आवाजाही थम-सी जाती है। महिलाओं और बुजुर्गों के हादसों का शिकार होने की आशंका लगातार बनी रहती है। कई बार यहां पैदल चलने वालों को वाहनों के टक्कर मारने के मामले भी आते रहते हैं।
25 हजार ठेलियां, 99 प्रतिशत अवैध
दून की सड़कों पर करीब 25 हजार रेहड़ी-ठेलियां कब्जा जमाए हुए हैं, जिनमें से 99 प्रतिशत अवैध हैं। नगर निगम ने जिन ठेलियों को लाइसेंस दिया है, उनकी संख्या हजार से भी कम है। सवाल यह है कि फिर यह अवैध ठेलियां किसकी शह पर दिन-दहाड़े सड़कों पर कब्जा जमाए हुए हैं?
खानापूर्ति के अभियान
पिछले कुछ महीनों में नगर निगम ने कार्रवाई जरूर की, कई ठेलियां जब्त कीं और चालान भी काटे। लेकिन, कार्रवाई महज़ खानापूर्ति साबित हुई। जैसे ही टीम लौटती है, अतिक्रमणकारी फिर सड़क पर लौट आते हैं। पुलिस की ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं होती।
जनता को निजात मिलने की उम्मीद पर बादल
दूनवासी सिस्टम से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अतिक्रमण की समस्या से उन्हें कभी निजात मिल पाएगी। दून की सड़कें सिर्फ अतिक्रमणकारियों के लिए बनी हैं। नगर निगम और पुलिस सख्ती नहीं बरत पाते और लोग अव्यवस्था के मकड़जाल में फंसे नजर आते हैं।
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