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वेतन और भत्तों की वसूली के आदेश पर भड़के वन विकास निगम कार्मिक

कर्मचारियों से वेतन-भत्तों की वसूली के आदेश से उत्तराखंड वन विकास निगम स्केलर संघ में आक्रोश है। अन्य संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 01:33 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 01:33 PM (IST)
वेतन और भत्तों की वसूली के आदेश पर भड़के वन विकास निगम कार्मिक
वेतन और भत्तों की वसूली के आदेश पर भड़के वन विकास निगम कार्मिक

देहरादून, जेएनएन। कर्मचारियों से वेतन-भत्तों की वसूली के आदेश से उत्तराखंड वन विकास निगम स्केलर संघ में आक्रोश है। संघ का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बाद ही उन्हें समयमान और पदोन्नत वेतनमान दिया जा रहा था। लेकिन, निगम में चल रहे भ्रष्टाचार के बाद हुए ऑडिट में निगम प्रबंधन ने ऑडिट के समय आधी-अधूरी जानकारी दी। इसके चलते भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई के बजाय कर्मचारियों से कोर्ट के आदेश के बाद मिले वेतन भत्तों की वसूली के आदेश जारी किए जा रहे हैं। संघ ने इसके खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

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हिंदी भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने कहा कि कर्मचारियों की ओर से वन विकास निगम में हुई अनियमितताओं, भ्रष्टाचार की जांच की मांग के बाद शासन ने वर्ष 2017 में निगम का विशेष ऑडिट किए जाने के निर्देश दिए थे। वन विकास निगम में बजट, कैशबुक, आय-व्यय व लेखा प्रणाली के साथ वर्किंग प्लान आदि का ऑडिट किया जाना था, लेकिन साजिश के तहत वन निगम प्रबंधन ने इन सब के बजाय कर्मचारियों को न्यायालय के आदेश के बाद वर्ष 2010 से मिल रहे समयमान वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान का ऑडिट कर वेतन निर्धारण पर प्रश्न चिह्न लगा दिया। 

उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने ऑडिट की टीम को इस संबंध में हाईकोर्ट के आदेशों और इससे पूर्व अन्य अधिकारियों की ओर से जारी आदेशों से जानबूझ कर अवगत नहीं कराया। स्केलर संवर्ग व समूह घ के कार्मिकों के लिए पक्ष में उच्च न्यायालय लखनऊ द्वारा वर्ष 1991 में अपना आदेश दिया था।

आरोप लगाया कि स्टोर संबंधी सामग्री लेने-बेचने में करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को बचाने के चक्कर में निगम प्रबंधन की ओर से जानबूझ कर यह कृत्य किया गया। उन्होंने कहा कि अगर कर्मचारियों से किसी भी प्रकार की वसूली हुई तो संघ उग्र आंदोलन को बाध्य होगा। इस मौके पर बीएस रावत, सहित संघ के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे।

पावर इंजीनियर एसोसिएशन भी आंदोलन की राह पर

ऊर्जा निगमों के विभिन्न संगठनों के साथ ही अब पावर इंजीनियर एसोसिएशन भी आंदोलन की राह पर है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि एक मार्च तक उनकी मांगों पर कार्रवाई न होने पर दो मार्च को यूजेवीएनएल और इसके बाद पिटकुल और यूपीसीएल में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा । 

एसोसिएशन की बैठक में विभिन्न मांगों पर चर्चा की गई, जिसमें कर्मचारियों को नौ, 14 और 19 में मिलने वाले एसीपी और समयबद्ध वेतनमान न दिए जाने, यूजेवीएनएल लिमिटेड में 2017 में नियुक्त सहायक अभियंताओं को तीन प्रारंभिक वेतन वृद्धि के सापेक्ष संशोधित वेतन प्राधिकार पत्र जारी करने, यूजेवीएनएल में सहायक अभियंताओं की असंवैधानिक व नियमविरुद्ध सीनियरटी लिस्ट जारी करने पर आक्रोश व्यक्त किया गया। 

निर्णय लिया गया कि अगर जल्द ही उपरोक्त मांगों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो एसोसिएशन दो मार्च को यूजेवीएनएल में एक दिवसीय धरना, जबकि इसके बाद यूपीसीएल और पिटकुल में भी धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होगा। बैठक में अध्यक्ष वाईएस तोमर, महासचिव मुकेश कुमार, कार्तिकेय दुबे आदि कर्मचारी मौजूद थे। 

आउट सोर्सिंग कर्मचारी संघ की महारैली 12 मार्च को

विभिन्न मांगों को लेकर आउट सोर्सिंग कर्मचारी संघ लोक निर्माण विभाग 12 मार्च को महारैली आयोजित करेगा। रैली यमुना कॉलोनी से शुरू होकर मुख्यमंत्री आवास कूच करेगी।

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष जयेंद्र सिंह ने कहा कि संघ लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने, मेट, बेलदार कर्मचारियों को समान कार्य का समान वेतन देने, सहित विभिन्न पांच सूत्री मांगों को लेकर लगातार धरना, प्रदर्शन कर रहा है। आज तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। कहा कि अगर 11 मार्च तक मांगों पर कार्रवाई नहीं होती है तो 12 मार्च को महारैली आयोजित कर सीएम आवास कूच किया जाएगा।

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