25 साल में करंट से 53 हाथियों की मौत, काल बनीं जंगल से गुजर रही विद्युत लाइनें
हरिद्वार में हाथी की मौत के बाद वन विभाग सक्रिय हुआ है। पिछले 25 सालों में 53 हाथियों की मौत करंट लगने से हुई है। वन विभाग ऊर्जा निगम और पिटकुल को पत्र लिखकर तारों को कसने और कंटीली बाड़ लगाने का आग्रह कर रहा है। उत्तराखंड के 12 वन प्रभागों में हाथियों का बसेरा है, जहाँ बिजली लाइनें उनके लिए खतरा बनी हुई हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। हाथियों के लिए जंगल और उसके आसपास से गुजर रही विद्युत लाइनें काल बनकर उभरी हैं। 25 साल में करंट लगने से 53 हाथियों की मौत की घटनाएं तो इसी तरफ इशारा कर रही हैं।
यद्यपि, राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार वन प्रभाग में करंट से हाथी की मृत्यु की घटना से सबक लेते हुए वन विभाग अब ऐसी घटनाओं को थामने को लेकर सक्रिय हुआ है। इसी क्रम में ऊर्जा निगम व पिटकुल को विद्युत लाइनों के तार कसने और खंभों के चारों ओर कंटीली तारबाड़ लगाने समेत अन्य कदम उठाने के लिए पत्र लिखा जा रहा है।
उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा नदी तक राजाजी व कार्बेट समेत 12 वन प्रभागों के 6643.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों का बसेरा है। इस क्षेत्र में गुजर रहे सड़क व रेल मार्ग पहले ही हाथियों की परंपरागत आवाजाही के रास्तों में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं, उस पर जंगल और उसके आसपास से गुजर रही विद्युत लाइनें भी हाथियों पर काल बनकर टूटी हैं।
आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2001 से अब तक 53 हाथियों की मौत का कारण विद्युत लाइनों के झूलते तार और पोल से फैला करंट रहा है। ऐसे में चिंता अधिक बढ़ गई है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र के अनुसार हाथियों को करंट से बचाने के दृष्टिगत ऊर्जा निगम व पिटकुल को पत्र लिखा जा रहा है।
दोनों निगमों से आग्रह किया जा रहा है कि वह विद्युत लाइनों की नियमित अंतराल में निगरानी की व्यवस्था सुनिश्चित करे। उन्होंने बताया कि वन कर्मियों को भी नियमित रूप से गश्त करने और कहीं भी झूलते तार और पोल के पास करंट फैलने की जानकारी सामने आने पर तत्काल इस बारे में ऊर्जा निगम को अवगत कराने को कहा गया है।
छह साल में करंट से हाथियों की मौत
वर्ष | संख्या |
2025 (अब तक) | 04 |
2024 | 02 |
2023 | 02 |
2022 | 02 |
2021 | 02 |
2020 | 02 |
कुल योग | 14 |
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