बिजली की मांग में उछाल, उत्पादन ठिठका; फिर भी कटौती से राहत
पारा चढ़ने के साथ बिजली मांग में उछाल आया है, लेकिन उत्पादन की स्थिति जस की तस है। वहीं, उत्पादन कम होने के बावजूद उपभोक्ताओं को कटौती से राहत दी गई है।
देहरादून, [जेएनएन]: पारा चढ़ने के साथ बिजली मांग में उछाल आया है, लेकिन उत्पादन की स्थिति जस की तस है। शुक्रवार को 41 मिलियन यूनिट से भी अधिक बिजली मांग रही। जबकि, अप्रैल माह में बिजली उत्पादन पिछले सात साल के न्यूनतम स्तर पर है।
सर्दियों में कम बर्फबारी होने के चलते नदियों में जलप्रवाह नहीं बढ़ रहा। नतीजतन, रोजाना नौ से दस मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली खरीदकर मांग पूरी करनी पड़ रही है।
वर्तमान में प्रदेश की बिजली खपत 40 एमयू से अधिक हो गई है। लेकिन, जल विद्युत निगम की परियोजनाओं से महज औसतन सात एमयू प्रतिदिन बिजली उत्पादन ही हो पा रहा है। दरअसल, जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादन नदियों के जलप्रवाह पर निर्भर है। गर्मी बढ़ने के साथ ग्लेशियरों से बर्फ पिघलती थी, जिसके बाद नदियों का जल प्रवाह बढऩे से उत्पादन में वृद्धि होती है। लेकिन, इस मर्तबा ये स्थिति नहीं है। जितना उत्पादन सर्दियों में हो रहा था, कमोबेश अब भी उतना ही है।
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि भले ही कम बिजली उत्पादन हो रहा हो, लेकिन प्रदेश में कहीं भी कटौती नहीं हो रही। बाजार समेत तमाम स्रोतों से डिमांड को पूरा किया जा रहा है। गैस आधारित परियोजनाओं से भी बिजली ली जा रही है।
अप्रैल में उत्पादन (27 अप्रैल तक)
2018, 201.86 एमयू
2017, 308.66 एमयू
2016, 221.42 एमयू
2015, 272.54 एमयू
2014, 234.90 एमयू
2013, 318.69 एमयू
2012, 298.30 एमयू
2011, 301.36 एमयू
बढ़ी बिजली मांग
27 अप्रैल, 41.06 एमयू
26 अप्रैल, 39.73 एमयू
25 अप्रैल, 40.19 एमयू
24 अप्रैल, 39.19 एमयू
23 अप्रैल, 37.50 एमयू
22 अप्रैल, 35.98 एमयू
21 अप्रैल, 38.33 एमयू
20 अप्रैल, 37.10 एमयू
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