मां बनने का ''शगुन'' अधूरा, तीन माह से सरकारी मदद बंद; जानें क्या है ईजा-बोई शगुन योजना?
ईजा-बोई शगुन योजना बजट की कमी के कारण तीन महीने से रुकी हुई है जिससे अस्पतालों में प्रसव कराने वाली महिलाओं को 2000 रुपये की आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल जैसे कई स्थानों पर प्रसव होने के बावजूद महिलाओं को लाभ नहीं मिल रहा है। सीएमओ ने कहा है कि बजट की मांग भेजी गई है और जल्द ही भुगतान किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ईजा-बोई शगुन योजना पिछले तीन माह से बजट के अभाव में ठप पड़ी है। अस्पतालों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रसव हो रहे हैं, लेकिन महिलाओं को योजना के तहत मिलने वाली दो हजार रुपये की सहायता राशि नहीं मिल पा रही है। परिणामस्वरूप संस्थागत प्रसव के बाद ''''शगुन'''' के लिए लाभार्थी महिलाओं को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
राजधानी स्थित दून मेडिकल कालेज अस्पताल में प्रतिदिन 30 से 35 प्रसव हो रहे हैं। वहीं, जिला चिकित्सालय में 8 से 10 प्रसव होते हैं। इसी तरह प्रेमनगर उप जिला अस्पताल व रायपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी नियमित प्रसव हो रहे हैं। मगर, इन सभी स्थानों पर प्रसव कराने वाली महिलाएं योजना के लाभ से वंचित हैं। तीन महीने से बंद भुगतान के चलते सिर्फ देहरादून में ही सैकड़ों लाभार्थी इंतजार में हैं। प्रदेशभर की बात करें तो यह आंकड़ा और बड़ा होगा।
क्या है ईजा-बोई शगुन योजना?
इस योजना के अंतर्गत अगर कोई गर्भवती महिला संस्थागत प्रसव कराती है और कम से कम 48 घंटे तक अस्पताल में रहती है, तो उसे दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता विशेष रूप से जच्चा-बच्चा के सुरक्षित स्वास्थ्य और देखभाल को ध्यान में रखकर दी जाती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राशि जननी सुरक्षा योजना से अलग है। जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपये और ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
सीएमओ बोले, जल्द होगा भुगतान
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि ईजा-बोई योजना के अंतर्गत मार्च माह तक का भुगतान किया जा चुका है। अप्रैल से अब तक का बजट लंबित है। डिमांड महानिदेशालय को भेज दी गई है और जैसे ही बजट स्वीकृत होगा, डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में राशि भेज दी जाएगी।
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