केदारनाथ आपदा में मृत व्यक्तियों के DNA मिलान के प्रयास बंद, अपनों ने बाबा केदार के भरोसे छोड़ दिए 702 सैंपल
प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग से 80 सब इंस्पेक्टर को विभिन्न प्रदेशों में भेजे थे। मृत्यु प्रमाणपत्र वितरित करने के साथ ही अन्य प्रदेशों में डीएनए सैंपल होने की जानकारी मृतकों के स्वजन तक पहुंचाई गई। अब 12 वर्ष गुजर चुके हैं, लेकिन इन सैंपल की किसी ने सुध नहीं ली और अब पुलिस मुख्यालय ने भी उम्मीद छोड़ दी है।
वर्ष 2013 में 15 व 16 जून को आपदा से क्षतिग्रस्त केदार घाटी। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। केदारनाथ में वर्ष 2013 की भीषण आपदा में मारे गए 702 व्यक्तियों के डीएनए सैंपल मिलाने के प्रयास अब पुलिस ने बंद कर दिए हैं। 12 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद भी इन डीएनए सैंपल के माध्यम से आपदा में खो गए अपनों की सुध लेने कोई आगे नहीं आ रहा है।
पहले जिन 6000 व्यक्तियों ने आपदा में मारे गए व्यक्तियों के डीएनए से मिलान के लिए अपने डीएनए सैंपल दिए थे, उनमें से 33 के सैंपल ही मिल पाए थे। आपदा के दंश से बेहाल स्वजन को राहत देने के लिए शासन ने मृत्यु प्रमाणपत्र देने में डीएनए सैंपल के मिलान को आधार नहीं बनाया तो संभवत: परिवार के सदस्यों ने भी इन सैंपल को बाबा केदार के भरोसे छोड़ दिया।
केदारनाथ की आपदा ऐसा दंश दे गई है, जिसे भूलना उत्तराखंड समेत पूरे देश के लिए आसान नहीं है। वर्ष 2013 में 15 व 16 जून की रात जल प्रलय के रूप में बरसी आपदा ने केदारनाथ धाम समेत पूरी घाटी में ऐसा तांडव मचाया, जिसमें हजारों अपनों से सदा के लिए बिछड़ गए। इनमें से बड़ी संख्या ऐसी रही, जिनके शव तक नहीं मिले। प्रदेश सरकार ने मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा 4400 माना है।
पहले 6000 ने दिखाया उत्साह, बाद में एक भी नहीं आया आगे
स्थानीय प्रशासन ने तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए आपदा में मारे गए 735 व्यक्तियों के डीएनए सैंपल जुटाए थे। उम्मीद की जा रही थी कि उत्तराखंड समेत जिन प्रदेशों से श्रद्धालु इस आपदा का शिकार हुए हैं, उनके स्वजन डीएनए मिलान के लिए आगे आएंगे। यद्यपि, देशभर में उत्साह दिखा और 6000 व्यक्ति ऐसे भी रहे, जिन्होंने अपनों की ढूंढ के लिए डीएनए सैंपल दिए।
इनमें से मात्र 33 सैंपल ही आपदा में मारे गए व्यक्तियों के डीएनए सैंपल से मैच कर पाए। शेष 702 डीएनए सैंपल से मिलान के लिए लंबी समयावधि बीतने के बाद भी कोई व्यक्ति आगे नहीं आया। मृत व्यक्तियों के स्वजन को मृत्यु प्रमाणपत्र मिलने में डीएनए सैंपल मिलाने की बाध्यता नहीं रखी गई।
यद्यपि, प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग से 80 सब इंस्पेक्टर को विभिन्न प्रदेशों में भेजे थे। मृत्यु प्रमाणपत्र वितरित करने के साथ ही अन्य प्रदेशों में डीएनए सैंपल होने की जानकारी मृतकों के स्वजन तक पहुंचाई गई। अब 12 वर्ष गुजर चुके हैं, लेकिन इन सैंपल की किसी ने सुध नहीं ली और अब पुलिस मुख्यालय ने भी उम्मीद छोड़ दी है। ‘डीएनए सैंपल मैच कराने के लिए विभाग ने वर्षों प्रतीक्षा की है। अब क्षीण संभावना देखते हुए डीएनए मिलान का कार्य भी बंद किया गया है।’
-अमित सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक एवं फारेंसिक लैब निदेशक
केदारनाथ आपदा में लापता कई व्यक्तियों का श्राद्ध उनके स्वजन सनातन धर्म के अनुसार नारायण नागबली त्रिपिंडी विधि से उनके स्वजन कर चुके हैं। अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्तियों के डीएनए सैंपल के मिलान का अब और प्रतीक्षा उचित प्रतीत नहीं होती। शेष सभी सैंपल का इसी प्रकार या अन्य शास्त्रोक्त विधि से बाबा केदार और बदरी विशाल के श्रीचरणों में पिंडदान करना उचित रहेगा।
-नरेशानंद नौटियाल, उपाध्यक्ष, चारधाम महापंचायत।
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