शिक्षा मंत्री की घोषणा नहीं हुई पूरी, भोजनमाताओं ने दी सड़कों पर उतरने की चेतावनी
मानदेय बढ़ाने को लेकर राज्य की भोजनमाताओं ने आंदोलन उग्र की चेतावनी दी है। लंबे समय से भोजनमाताएं मात्र दो हजार रुपये महीने के मानदेय पर काम कर रही हैं जबकि स्कूलों में भोजन पकाने के अलावा कई अन्य काम भी उनसे लिए जा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। मानदेय बढ़ाने को लेकर राज्य की भोजनमाताओं ने आंदोलन उग्र की चेतावनी दी है। लंबे समय से भोजनमाताएं मात्र दो हजार रुपये महीने के मानदेय पर काम कर रही हैं, जबकि स्कूलों में भोजन पकाने के अलावा कई अन्य काम भी उनसे लिए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री उनका मानदेय प्रतिमाह दो हजार से 5000 हजार करने की घोषणा भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें पुराना मानदेय ही मिल रहा है।
उत्तराखंड भोजनमाता कामगार यूनियन की प्रांतीय महामंत्री मोनिका ने कहा कि बीते दिनों खटीमा में भोजनमाताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता की और मानदेय की मांग रखी। जिस पर उन्होंने आश्वस्त किया कि भोजन माताओं का मामला आगामी कैबिनेट में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि आगामी कैबिनेट में मांग नहीं रखी तो राज्यभर की भोजनमाताएं सड़कों पर उतर कर विरोध करेंगी। वहीं, उत्तराखंड भोजनमाता संगठन के संरक्षक जगदीश गुप्ता ने कहा कि लंबे समय से मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन इसके बाद भी मांग को अनदेखा किया जा रहा है। जिससे भोजनमाताओं में रोष है। रविवार को चकराता में बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी।
पूर्व में भी नगर शिक्षा अधिकारी से की थी शिकायत
उत्तराखंड भोजनमाता कामगार यूनियन की महामंत्री मोनिका ने कहा कि बीते छह अगस्त को यूनियन ने नगर शिक्षा अधिकारी के समक्ष भोजन माताओं को पांच हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का शासनादेश जल्द जारी करने, कामगार का दर्जा देने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने विद्यालयों में भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य करवाने की शिकायत भी की। कहा कि वर्षो से संघर्ष करने के बावजूद सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
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