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उत्तराखंड में फीस एक्ट को लेकर सीएम और शिक्षा मंत्री में तनातनी

प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने में देरी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को नागवार गुजर रही है। इसे लेकर सीएम और शिक्षा मंत्री बीच तनातनी के संकेत मिल रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 09:12 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 11:01 AM (IST)
उत्तराखंड में फीस एक्ट को लेकर सीएम और शिक्षा मंत्री में तनातनी
उत्तराखंड में फीस एक्ट को लेकर सीएम और शिक्षा मंत्री में तनातनी

देहरादून, राज्य ब्यूरो। निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने को फीस एक्ट को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बीच तनातनी के संकेत हैं। मंत्री के निर्देश के बावजूद शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से फीस एक्ट के लिए जिलाधिकारियों को गाइडलाइन नहीं भेजने के पीछे उच्च स्तर से पड़े दबाव को वजह माना जा रहा है। 

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इससे खफा शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि आदेशों की नाफरमानी को लेकर वह सचिव की शिकायत सीएम से करेंगे। यही नहीं दुर्गम से सुगम में शिक्षकों के तबादलों पर लगी रोक से भावुक हुए अरविंद पांडे ने कहा कि वह शिक्षा मंत्री रहे तो शिक्षकों को न्याय जरूर दिलाएंगे। 

प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने में देरी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को नागवार गुजर रही है। उन्होंने फीस एक्ट पर जिलाधिकारियों से सुझाव लेने के लिए बीती 17 जुलाई को सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को विधानसभा बुलाकर निर्देश दिए थे। 

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने विधानसभा में मीडिया से बातचीत में कहा कि सचिव ने निर्देशों के बावजूद जिलाधिकारियों को फीस एक्ट पर सुझाव लेने के लिए गाइडलाइन नहीं भेजी। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने की वजह से वह बीते माह अप्रैल में नए शिक्षा सत्र के दौरान दिशा-निर्देश नहीं दे पाए। इस वजह से निजी स्कूलों ने हर स्तर पर मनमानी बरती। इससे अभिभावकों में अभी तक असंतोष है। एनसीईआरटी की किताबों के साथ ही निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से अन्य किताबें भी लेने को छात्रों को विवश किया। इससे अभिभावकों और छात्रों का उत्पीड़न हुआ। 

सूत्रों की मानें तो सचिव के इस रुख के लिए उच्च स्तर से पड़ने वाले दबाव को कारण माना जा रहा है। यही नहीं शिक्षकों के तबादलों पर लगी रोक से असहज मंत्री ने कहा कि तबादला एक्ट के मुताबिक उन्होंने वर्षो से दुर्गम में कार्यरत शिक्षकों को राहत दिलाने के लिए सुगम में भेजने के निर्देश दिए थे, लेकिन सुगम में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी। इससे शिक्षकों में असंतोष है।

तबादले नहीं होने से व्यथित शिक्षा मंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि वह शिक्षा मंत्री रहे तो दुर्गम में वर्षो से तैनात शिक्षकों को न्याय दिलाएंगे। मंत्री के इस रुख को बीते दिनों तबादलों पर लगी रोक और देहरादून जिले में सीईओ प्रकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि देहरादून में मुख्य शिक्षा अधिकारी पद पर मुख्यमंत्री की ओर से की गई तैनाती से वह सहमत हैं।

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