Uttarakhand: दून घाटी में 31 फाल्ट सक्रिय, नये जोन छह के बाद सतर्कता की जरूरत
उत्तराखंड में भूकंप का खतरा बढ़ गया है। दून घाटी में 31 फाल्ट सक्रिय हैं और इसे जोन छह में शामिल किया गया है, जिससे खतरा और बढ़ गया है। वाडिया हिमालय ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर।
सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून: दून घाटी क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अब जोन चार व पांच में नहीं बल्कि, इससे भी अधिक संवेदनशील जोन छह में है। भारतीय मानक ब्यूरो के नये सिस्मिक हजार्ड मैप में हिमालयन आर्क के तहत शामिल दून घाटी में धरातलीय संवेदनशीलता की कहानी पहले से लिखी जा चुकी है।
यही कारण है कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने जब वर्ष 2041 तक के लिए जीआइएस आधारित मास्टर प्लान बनाया तो उसमें भूकंपीय फाल्ट को नजरअंदाज नहीं किया गया। बल्कि फाल्ट क्षेत्र में भवन निर्माण के लिए सख्त प्रविधान किए जा हैं। यह बात और है कि लंबे समय बाद भी नया मास्टर प्लान धरातल पर लागू नहीं हो पाया है।
इस मास्टर प्लान को मौजूदा रूप में ही इसलिए लागू करना आवश्यक है, क्योंकि यहां हिमालय की उत्पत्ति के समय अस्तित्व में आए ऐतिहासिक फाल्ट (भ्रंश) मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) व हिमालयन फ्रंटल ट्रस्ट (एचएफटी) गुजर रहे हैं। इसके साथ ही दून में छोटे-बड़े 29 फाल्ट/थ्रस्ट भी सक्रिय हैं। इसका मतलब यह है कि समूचे क्षेत्र में कभी भी बड़े भूकंप आ सकते हैं।
फाल्ट के 50 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित की संस्तुति पर अमल आवश्यक
भारतीय मानक ब्यूरो के हिमालयन आर्क को अब जोन छह में रखने की यही मंशा है कि इस पूरे क्षेत्र में भवन निर्माण के मानकों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता और संवेदनशीलता बरती जाए।
हालांकि, एमडीडीए इससे पहले ही संवेदनशीलता की कड़ी से जुड़ गया था और नये मास्टर प्लान में फाल्ट लाइन के सेंटर से दोनों तरफ 50 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित करने की संस्तुति की गई है।
भूकंपीय फाल्ट लाइन के हिसाब से भी जोनिंग करने वाला संभवतः यह देश का पहला मास्टर प्लान होगा। लेकिन, जरूरत इस संस्तुति को अमल में लाने की है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह बड़ी चुनौती भी होगी।
फाल्ट के दायरे में हैं दून के 25 क्षेत्र, बफर जोन भी तय
दून के करीब 25 क्षेत्र ऐसे हैं, जिनसे फाल्ट लाइन क्रास कर रही है या इनके करीब से गुजर रही है। फाल्ट लाइनों के 50 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगाने की संस्तुति के साथ 100 मीटर तक बफर जोन भी तय किया गया है। बफर जोन में निर्माण की अनुमति रहेगी, लेकिन यहां लो राइज (कम ऊंचाई वाले) निर्माण ही किए जा सकेंगे।
वाडिया का अध्ययन आया काम
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. आरजे पेरुमल ने 'एक्टिव टेक्टोनिक्स आफ कुमाऊं एंड गढ़वाल हिमालय' नाम से तमाम फाल्ट लाइन पर अध्ययन किया है। इसी अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि दून के तमाम क्षेत्रों से 29 छोटे-बड़े फाल्ट गुजर रहे हैं।
फाल्ट लाइन की मैपिंग को नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने वाडिया संस्थान से प्राप्त कर मास्टर प्लान में सटीक कोर्डिनेट्स के साथ प्लाट किया गया है।
इन क्षेत्रों से गुजर रही फाल्ट लाइन
भैंसवाड़ गांव, सरखेत, तिमली मान सिंह, नाथुआवाला, काला गांव, दुगल गांव, राजपुर, चालंग, तरला नागल, डांडा धोरण, चकतुनवाला, भंडार गांव, सिडकुल आइटी पार्क क्षेत्र, आमवाला उपरला, आमवाला करनपुर, मोहकमपुर खुर्द, हटवाल गांव, पुरकुल, सलान गांव, धर्मपुर (रिस्पना नदी वाला क्षेत्र), केदारपुर, गुजराड़ा मान सिंह, अंबीवाला। नोट: फाल्ट लाइन कुछ क्षेत्रों को क्रास कर रही है, जबकि कई क्षेत्रों के करीब से गुजर रही है।
15 हजार से पांच लाख साल पुराने हैं फाल्ट
दून के विभिन्न हिस्सों से जो 29 फाल्ट गुजर रहे हैं, उनके अस्तित्व में आने की अवधि आज से 15 हजार साल पहले से लेकर पांच लाख वर्ष है।
प्रमुख सक्रिय फाल्ट
डूंगाखेत (चार), बरवा, कोटड़ा, बिरसनी, दुधई (दो), डूंगा, बिधौली, बडीवाला, राजौली (पांच), कुम्हार हट्टी (तीन), तिलवाड़ी (दो), डूंगा
ब्लाक, मांडुवाला, कंसवाली (दो), पौंधा (दो)।
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