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    Earthquake In Uttarakhand: देहरादून में अट्टालिकाओं के आगे भूकंप की चेतावनी बौनी, यहां 29 फाल्ट हैं सक्रिय

    By Suman semwalEdited By: Sunil Negi
    Updated: Wed, 09 Nov 2022 10:19 PM (IST)

    Earthquake In Dehradun दो ऐतिहासिक भूकंपीय फाल्ट लाइन के साथ 29 फाल्ट सक्रिय होने के बाद भी अवैध निर्माण पर अंकुश नहीं है। 30 डिग्री के ढाल पर निर्माण पर रोक के अपने ही नियम को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण भूला।

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    Earthquake In Dehradun नेपाल में आए 6.3 मैग्नीट्यूट के भूकंप का कंपन देहरादून समेत समूचे उत्तराखंड में महसूस किया गया।

    सुमन सेमवाल, देहरादून। Earthquake In Dehradun नेपाल में मंगलवार को मध्य रात्रि के बाद आए 6.3 मैग्नीट्यूट के भूकंप का कंपन देहरादून समेत समूचे उत्तराखंड में महसूस किया गया। भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जोन चार और पांच में आने वाली दूनघाटी के लिए यह भूकंप चेतावनी से कम नहीं है। क्योंकि, यहां निरंतर खड़ी होने वाली अट्टालिकाओं के आगे भूकंप की चेतावनी को अनदेखा किया जाता रहा है।

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    दूनघाटी पर्यावरणीय और भौगोलिक दोनों लिहाज से संवेदनशील है। यही कारण है कि भवनों की ऊंचाई के एक समान मानक की जगह फुटहिल क्षेत्रों के लिए अलग मानक भी बनाए गए हैं। यह बात और है कि सिर्फ लैंडयूज और बिल्डिंग बायलाज तक खुद को सीमित रखने वाला मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) भूकंप के लिहाज से संवेदनशील नजर नहीं आता।

    भूकंप के 29 से अधिक सक्रिय फाल्ट

    दूनघाटी में पांच लाख से एक करोड़ साल पुराने शहंशाही आश्रम फाल्ट या मेन बाउंड्री थ्रस्ट के साथ मोहंड फाल्ट (हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट) है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में 29 अन्य भूकंपीय फाल्ट लाइन भी हैं। इन पर बड़े-बड़े निर्माण भी किए जा चुके हैं। भवनों के निर्माण के लिए नक्शा पास करते समय भूकंपरोधी निर्माण को लेकर अधिकारी सिर्फ औपचारिकता पूरी करते नजर आते हैं।

    कहां गया 30 डिग्री ढाल पर प्रतिबंध का नियम

    एमडीडीए ने वर्ष 2015 में अपने बिल्डिंग बायलाज में प्रविधान किया था कि 30 डिग्री व इससे अधिक ढाल पर भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, इस नियम के प्रति अधिकारी सुस्त बने रहे। यही कारण है कि तमाम फुटहिल क्षेत्रों में पहाड़ी को काटकर समतल कर निर्माण किया जाता रहा। मसूरी रोड, पुरकुल, कैरवान गांव, बिधौली समेत तमाम क्षेत्रों में बहुमंजिला निर्माण इस अनदेखी की कहानी बयां करते हैं।

    जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़

    दूनघाटी की संवेदनशीलता को देखते हुए यहां फुटहिल क्षेत्र (जहां पहाड़ व मैदान मिलते हैं) घोषित किए गए हैं। यहां भवनों की अधिकतम ऊंचाई को 30 मीटर से घटाकर 21 मीटर किया गया है। अधिकारी फुटहिल क्षेत्रों में सिर्फ अधिकतम ऊंचाई को देख रहे हैं। यह जानने का भी प्रयास नहीं किया जा रहा कि संबंधित स्थल पर कहीं पहाड़ को काटकर मैदान तो नहीं बना दिया गया या वहां जमीन की क्षमता कितनी है।

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    तकनीकी दक्षता से दूर, सिर्फ नक्शा पास करने वाली एजेंसी बना एमडीडीए

    एमडीडीए भूकंप के लिहाज से संवेदनशील दून में तकनीकी दक्षता से हटकर सिर्फ नक्शा पास करने वाली एजेंसी बनकर रह गया है। जबकि, होना यह चाहिए था कि भवन के निर्माण व ऊंचाई के मानक के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारती भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जैसी एजेंसी से सिस्मिक माइक्रोजोनेशन की रिपोर्ट प्राप्त की जाती। साथ ही तमाम फाल्ट लाइन वाले क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त कर नए मानक तैयार किए जाते।

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