Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घर से बॉक्सिंग रिंग तक शक्ति का प्रतीक दुर्गा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 05:02 AM (IST)

    दृढ़ इच्छाशक्ति और जुझारूपन की मिसाल है दून की महिला बॉक्सिंग प्रशिक्षक दुर्गा थापा क्षेत्री। दुर्गा के तैयार किए मुक्केबाज राष्ट्रीय फलक पर सूबे का नाम रोशन कर रहे हैं।

    घर से बॉक्सिंग रिंग तक शक्ति का प्रतीक दुर्गा

    देहरादून, [गौरव गुलेरी]: चार बार विश्व चैंपियन रही महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम को कौन नहीं जानता। मां बनने के बाद भी उन्होंने दमदार पंचों से विश्व में धाक जमाकर नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश की। साथ ही यह भी कर दिखाया कि दोहरी भूमिका कैसे निभाई जा सकती है। मैरीकॉम की तरह दृढ़ इच्छाशक्ति और जुझारूपन की मिसाल है दून की महिला बॉक्सिंग प्रशिक्षक दुर्गा थापा क्षेत्री। मां और प्रशिक्षक की दोहरी भूमिका निभा रही दुर्गा के तैयार किए मुक्केबाज राष्ट्रीय फलक पर सूबे का नाम रोशन कर रहे हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एथलेटिक्स छोड़ पहने बॉक्सिंग ग्लब्स

    दुर्गा ने खेल कॅरियर की शुरुआत एथलेटिक्स से की। उत्तराखंड निर्माण से पहले 1996 से लेकर 1999 तक दुर्गा ने राष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स में कई पदक जीते। शायद उन्हें बॉक्सिंग में कुछ कर दिखाना था। 2000 में दुर्गा ने अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज पदम बहादुर मल्ल से प्रभावित होकर स्पाइक्स उतारकर बॉक्सिंग ग्लब्स पहन लिए। 2004 तक उन्होंने नॉर्थ जोन, सीनियर नेशनल आदि प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपने दमदार पंचों के दम पर पदक हासिल किए। 2005 में उन्होंने एनआइएस डिप्लोमा कर बतौर प्रशिक्षक कॅरियर की शुरुआत की। 

    2012 में वह बतौर कोच भारतीय जूनियर महिला बॉक्सिंग टीम के प्रशिक्षण शिविर में जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। उन्होंने दो बार इंडिया कैंप भी किया। एक कैंप में वह मैरीकॉम के साथ रहीं। बतौर प्रशिक्षक दुर्गा के तैयार किए मुक्केबाज निशा, निवेदिता, नेहा सिंह, अमिता, नंदन तिवारी आदि राष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर रहे हैं। उनके तराशे मुक्केबाज सेना का हिस्सा बनकर देश सेवा भी कर रहे हैं। वर्तमान में उनसे बॉक्सिंग का ककहरा सीखने वाले युवा मुक्केबाज आशीष इन दिनों राष्ट्रीय जूनियर बॉक्सिंग शिविर में हैं। 

    मां व प्रशिक्षक की दोहरी जिम्मेदारी  

    2009 में पंकज क्षेत्री से विवाह के बाद भी दुर्गा बॉक्सिंग ङ्क्षरग से दूर नहीं रह सकी। 2010 में मातृत्व सुख पाने वाली दुर्गा ने बतौर कोच अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा। दो पुत्रों की मां दुर्गा वर्तमान में आर्मी पब्लिक स्कूल बीरपुर के साथ ही खेल विभाग के प्रशिक्षण शिविर में बतौर बॉक्सिंग प्रशिक्षक भावी मुक्केबाज तैयार करने में जुटी हैं। व्यस्त दिनचर्या के बीच घर की जिम्मेदारी के साथ ही बच्चों की देखभाल भी बखूबी करती हैं।

    पति पंकज क्षेत्री भी सहयोगी की तरह दुर्गा को हर कदम पर प्रेरित करते रहते हैं। स्कूल में बतौर प्रशिक्षक ड्यूटी करने के साथ ही बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में पूरी जिम्मेदारी के साथ भूमिका निभा रही हैं। कहती हैं, घर हो या बॉक्सिंग रिंग मैं एक अभिभावक की तरह ही बच्चों को प्रेरित करती हूं। मेरा एक शिष्य अभी जूनियर नेशनल कैंप में है। उम्मीद है कि वह भारतीय टीम में शामिल होकर देश के लिए पदक जीतेगा।

    वहीं, बालिका मुक्केबाज सिमरन का कहना है कि तीन साल से दुर्गा मैडम से कोचिंग ले रही हूं। उनकी बदौलत ही राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने में कामयाब हुई हूं।

    वहीं, बालिका मुक्केबाज शिवानी का कहना है कि वह कोच होने के साथ अभिभावक की तरह हमारी खामियों को दूर करने में मदद करती हैं। उनसे बॉक्सिंग सीखकर राष्ट्रीय स्तर पहुंची हूं।

    वहीं, बालिका मुक्केबाज सोनम मुझे बॉक्सिंग की प्रेरणा दुर्गा मैडम से मिली। उनसे बॉक्सिंग के गुर सीखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की चाह है।

    यह भी पढ़ें: हिम ज्योति स्कूल और एफसी दून बने फुटबाल चैंपियन

    यह भी पढ़ें: क्रिकेटर मानसी के लिए दक्षिण अफ्रीकी दौरा खोलेगा विश्व कप की राह