दवाओं के साइड इफेक्टस की रिपोर्टिंग हुई आसान, QR कोड और टोल-फ्री नंबर से मिलेगी सुविधा
प्रदेशभर की खुदरा और थोक दवा दुकानों पर फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम आफ इंडिया (पीवीपीआइ) का क्यूआर कोड और टोल-फ्री नंबर प्रदर्शित किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की इस पहल से उपभोक्ताओं को दवा टीका या चिकित्सा उपकरण से होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी सीधे रिपोर्ट करने में आसानी होगी। भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने एक स्वदेशी सॉफ्टवेयर बनाया है जिससे दवाओं से जुड़े प्रतिकूल प्रभावों का प्रबंधन हो सकेगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेशभर की खुदरा और थोक दवा दुकानों पर अब फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम आफ इंडिया (पीवीपीआइ) का क्यूआर कोड और टोल-फ्री नंबर (1800-180-3024) प्रदर्शित किया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को किसी भी दवा, टीका या चिकित्सा उपकरण से होने वाले दुष्प्रभाव (एडवर्स ड्रग रिएक्शन – एडीआर) की जानकारी सीधे रिपोर्ट करने में सुविधा होगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर पीवीपी की शुरुआत मरीजों की सुरक्षा के उद्देश्य से की गई है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दवाओं के लाभ उनके संभावित हानिकारक प्रभावों से अधिक हों।
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) द्वारा विकसित स्वदेशी सॉफ्टवेयर एडवर्स ड्रग रिएक्शन मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से अब दवाओं, टीकों और चिकित्सा उपकरणों से जुड़े सभी प्रतिकूल प्रभावों का एकीकृत प्रबंधन किया जा सकेगा।
अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय समन्वय केंद्र की ओर से यह देशव्यापी पहल उपभोक्ता सहभागिता बढ़ाने के लिए की जा रही है। सभी खुदरा और थोक दवा विक्रेताओं से अपने प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड और टोल-फ्री नंबर प्रदर्शित करने को कहा गया है।
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि इस कदम से आम जनता को दवाओं के दुष्प्रभाव की रिपोर्ट सीधे दर्ज कराने में आसानी होगी और स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाया जा सकेगा। क्यूआर कोड पीवीपीआइ की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
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