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नशा मुक्ति केंद्रों पर नहीं किसी का नियंत्रण, युवाओं को नशे से दूर करने की एवज में काली करतूतों को दे रहे अंजाम

समाज सेवा की ठेकेदार कुछ संस्थाएं युवाओं को नशे से दूर करने की एवज में काली करतूतों को अंजाम दे रही हैं। जिम्मेदारों को इसकी भनक भी नहीं लग पाती। न कोई निगरानी रखने वाला है न केंद्रों की कोई जवाबदेही।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 10:30 AM (IST)
नशा मुक्ति केंद्रों पर नहीं किसी का नियंत्रण।

विजय जोशी, देहरादून। समाज सेवा की 'ठेकेदार' कुछ संस्थाएं युवाओं को नशे से दूर करने की एवज में काली करतूतों को अंजाम दे रही हैं। जिम्मेदारों को इसकी भनक भी नहीं लग पाती। न कोई निगरानी रखने वाला है, न केंद्रों की कोई जवाबदेही। हमारे सिस्टम की यह खामी नशा मुक्ति केंद्र संचालकों के हौसले बढ़ा रही है। बैठे-बैठाए मोटी कमाई और मनमर्जी करने की छूट के चलते शहर में नशा मुक्ति केंद्रों की बाढ़ सी आ गई है। इन केंद्रों की निगरानी की न तो किसी विभाग के पास जिम्मेदारी है और न ही इनके लिए कोई मानक हैं। ऐसे में लगातार सामने आ रहे दुष्कर्म और उत्पीड़न के मामलों ने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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दरअसल, दून में युवाओं की नशाखोरी की लत को कुछ व्यक्तियों ने कमाई का जरिया बना लिया है। नशा छुड़ाने के नाम पर युवाओं के स्वजन मोटी रकम चुकाने को तैयार रहते हैं और नशा मुक्ति केंद्र में उन्हें संचालक के भरोसे छोड़ देते हैं। अब बिना पंजीकरण के चल रहे निजी नशा मुक्ति केंद्रों में क्या होता है, किसी को नहीं पता। इन केंद्रों में मनोरोग विशेषज्ञ तो दूर काउंसिलिंग के लिए भी कोई नहीं मिलता। जबकि, ये केंद्र एक-एक व्यक्ति से 30 से 50 हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। यहीं नहीं, इसके बाद बंद कमरों में युवक-युवतियों के साथ दुष्कर्म और उत्पीड़न की घटनाएं भी आम हो गई हैं।

नशा मुक्ति केंद्रों पर कौन करेगा कार्रवाई

नशा मुक्ति केंद्रों के लिए मानक निर्धारण कौन करता है और इनकी निगरानी व जांच का जिम्मा किसके पास है, यह पहेली बना हुआ है। दून में चल रहे दर्जनों नशा मुक्ति केंद्रों में से कोई भी स्वास्थ्य विभाग के साथ पंजीकृत नहीं है। इनकी जानकारी के लिए जब 'दैनिक जागरण' की टीम ने प्रशासन, पुलिस, समाज कल्याण और स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया तो एक ही जवाब मिला कि हमारे पास इनकी निगरानी का जिम्मा नहीं है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा मनोज उप्रेती का कहना है कि क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नशा मुक्ति केंद्र नहीं आते। हालांकि, यदि कोई नशा मुक्ति केंद्र दवा और इंजेक्शन का इस्तेमाल करता है, तो उनकी निगरानी स्वास्थ्य विभाग करता है। फिलहाल कोरोना महामारी से निपटने में व्यस्त होने के कारण इन केंद्रों पर छापेमारी नहीं की जा सकी। जल्द ही नशा मुक्ति केंद्रों पर इसकी जांच की जाएगी।

जिलाधिकारी डा आर राजेश कुमार ने कहा, नशा मुक्ति केंद्रों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। इनके मानक और पंजीकरण आदि की जानकारी जुटाई जा रही है। केंद्रों की निगरानी को व्यवस्था बनाई जाएगी। गलत कार्य व मानकों का उल्लंघन करने वाले केंद्रों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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