Updated: Thu, 14 Aug 2025 08:42 PM (IST)
उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम चल रहा है। उत्तरकाशी आपदा के बाद हवाई संपर्क की महत्ता को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। पहले चरण में गढ़वाल और कुमाऊं के तीन-तीन जिलों को ड्रोन कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। यूसैक के निदेशक के अनुसार ड्रोन सेवाएं समय की मांग हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश में हाल ही में उत्तरकाशी में आई आपदा ने हवाई संपर्क की महत्ता को परिलक्षित किया है। इसके साथ ही प्रदेश में ड्रोन कारिडोर बनाने की योजना पर तेजी लाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए जल्द ही कारिडोर का खाका खींचने के लिए कंपनियों को फिर से आमंत्रित किया जाएगा।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां सड़क मार्ग ही आवाजाही का प्रमुख साधन है। कई बार आपदा में सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त होने पर व्यवस्था प्रभावित होती है। इससे आवश्यक सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आई आपदा में यह देखा जा चुका है।
इसमें हवाई संपर्क काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। हवाई सेवाओं के जरिये आपदा व राहत कार्य तेजी से चलाए जा सकते हैं। इसे देखते हुए अब प्रदेश में ड्रोन सेवाओं को भी गति दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है। पूर्व में स्वास्थ्य विभाग देहरादून से उत्तरकाशी तक वैक्सीन, दवाएं व रक्त की थैली पहुंचाने में ड्रोन का सफलतापूर्वक उपयोग कर चुका है।
यह मार्ग ड्रोन कारिडोर के रूप में स्वीकृत हो चुका है। इसे देखते हुए सरकार ने सभी जिलों को ड्रोन कारिडोर से जोडऩे की योजना बनाई। इसके लिए पहले चरण में गढ़वाल व कुमाऊं के तीन-तीन जिलों को जोडऩे का निर्णय लिया गया। इसके लिए डीजीसीए से अनुमति मिल चुकी है।
डीजीसीए ने साफ किया है कि इसमें डीजी स्काई द्वारा तैयार एयरमैप के अनुसार ही कारिडोर बनाया जाए। इसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी विभाग कारिडोर बनाने के लिए कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। प्रदेश में ड्रोन का कार्य यूसैक को सौंपा गया है।
यूसैक के निदेशक प्रो दुर्गेश पंत का कहना है ड्रोन सेवाएं अब समय की मांग बन गई है। इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।