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नींव के पत्थर से आगे नहीं बढ़ा दून विश्वविद्यालय परिसर में शोध संस्थान

दून विश्वविद्यालय परिसर में प्रस्तावित डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध व अध्ययन संस्थान नींव के पत्थर से आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:17 PM (IST)
नींव के पत्थर से आगे नहीं बढ़ा दून विश्वविद्यालय परिसर में शोध संस्थान
नींव के पत्थर से आगे नहीं बढ़ा दून विश्वविद्यालय परिसर में शोध संस्थान

देहरादून, अशोक केडियाल। दून विश्वविद्यालय परिसर में प्रस्तावित डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध व अध्ययन संस्थान नींव के पत्थर से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जबकि नौ फरवरी 2018 को संस्थान के शिलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एलान किया था कि संस्थान का भवन एक साल के भीतर बनकर तैयार हो जाएगा। नौ फरवरी 2019 को डॉ. नित्यानंद की जयंती के मौके पर इसका लोकार्पण किया जाएगा, इस संबंध में सीएम ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित भी किया था। लेकिन, ठीक 11 महीने बाद निर्माण के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई।

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हिमालय शोध संस्थान का नाम डॉ. नित्यानंद के नाम पर शुरू करने की प्रदेशभर के शिक्षाविद एवं भूगोल के विशेषज्ञों ने सराहना की। शिलान्यास समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल भी मौजूद रहे थे, उन्होंने सरकार के इस फैसले की सराहना की थी। मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा था कि शोध संस्थान करीब ढाई बीघा भूमि में बनेगा और इसके निर्माण में तकरीबन 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सीएम ने संस्थान शुरू करने को डॉ. नित्यानंद को सच्ची श्रद्धांजलि और वैज्ञानिकों की जिज्ञासा और वर्तमान समय की आवश्यकताओं को देखते हुए हिमालय पर वृहद स्तर पर शोध के लिए जरूरी बताया था।

शोध एवं अध्ययन संस्थान को लेकर सरकार है गंभीर

डॉ. सीएस नौटियाल (कुलपति दून विवि) का कहना है कि डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन संस्थान को लेकर सरकार गंभीर है। दून विवि की कार्य परिषद ने संस्थान में भूगोल एवं भूगर्भ एमए व एमएससी की कक्षाओं को शुरू करने की मंजूरी दे दी है। संस्थान भवन निर्माण के लिए सरकार ने धनराशि भी स्वीकृत कर दी है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। तकनीकी कारणों से जरूर निर्माण शुरू होने में कुछ देरी हुई है।

समाज सेवा में समर्पित था नित्यानंद का जीवन 

डॉ. नित्यानंद का जन्म नौ फरवरी 1926 को आगरा में हुआ था। कुछ समय बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से देश सेवा का व्रत लिया। 1944 में संघ प्रचारक बनकर उन्होंने आगरा और फिरोजाबाद में कार्य किया। उन्होंने विवाह नहीं किया। वर्ष 1960 में अलीगढ़ से भूगोल में पीएचडी करने के बाद वह 1965 तक अलीगढ़ बीएस कॉलेज में बतौर भूगोल विभागाध्यक्ष रहे। इसके बाद उन्होंने हिमालय को सेवाकार्य के लिए अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। उन्होंने वर्ष 1965 में दून स्थित डीबीएस कॉलेज में बतौर भूगोल रीडर ज्वाइन किया। इस बीच 1975 में आपातकाल के दौरान डॉ. नित्यानंद जेल भी गए। वह 19 महीने बाद 1977 में जेल से रिहा हुए और 1985 तक डीबीएस कॉलेज में भूगोल के विभागाध्यक्ष भी रहे। डीबीएस से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने उत्तरकाशी जिले में सेवा आश्रम मनेरी की शुरुआत की और यहां रहकर लंबे समय तक हिमालय के भौगोलिक परिवेश एवं पर्यावरणीय परिवर्तन का अध्ययन किया। आठ जनवरी 2016 को उन्होंने देहरादून में अंतिम सांस ली।

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