सूचना के लिए दून की जद्दोजहद सबसे अधिक, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
दूनवासी महज आरटीआइ की अर्जी दाखिल करने तक सीमित नहीं रहते हैं। वो हर हाल में सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाने तक से भी पीछे नहीं हैं।
देहरादून, सुमन सेमवाल। अपने हक के लिए दूनवासी महज आरटीआइ की अर्जी दाखिल करने तक सीमित नहीं रहते हैं। वो हर हाल में सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाने तक से भी पीछे नहीं हैं। इसकी तस्दीक सूचना आयोग के आंकड़े कर रहे हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम के 14वीं स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात सामने आई कि सूचना न दिए जाने के चलते प्रदेशभर में जितनी अपील दाखिल की जाती है, उसमें अकेले दून के लोगों का आंकड़ा 37.78 फीसद है। वहीं, प्रदेशभर का औसत देखा जाए तो जितने आरटीआइ आवेदन अब तक दाखिल किए गए हैं, उसमें अपील करने वालों की संख्या महज 3.02 फीसद है।
प्रदेश में अपील की यह संख्या इस बात का प्रमाण नहीं है कि 96.98 फीसद आवेदकों को आसानी से सूचना मिल जा रही है, बल्कि इसका आशय यह है कि बड़ी संख्या में लोग सूचना आयोग में अपील करने की जहमत ही नहीं उठाते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में 9.33 लाख से अधिक सूचना के अधिकार के आवेदन दाखिल करने के बाद भी अपीलों की संख्या 28 हजार के करीब सिमटी है। इन अपीलों में भी 10.59 हजार से अधिक अपीलें दाखिल करने का साहस अकेले दूनवासियों ने उठाया है। दून की अपीलों के इस आंकड़े के इर्द-गिर्द अधिक जनसंख्या वाले हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर नगर जैसे जिले भी नहीं हैं।
जिलेवार अपीलों की स्थिति
देहरादून, 10,599
हरिद्वार, 6,319
ऊधमसिंहनगर, 3096
नैनीताल, 2483
पौड़ी, 1791
टिहरी, 859
अल्मोड़ा, 799
चमोली, 520
उत्तरकाशी, 489
पिथौरागढ़, 411
चंपावत, 280
बागेश्वर, 216
रुद्रप्रयाग, 186
आरटीआइ का सबक नहीं सीख रहा शिक्षा विभाग
सूचना न देने के मामले में शिक्षा विभाग प्रदेश में अव्वल स्थान पर है। यही वजह है कि सूचना आयोग में सर्वाधिक अपीलें शिक्षा विभाग (स्कूली, उच्च व तकनीकी शिक्षा) के खिलाफ दाखिल की गई हैं।
सूचना देने में आनाकानी करने के मामले में राजस्व विभाग दूसरे स्थान पर है। इसी तरह ग्रामीण विकास, शहरी विकास, गृह व ऊर्जा में भी अपीलों की संख्या अधिक हैं।
इनके खिलाफ अधिक अपील
विभाग, संख्या
शिक्षा, 5710
राजस्व, 4651
ग्रामीण विकास, 2728
शहरी विकास, 1962
गृह विभाग, 1518
ऊर्जा, 1388
वन, 881
चिकित्सा, 880
लोनिवि, 848
आयोग में अपील निस्तारण की दर घटी
सूचना आयोग की कार्यक्षमता भी दिनों दिन घट रही है। अपीलों के निस्तारण के दर से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। नवंबर 2005 से मार्च 2019 तक लंबित प्रकरणों के निस्तारण की दर 97.12 फीसद थी, जो इसके बाद घटकर 81.55 फीसद पर आ गई है। यानी कि यह दर 15.57 फीसद कम हो गई। इसी तरह प्राप्त शिकायतों की निस्तारण की दर पहले 99.01 फीसद थी, जो अब 91.05 फीसद पर आकर सिमट गई है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि अपीलों के निस्तारण में लंबा समय लग रहा है। अन्य राज्यों से आने वाली अपीलों को मिलाकर अब तक कुल 29 हजार 451 अपील दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें से 30 दिन के भीतर सिर्फ 1240 अपीलों का ही निपटारा हो गया।
अपीलों के निस्तारण की अवधि
निपटारा अवधि, संख्या
30 दिन के भीतर, 1240
31 से 60 दिन, 5415
61 से 90 दिन, 6579
91 से 180 दिन, 9535
181 से 365 दिन, 3636
365 दिन से अधिक, 984
अपील दाखिल करने में महिलाओं का आंकड़ा 7.39 फीसद
सूचना आयोग में अपील दाखिल करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ना के बराबर है। अब तक आयोग में 2029 महिलाओं ने ही अपील दाखिल की हैं। वहीं, पुरुषों की संख्या कहीं अधिक 27 हजार 434 है।
चेहरा देखकर आयुक्तों की नियुक्ति होगी तो चिंता की बात
केंद्र सरकार ने आरटीआइ एक्ट की धारा 13, 16 और 27 में संशोधन किए हैं। ये धाराएं सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, कार्यकाल और उनके दर्जे को परिभाषित करती हैं। लिहाजा, इसका सूचना आयोगों की स्वायत्ता व स्वतंत्रता की धारा 13(3) से मतलब नहीं है। ऐसे में अभी इस पर चिंता करने जैसी बात नहीं है, मगर यदि उक्त संशोधन से सरकार चेहरा देखकर आयुक्तों की नियुक्ति आदि के मानक तय करती है, तब चिंता की बात जरूर होगी। यह बात मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने आरटीआइ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही।
शनिवार को वन मुख्यालय स्थित मंथन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में इक्फाई यूनिवर्सिटी, दून लॉ कॉलेज, सिद्धार्थ लॉ कॉलेज, हिमगिरी जी यूनिवर्सिटी के विधि छात्रों ने आरटीआइ की मजबूती व इसके कमजोर पक्ष पर विचार व्यक्त किए। छात्रों ने आरटीआइ एक्ट में किए गए हालिया संशोधन को गैरजरूरी करार दिया। इसके अलावा उन्होंने आरटीआइ कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, सूचना न देने के प्रकरण और प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय न किए जाने पर चिंता व्यक्त की।
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मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने एक्ट में संशोधन पर कहा कि इस पर इतनी जल्दी चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा शर्ते किसी आयुक्त की कार्यक्षमता को प्रभावित नहीं कर सकती हैं। फिर भी सरकार को आयुक्तों की नियुक्ति में एकरूपता व पारदर्शिता का ख्याल रखना होगा। वहीं, राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने कहा कि उत्तराखंड में सूचना आयुक्त अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं बेहतर काम कर रहा है। लिहाजा, यहां आमजन की सूचना तक पहुंच में चिंता जैसी बात नहीं है। इस अवसर पर सूचना आयोग के सचिव बीएल राणा, उप सचिव शालिनी नेगी, डॉ. इंदु सिंह, सुचिस्मिता सेन, आरटीआइ क्लब के अध्यक्ष डॉ. बीपी मैठाणी, महासचिव एएस धुन्ता आदि उपस्थित रहे।
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स्वयं सूचनाएं प्रकट करे सरकार
मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने इस बात पर भी बल दिया कि आरटीआइ एक्ट की धारा 4(1) के तहत राज्य सरकार स्वयं कई तरह की सूचनाओं को समय-समय पर प्रकट करती रहे। इसके लिए ऐसी व्यवस्था भी हो कि नियमों की अनदेखी करने वाले विभागों पर जुर्माना लगाने का अधिकार सूचना आयोग को मिले।
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