दून अस्पताल में डाक्टरों की कमी होगी दूर, 125 पदों के लिए होगा साक्षात्कार
देहरादून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों की कमी दूर होने वाली है। आगामी 24 सितंबर को 125 पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किया जाएगा। सरकार ने आउटसोर्स भर्ती पर रोक लगा दी थी जिससे भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई थी। इस भर्ती में प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं जिससे मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगी और छात्रों को अनुभवी प्रोफेसरों से पढ़ने का अवसर मिलेगा।

जासं, देहरादून। दून मेडिकल कालेज अस्पताल के मरीजों के लिए राहत की खबर है। लंबे समय से विभिन्न विभागों में डाक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में अब नियुक्तियों की राह खुल गई है। कालेज प्रशासन आगामी 24 सितम्बर को कुल 125 पदों पर साक्षात्कार आयोजित करने जा रहा है। पिछले कई माह से भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई थी।
प्रदेश सरकार ने संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, अंशकालिक, नियत वेतन और तदर्थ नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। इस फैसले का सबसे गहरा असर स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग पर पड़ा। दून मेडिकल कालेज अस्पताल में सर्जरी, रेडियोलाजी, बर्न यूनिट और सुपर स्पेशियलिटी विभागों में डाक्टरों की कमी के कारण जूनियर, सीनियर रेजिडेंट्स और पीजी के भरोसे व्यवस्था चल रही थी।
यही नहीं एमबीबीएस की कक्षाएं तक पीजी छात्र पढ़ाने लगे। मरीजों के इलाज में भी दिक्कत आने लगी। यही कारण रहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासन से भर्ती की अनुमति मांगी। आखिरकार,अनुमति मिलने के बाद अब भर्ती प्रक्रिया शुरू हो रही है।
कालेज प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भर्ती में प्रोफेसर के 18, एसोसिएट प्रोफेसर के
41 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 66 पद शामिल हैं। इनमें कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलाजी, न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी और यूरोलाजी जैसे सुपर स्पेशियलिटी विभागों के भी दस पद हैं। वहीं, रेडियो-डायग्नोसिस में आठ और बर्न यूनिट व एनेस्थीसिया में तीन पद भी भरे जाने हैं।
कालेज की प्राचार्य डा. गीता जैन का कहना है कि यह भर्ती अस्पताल और कालेज दोनों की व्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करेगी। सुपर स्पेशियलिटी समेत अन्य विभागों में साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि अधिकांश पदों पर योग्य चिकित्सक मिल जाएं, जिससे मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सके।
मरीजों को राहत
मरीजों के लिए यह भर्ती इसलिए अहम है क्योंकि अब तक कई विभागों में चिकित्सकों। की कमी के कारण उन्हें इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। रेडियोकाजी विभाग में तो फिलहाल एक ही चिकित्सक तैनात है और व्यवस्था ही आउटसोर्स पर चल रही।
वहीं बर्न यूनिट में विशेषज्ञ न होने से गंभीर मरीजों के इलाज में दिक्कत आ रही थी।छात्रों के लिए भी यह राहत की बात है, क्योंकि अब उन्हें एमबीबीएस की पढ़ाई पीजी छात्रों के बजाय अनुभवी प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों से मिलेगी।
आउटसोर्सिंग पर रोक से बढ़ी चुनौती
गौरतलब है कि बीते वर्षों में स्वास्थ्य इकाइयों में डाक्टरों और सहायक स्टाफ की पूर्ति का बड़ा जरिया आउटसोर्सिंग ही रहा है। यहां तक कि सुपर स्पेशियलिस्ट डाक्टर भी आउटसोर्स पर तैनात किए जाते रहे हैं। लेकिन शासन ने इस व्यवस्था पर रोक लगाकर स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग की स्थायी भर्ती पर निर्भरत बढ़ा दी।
यही कारण है कि पिछले चार माह से दून मेडिकल कालेज में भर्ती की प्रक्रिया ठप रही और मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अब इस भर्ती प्रक्रिया से न केवल डाक्टरों की कमी काफी हद तक दूर होगी बल्कि कालेज की शैक्षणिक और चिकित्सीय व्यवस्था में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
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