देहरादून नगर निगम के इर्द-गिर्द सिमटा Dog Registration Campaign, नहीं सुनाई दे रही मालिकों से अपील की आवाज
देहरादून नगर निगम का पालतू कुत्तों के पंजीकरण का अभियान हवा-हवाई साबित हो रहा है। शहर में आवारा और खूंखार कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है लेकिन निगम कार्यालय के आसपास ही सिमटा हुआ है। कूड़ा उठाने वाले वाहनों में जिंगल तक नहीं बज रही और शिकायतों का समाधान भी नहीं हो रहा। पार्षदों और जनता में भारी नाराजगी है।

विरेंद्र कुमार, जागरण देहरादून। पालतू कुत्तों के पंजीकरण, बांध्याकरण और टीकाकरण के लिए शहर के 100 वार्डों में अभियान चलाने का दावा कर रहा नगर निगम अपने ही कार्यालय के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ है। निगम कार्यालय के पास के इलाकों में जरूर कुत्ता मालिकों से पंजीकरण कराने की अपील से जुड़े स्टीकर चस्पा मिले, लेकिन शहर के बाकी हिस्सों व शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में ऐसा कोई स्टीकर नहीं मिला।
यही नहीं, नगर निगम दावा करता रहा है कि कूड़ा उठान वाहनों में बजने वाली जिंगल से कुत्तों के मालिक को सावधान करने व पंजीकरण कराने की अपील की जा रही, लेकिन यह दावा भी झूठा निकला। शहर के अधिकांश इलाकों में कूड़ा उठान वाहनों में कुत्ता मालिकों से अपील तो दूर, कूड़ा उठान गाड़ी आने की जिंगल तक नहीं बज रही। ऐसे में निगम की ओर से बगैर लाइसेंस कुत्तों पालने वालों का चालान करने व सख्त कार्रवाई के दावे हवाई साबित हो रहे हैं।
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक तो बेशुमार बढ़ा हुआ है, लेकिन अब बिना लाइसेंस खूंखार कुत्ता पालने वालों ने भी सड़कों पर आतंक मचाया हुआ। खूंखार कुत्ते अकसर राहगीरों पर हमला कर उन्हें बुरी तरह जख्मी कर दे रहे, लेकिन नगर निगम तमाशबीन बना हुआ है।
वार्डों में जब क्षेत्रवासियों ने इस मामले में पार्षदों के दरवाजे खटखटाने शुरू किए तो पार्षदों के दबाव में नगर निगम प्रशासन ने बोर्ड बैठक में कुत्ता पंजीकरण से जुड़े कुछ नए नियम बनाने का दावा किया। इस मसले पर पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में कुत्तों के काटने से घायल लोगों के मामलों को लेकर जमकर हंगामा भी हुआ था।
निगम प्रशासन ने दावा किया कि शहर में अभियान चलाकर बिना लाइसेंस कुत्ता पालने वालों पर कार्रवाई कर जुर्माना लगाया जाएगा। शुरुआती चार-पांच दिन तो निगम ने वाहवाही लूटने के लिए कुछ लोगों पर कार्रवाई भी की, लेकिन उसके बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।
अब जब सुप्रीम कोर्ट भी कुत्तों के आतंक को लेकर गंभीर दिख रहा है तो नगर निगम ने शहर में स्टीकर और बैनर-पोस्टर के माध्यम से कुत्ता मालिकों से पंजीकरण कराने की अपील का दावा किया। निगम अधिकारियों ने बताया कि शहर के सभी 100 वार्डों में इस तरह के स्टीकर व बैनर-पोस्टर चस्पा किए गए हैं, लेकिन गुरुवार को जब दैनिक जागरण की टीम ने पड़ताल की तो यह अभियान केवल नगर निगम कार्यालय के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ दिखा।
निगम के झूठे दावे, 500 मीटर तक सिमटा अभियान
निगम प्रशासन का दावा था कि सभी 100 वार्डों में 600 बैनर, पोस्टर लगाए गए हैं और कूड़ा वाहनों के जरिये जिंगल व लाउडस्पीकर के माध्यम से कुत्ता मालिकों को नियम-कायदों के प्रति सावधान किया जा रहा है, लेकिन निगम का पूरा अभियान उसके कार्यालय के 500 मीटर के दायरे तक सीमित दिखा। दून अस्पताल, कलक्ट्रेट, परेड ग्राउंड, प्रिंस चौक व तहसील चौक तक बैनर-पोस्टर जरूर लगे दिखाई दिए, लेकिन शहर के अन्य स्थानों पर प्रचार-प्रसार पूरी तरह गायब हैं।
कूड़ा उठान वाहनों से स्वच्छता थीम पर आधारित जिंगल तो कहीं-कहीं सुनाई दे रही है, लेकिन कुत्ता मालिकों को बांध्याकरण, टीकाकारण व पंजीकरण कराने की अपील या चेतावनी देने वाली जिंगल व लाउडस्पीकर की आवाज कहीं सुनाई नहीं दी। दूर-दराज के वार्ड और क्षेत्रों में दीवारों पर बैनर-पोस्टर दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं, यहां पर रहने वाले लोग मामले से पूरे तरह अनजान है।
कंट्रोल रूम जरूर मिला एक्टिव
अभियान के तहत निगम ने स्टीकर व बैनर, पोस्टर पर कंट्रोल रूम का टोल-फ्री नंबर (18001804571) व दो अन्य नंबर (9568844151 व 7078980503) जारी किए हैं। टाेल-फ्री नंबर पर फोन लगाया गया तो तुरंत रिसीव हुआ। शिकायत दर्ज कराई गई। कंट्रोल रूम कर्मी ने पशुपालन अनुभाग के कर्मी का नंबर देते हुए पूरा मामला उन्हें बताने को कहा।
पशुपालन अनुभाग में एनजीओ संचालिका पूजा से आवारा कुत्तों से हो रही परेशानी की शिकायत की गई। जिस पर उन्होंने स्थान और जानकारी लेते हुए जल्द टीम की ओर से कुत्तों का बांध्याकरण और टीकाकरण करने का आश्वासन दिया। हालांकि, शाम तक टीम नहीं पहुंची थी।
शिकायत-समाधान का कोई रिकार्ड नहीं
पशुपालन अनुभाग के कर्मी दीपक ने बताया कि कंट्रोल रूम के जरिये प्रतिदिन करीब 12 शिकायतें आती हैं। अधिकांश शिकायतों का समाधान कर दिया जाता है। वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा.वरूण अग्रवाल ने बताया कि शिकायत कई स्रोतों से प्राप्त होती है। जिसमें सीएम पोर्टल, वाट्सएप ग्रुप, ई-मेल और फोन पर आने वाली शिकायतें शामिल हैं। सभी माध्यमों से प्रतिदिन शिकायतें आने और उनके समाधान की संख्या बताना मुश्किल है। अभी नियमित रूप से इनका रिकार्ड नहीं रखा जा रहा है।
पार्षदों व जनता की जुबानी
अवारा कुत्तों के आतंक से लोग अधिक परेशान है। पालतू कुत्तों के लिए अभियान की शुरूआत अच्छी बात है, लेकिन अभी यह निगम कार्यालय के आस-पास ही चल रहा है। क्षेत्र में प्रचार-प्रसार सामग्री को दीवारों पर नहीं लगाया गया है। कूड़ा उठान वाहनों से भी ऐसे कोई सूचना प्रसारित नहीं हो रही है। दर्जनों लोग बगैर पंजीकरण के कुत्ते पाल रहे हैं। बेहतर यह होता कि आवारा कुत्तों पर भी लगाम लगती। -सोबत चंद्र रमोला, पार्षद, मोथरोवाला
सालावाला वार्ड में अभियान के संबंध में कोई प्रचार-प्रसार नहीं है। कूड़ा वाहनों पर जिंगल की आवाज भी बंद रहती है। बृजलोक कालोनी में पालतू कुत्तों के आतंक से राहगीरों और छात्रों में दहशत है। कालोनी में कुत्तों की अधिकता के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। मामले की शिकायत के बाद भी कोई समाधान नहीं हो पाया है। कालोनी में एक व्यक्ति ने आधा दर्जन खतरनाक कुत्ते पले हुए हैं। रास्ते से गुजरने वाले वाहन और स्कूली छात्रों पर यह भौंकते हुए पीछे-पीछे दौड़ते हैं। इससे कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। - भूपेंद्र कठैत,पार्षद, सालावाला
पालतू कुत्तों का आतंक रोकने में नगर निगम पूरी तरह से फेल है। शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। वहीं, कुत्ता मालिक अपने शौक के लिए लोगों की जान से खेल रहे हैं। - वीरेंद्र नेगी, बृजलोक
आखिर, निगम की ओर से इन लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। स्कूलों बच्चों और वाहन से गुजरने वाले लोगाें में दहशत रहती है। कई बार शिकायत के बाद भी समाधान नहीं हो पाया है। -दलवीर चौधरी, बृजलोक
निगम अधिकारियों को वार्डों का भौतिक निरीक्षण करना चाहिए। कई बार शिकायत के बाद कार्रवाई होती नहीं और आपसी रंजिश बढ़ जाती है। वार्ड में कुत्ता मालिकों के संबंध में कोई बैनर-पोस्टर नहीं लगे हैं। कूड़ा वाहनों में भी ऐसे कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही। -सुमित वर्मा, चंद्रबनी
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