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    Uttarakhand: खूंखार कुत्तों के हमले में घायल के इलाज पर आठ लाख खर्च, मालिक पर सिर्फ 1000 रुपये का जुर्माना

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 01:57 PM (IST)

    देहरादून के जाखन में रॉटवीलर कुत्तों के हमले से 75 वर्षीय कौशल्या देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं। ढाई महीने बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं है इलाज पर आठ लाख खर्च हो चुके हैं। कमजोर कानून के कारण कुत्ते का मालिक केवल जुर्माने देकर बच गया जिससे नागरिकों में डर का माहौल है। पीड़ित चाहते हैं कि खूंखार कुत्ते पालने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो।

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    जाखन में ढाई माह पहले दो राटवीलर के हमले में बुरी तरह घायल हो गई थीं कौशल्या देवी. Concept

    विजय जोशी, जागरण देहरादून । जाखन इलाके में दो राटवीलर (कुत्तों) ने 75 वर्षीय कौशल्या देवी पर हमला किया, उसके निशान आज भी उनके शरीर और दिमाग से मिटे नहीं हैं। ढाई माह बीत जाने के बाद भी वह दर्द से कराह रही हैं, उनकी नींद और चैन छिन चुका है।

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    उनके उपचार पर अब तक आठ लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। यह कोई अकेली घटना नहीं है। देहरादून में पालतू खासकर खतरनाक नस्ल के कुत्तों के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और कमजोर कानूनी प्रविधान से कुत्तों के मालिक का बाल भी बांका नहीं होता।

    पांच जुलाई को कौशल्या देवी सुबह मंदिर जा रही थीं। अचानक दो राटवीलर ने उन पर हमला कर दिया। हमला इतना भयानक था कि उनके शरीर पर 200 से अधिक टांके लगे। कुत्तों ने एक कान लगभग नोच लिया था, हाथ की हड्डी टूट गई और पूरा शरीर गहरे जख्मों से भर गया। चार सर्जरी करानी पड़ीं, लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन दर्द का अंत नहीं हुआ।

    उनके बेटे उमंग निर्वाल बताते हैं कि उनकी मां अब भी दर्द में हैं। बीपी-शुगर की मरीज हैं, ऊपर से ये जख्म..., नींद में करवट तक नहीं बदल पातीं। खाना-पीना, शौच जाना तक मुश्किल हो गया है। दिमाग से उस घटना का डर नहीं जा रहा। अब वह घर से बाहर भी नहीं निकलतीं।

    मालिक पर सिर्फ 1000 रुपये का जुर्माना

    इतने भीषण हमले के बाद कुत्ते के मालिक के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? नगर निगम ने पंजीकरण और नसबंदी न कराने के आधार पर मात्र 1000 रुपये का जुर्माना लगाया और मामला खत्म कर दिया।

    पुलिस ने पालतू जानवर की लापरवाही की धारा के तहत मामला दर्ज किया, जो एक गैर-संगीन अपराध है और जिसमें आरोपित आसानी से जमानत पाकर बाहर आ जाते हैं। कुत्तों के मालिक ने चालान भुगत कर पल्ला झाड़ लिया और कुत्तों को सहारनपुर अपने परिचित के पास भेज दिया। वह अपना जीवन सामान्य रूप से जी रहा है।

    डर में जी रहे हैं नागरिक

    पिछले एक साल में देहरादून के अस्पतालों में कुत्ते के काटने के 2400 से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन आधिकारिक शिकायतें 50 से भी कम रहीं। इसकी वजह है पीड़ितों का डर-कानूनी झंझट, समय और पैसे की बर्बादी का। नगर निगम का नियम है कि कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर पट्टे और मुंह पट्टी के बिना नहीं घुमाया जाए, लेकिन इसका पालन नहीं होता।

    सड़कों और पार्कों में बिना मुंह पट्टी के घूमते कुत्ते आम नजारा हैं। कई बार कुत्ते के मालिक पीड़ितों को डरा-धमकाकर मामला रफा-दफा करने पर मजबूर कर देते हैं। हालांकि, पीड़ित चाहते हैं कि खूंखार कुत्ते पालने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।