दून को दून ही रहने दो, मुंबई मत बनाओ: रत्ना
मशहूर कलाकार रत्ना पाठक शाह ने कहा कि देहरादून शांत, सुंदर और सुकून देने वाली जगह है। इसे ऐसा ही रहने दिया जाए।
देहरादून, [जेएनएन]: जिस तरह हर किसी को सब कुछ नहीं मिल सकता, उसी तरह हर शहर की अपनी एक पहचान होती है। देहरादून शांत, सुंदर और सुकून देने वाली जगह है। इसे ऐसा ही रहने दिया जाए। यह कहना था मशहूर कलाकार रत्ना पाठक शाह का। पति नसीरुद्दीन शाह के साथ जागरण फिल्म फेस्टिवल पहुंचीं रत्ना पाठक शाह ने कहा कि फिल्म निर्माण इस शहर की पहचान को बदल देगा।
लंबे समय से दून आती जाती रहीं रत्ना पाठक शाह ने कहा कि पहले के मुकाबले शहर काफी बदल गया है। मौसम से लेकर नजारों तक में फर्क नजर आता है, लेकिन इसके बावजूद यह शहर बहुत खूबसूरत है। वे एक सवाल के जवाब में बोल रही थीं।
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उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण के लिए लोग यहां आने लगे तो दून अपनी पहचान खो देगा। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें लोगों से छिपाकर रखनी चाहिएं, खासतौर पर सौंदर्य।
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एक सवाल पर उन्होंने संजीदा होकर कहा कि फिल्मों के निर्माण के लिए पूरे देश में तमाम खूबसूरत लोकेशन हैं, लेकिन संसाधन नहीं। धनोल्टी तक जाने के लिए भरपूर संसाधन नहीं मिल पाते। ऐसे में फिल्मों के निर्माण के लिए अभी आधारभूत ढांचे को विकसित करने की जरूरत है।
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इस मौके पर उन्होंने दर्शकों के सवालों के बेबाक जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी अभिनेत्रियों के लिए रोने और गाने के अलावा कोई काम नहीं होता। ऐसे में आने वाली प्रतिभाएं किससे सीखें।
उन्होंने कहा कि जब वे इस क्षेत्र में आ रही थीं तो उनके सामने भी विदेशी कलाकारों को देखकर सीखने का ही विकल्प था, आज भी यही स्थिति है। इसमें बदलाव की जरूरत है। उन्होंने इस दौरान नसीरुद्दीन की खुले दिल से तारीफ भी की और उनकी खराब फिल्मों पर चुटकी भी ली।
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उन्होंने हिट फिल्म 'मासूम' और फ्लॉप फिल्म 'दिल आखिर दिल' का किस्सा दर्शकों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि दोनों फिल्मों की शूटिंग एक साथ हुई और लगभग एक साथ ही दोनों फिल्में दर्शकों के बीच आईं। लेकिन, देखकर यकीन नहीं हुआ कि एक ही व्यक्ति एक ही वक्त में बनीं दो फिल्मों में इतना अच्छा और इतना बुरा काम कैसे कर सकता है। इसके बाद पूरे हॉल में ठहाके गूंज उठे।
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