किसी भी सूरत में शिफ्ट नहीं होगा शीशमबाड़ा प्लांट, डीएम सुलझाएंगे विवाद
शीशमबाड़ा स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट को लेकर लगातार बढ़ रहे जन विरोध के मद्देनजर महापौर सुनील उनियाल गामा ने जिलाधिकारी सी. रविशंकर को समाधान तलाशने के निर्देश दिए हैं।
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम के शीशमबाड़ा स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट को लेकर लगातार बढ़ रहे जन विरोध के मद्देनजर महापौर सुनील उनियाल गामा ने जिलाधिकारी सी. रविशंकर को समाधान तलाशने के निर्देश दिए हैं। प्लांट इस समय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी के बिना संचालित हो रहा है। दुर्गंध के चलते स्थानीय ग्रामीण लगातार प्लांट शिफ्ट करने को नगर निगम पर दबाव बना रहे हैं। बुधवार को प्लांट में ग्रामीणों ने तालाबंदी भी की और महापौर के साथ ही नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से नगर निगम में मुलाकात की। महापौर और आयुक्त ने साफ तौर पर कह दिया है कि प्लांट किसी सूरत में वहां से शिफ्ट नहीं होगा, अलबत्ता दुर्गंध को दूर करने के प्रयास जरूर होंगे।
बता दें कि कूड़ा निस्तारण को सेलाकुई शीशमबाड़ा में बनाया गया सूबे का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और रिसाइकिलिंग प्लांट बीते पांच माह से बिना एनओसी चल रहा है। नियमानुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हर साल एनओसी अनिवार्य लेनी होती है मगर इस बार प्लांट में गड़बड़ी के चलते बोर्ड ने प्लांट को एनओसी नहीं दी। प्लांट को बीते वर्ष मिली एनओसी अगस्त-19 में खत्म हो चुकी है। इसके बाद अवैध रूप से प्लांट में कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। इसका खुलासा होने के बाद से ग्रामीण और भड़के हुए हैं और प्लांट को बंद करने की मांग भी कर रहे।
मौजूदा समय में स्थिति यह है कि दो साल के अंदर ही प्लांट ओवरफ्लो होने लगा है। अब यहां और कूड़ा डंप करने की जगह ही नहीं बची है। ऐसे में यहां सड़ रहा कूड़ा हजारों ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन चुका है। कूड़े की दुर्गंध से ग्रामीणों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा। नगर निगम द्वारा प्लांट संचालित कर रही रैमकी कंपनी को हर माह कूड़ा उठान से लेकर निस्तारण के लिए 92 लाख रुपए दिए जा रहे लेकिन कंपनी फेल साबित हो रही।
बीते तीन दिनों से प्लांट बंदी की मांग को लेकर स्थानीय लोग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर बाल संरक्षण आयोग एवं तमाम दूसरे विभागों के चक्कर काट रहे हैं। इन लोगों ने बुधवार को नगर निगम में दस्तक दी। नगर आयुक्त पांडेय से मुलाकात में लोगों ने कहा कि या तो प्लांट बंद कर दिया जाए या फिर कहीं और शिफ्ट करें। नगर आयुक्त ने स्पष्ट कहा कि प्लांट किसी सूरत में न तो बंद हो सकता, न ही शिफ्ट।
अगर आज प्लांट को यहां से हटाएंगे तो कल दूसरी जगह पर भी विरोध शुरू होगा। विरोध की परंपरा उचित नहीं। वहीं, लोगों ने बाद में महापौर से भी मुलाकात की। महापौर ने कहा कि प्लांट में गड़बड़ियों या दुर्गंध की समस्या के निदान के लिए लिए जिलाधिकारी को कमान सौंपी जा रही है। दूसरी ओर, महापौर और आयुक्त के निर्देश पर निगम की टीम ने बुधवार को प्लांट का निरीक्षण भी किया।
विवादों से घिरा प्लांट बना मुसीबत
जनवरी-2017 में शुरू हुआ प्रदेश के पहले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का दो साल बाद भी विवादों से नाता नहीं छूट रहा है। जन-विरोध के चलते यह प्लांट सरकार के लिए पहले ही मुसीबत बना है और अब प्लांट प्रबंधन की लापरवाही सरकार के सिर का दर्द बनती जा रही। दावे किए जा रहे थे कि यह पहला वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है, जो पूरी कवर्ड है और इससे किसी भी तरह की दुर्गंध बाहर नहीं आएगी, मगर नगर निगम के यह दावे तो शुरुआत में ही हवा हो गया था।
उद्घाटन के महज दो साल के भीतर अब यह प्लांट कूड़ा निस्तारण में भी 'फेल' हो चुका है। यहां न तो कूड़े का निरस्तारण हो रहा, न ही कूड़े से निकलने वाले दुर्गंध से युक्त गंदे पानी (लिचर्ड) का। स्थिति ये है कि यहां कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं और गंदा पानी बाहर नदी में मिल रहा। दुर्गंध के चलते समूचे क्षेत्र की जनता प्लांट के विरोध में सड़कों पर उतरी हुई है और रोजाना धरने प्रदर्शन हो रहे।
31 जनवरी तक शुरू होगा लिचर्ड ट्रीटमेंट प्लांट
कूड़े से निकलने वाले गंदे पानी 'लिचर्ड' के ट्रीटमेंट को लेकर रैमकी कंपनी अब तक झूठ बोल रही थी। कंपनी लिचर्ड ट्रीटमेंट के प्लांट के कई माह पूर्व शुरू होने का भरोसा दे रही थी, लेकिन बुधवार को नगर आयुक्त ने बताया कि ये प्लांट 31 जनवरी तक शुरू हो पाएगा। लिचर्ड से भूजल दूषित होने का खतरा बना हुआ है।
100 टन प्रतिदिन हटेगा आरडीएफ
प्लांट में कूड़े से बनी खाद आरडीएफ के पहाड़ लगे हुए हैं लेकिन कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा। केंद्र सरकार की एक एजेंसी के माध्यम से अब इसे सीमेंट कंपनियों को भेजा जाएगा। आयुक्त ने बताया कि बुधवार को 10 कुंतल आरडीएफ भेजा गया। प्रयास किए जा रहे कि फरवरी से रोज करीब 100 टन आरडीएफ उठाया जा सके।
कूड़ा वाहनों की निगरानी को दो चौकी खोलेगा नगर निगम
कूड़े को ढके बिना वाहनों में ले जाने वालों पर अब नगर निगम अपनी चौकियों से नजर रखेगा। खुले वाहनों में कूड़ा ले जाने से कूड़ा सिर्फ सड़क पर बिखरता ही नहीं, बल्कि राहगीरों और अन्य वाहन चालकों के लिए मुसीबत का सबब भी बनता है। लोगों की शिकायतें लगातार नगर निगम को मिल रही हैं कि जो वाहन शीशमबाड़ा जाते हैं, उनसे कूड़ा नीचे गिरता रहता है। इसका संज्ञान लेकर निगम ने प्रेमनगर व शिमला बाइपास पर निगरानी चौकियां खोलने की तैयारी कर ली है। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के मुताबिक जो वाहन बिना ढके कूड़ा ले जाते मिलेगा, उसे वापस कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन भेजा जाएगा।
शहर में नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली गाडिय़ां कूड़ा लोड होने के बाद खुले में ही चलती हैं, जबकि नियमानुसार कूड़ा ढककर ले जाना होता है। इस वजह से काफी मात्रा में कूड़ा हवा में उड़कर नीचे सड़क पर गिर जाता है। इसमें केवल हरिद्वार बाइपास पर स्थित कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन से शीशमबाड़ा जाने वाले बड़े वाहन ही नहीं बल्कि शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान कर रही गाड़ियां भी शामिल हैं। डोर-टू-डोर वाहनों से कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन पहुंचाया जाता है और वहां से ट्रकों के जरिए इसे शिमला बाइपास मार्ग या प्रेमनगर मार्ग से शीशमबाड़ा प्लांट लाया जाता है।
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गाड़ियों के जरिए शहरभर में कूड़ा फैलने की शिकायत पर अब नगर निगम ने कार्रवाई की तैयारी का ली है। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि कूड़ा खुले वाहनों में ले जाने वाले चालकों पर कार्रवाई के लिए शिमला बाइपास और प्रेमनगर में नगर निगम की दो चौकियां खोली जाएंगी। इसके बाद जो वाहन खुले में कूड़ा ले जाता मिला तो उसे इन चौकी से वापस ट्रांसफर स्टेशन भेज दिया जाएगा।
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वेंडिंग जोन पर सिंचाई विभाग से मिली एनओसी
छह नंबर पुलिया पर नगर निगम की ओर से बनाए गए स्मार्ट वेंडिंग जोन पर गत कुछ दिनों से मचा विवाद थम गया है। दरअसल विवाद था कि जमीन सिंचाई विभाग की है और नगर निगम ने वेंडिंग जोन बनाने से पूर्व विभाग से एनओसी नहीं ली। अब बुधवार को सिंचाई विभाग ने नगर निगम को वेंडिंग जोन के लिए सशर्त एनओसी जारी कर दी है। नगर आयुक्त पांडेय ने बताया कि शर्त रखी गई है कि निगम छह नंबर पुलिया का प्रयोग सिर्फ वेंडिंग जोन के लिए ही करेगा। अगर कोई और व्यवसायिक गतिविधि होती है तो एनओसी निरस्त कर दी जाएगी। वहीं, वेंडिंग जोन पर कोई भी स्थाई निर्माण नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं जब नहर की सफाई होगी, तो निगम को जगह खाली भी करनी पड़ेगी।
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