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    आपदा पर केंद्र का मास्टर प्लान, ऐसा हो निर्माण; न सुरंग गिरें न टूटें पुल

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:16 PM (IST)

    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन के लिए विस्तृत योजना बनाई है। इसका उद्देश्य पुलों और सड़कों को आपदाओं से बचाना है। मंत्रालय ने 2030 तक पुलों के गिरने की घटनाओं को शून्य करने और सड़क दुर्घटनाओं को 50% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। योजना में भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं को ध्यान में रखकर सड़कों और पुलों के निर्माण पर जोर दिया गया है।

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    आपदाओं की केस स्टडी के बाद मंत्रालय ने यह मास्टर प्लान तैयार किया. File

    अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। आपदा के बाद प्रबंधन। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक अब आपदा पूर्व प्रबंधन की रणनीति अपनाने का समय आ गया है। सड़क व राजमार्गों के लिए मंत्रालय ने विस्तृत आपदा पूर्व प्रबंधन योजना तैयार की है। इसमें कहा गया कि पुलों व सड़कों का ऐसा निर्माण हो कि आपदा में पुल गिरें न सड़कें टूटें।

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    आपदा के बाद सड़कों-राजमार्गों पर यातायात बहाल रखने पर भी फोकस किया गया है। कई राज्यों में आई आपदाओं की केस स्टडी के बाद मंत्रालय ने यह मास्टर प्लान तैयार किया है। उत्तराखंड में वर्ष 2021 में आई आपदा को भी इसमें शामिल किया गया है। सड़कों-पुलों के डिज़ाइन व आपदा के बाद बेहतर पुनर्निर्माण पर यह प्लान केंद्रित है।

    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क-राजमार्ग क्षेत्र के लिए एक विस्तृत आपदा प्रबंधन योजना तैयार की है। इसमें यह कहा गया कि पहले ही सड़कों व पुलों को आपदाओं की संभावनाओं का अध्ययन कर निर्मित किया जाए।

    इसमें विभिन्न हितधारकों की भूमिकाएं स्पष्ट की गई हैं। इसके साथ ही वर्ष 2030 तक प्रमुख पुलों या सुरंगों के गिरने की घटनाओं को शून्य करने, सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाने व सड़क बंदी की घटनाओं में दस प्रतिशत सालाना की कमी का लक्ष्य तय किया गया है।

    यह की गई सिफारिश

    • सड़क-पुल का डिज़ाइन उस क्षेत्र के विशिष्ट जोखिम (भूस्खलन, बाढ़, तेज जलप्रवाह, भूकंप, हिमस्खलन) के अनुसार करें।
    • एक बार टूटने पर बेहतर और अधिक मजबूत सड़क-पुल का निर्माण हो।
    • ड्रेनेज का अच्छा इंतजाम, पानी का प्रवाह रहेगा तो भूस्खलन और अन्य क्षति कम होगी।
    • खड़ी ढलानों से दूरी रखकर करें सड़कों-पुलों का निर्माण।
    • मोड़ों पर काट-भराव का समुचित डिजाइन और बैक-अप रूट का प्रबंध।
    • कट-भराव के हाई जोखिम वाले स्थानों पर रिटेनिंग वाल, दीवारें, गेबियन वाल का उपयोग।
    • बाढ़ को ध्यान में रखकर पुल की ऊंचाई तय करें। पुल का फाउंडेशन गहरा और स्थिर हो।
    • स्टील-ट्रस या प्री-फैब्रिकेटेड माड्यूलर यूनिट्स का प्रयोग, ताकि आपातकाल में जल्दी बदले जा सके।

    लोक निर्माण विभाग आपदा पूर्व प्रबंधन पर कार्य कर रहा है, जिन पुलों या सड़कों को आपदा में क्षति पहुंची है उनमें आपदा के खतरे के दृष्टिगत ही नया निर्माण कराया जाएगा। - राजेश शर्मा, विभागाध्यक्ष, लोक निर्माण विभाग