उत्तराखंड में नकल रोकने को कानून बदला, माफिया में फिर भी नहीं रहा खौफ
उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद भी नकल माफिया बेखौफ हैं । हाकम सिंह जैसे माफिया जेल से भी वसूली कर रहे हैं। हाल ही में नवोदय विद्यालय की परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल करते 17 अभ्यर्थी पकड़े गए। सरकार ने 200 संदिग्धों को रडार पर रखा है और एसटीएफ ने 64 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

सोबन सिंह गुसांई, जागरण देहरादून । वर्ष 2021 में यूकेएसएसएसी की स्नातक स्तरीय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक मामले सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू कर दिया है।
नए कानून के तहत दोषियों को 10 करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्राविधान किया गया है। सख्त नकल कानून लागू होने के बावजूद नकल माफिया में खौफ नहीं रहा। कई परीक्षाओं में पेपर लीक करवाने वाले नकल माफिया हाकम सिंह जेल जाने के बाद भी नहीं सुधरा और दोबारा परीक्षा पास कराने के नाम पर रकम वसूलने लगा।
इसी साल मई में नवोदय विद्यालय की लैब अटेंडेंट परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल करते 17 अभ्यर्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यह परीक्षा सीबीएसई बोर्ड की ओर से देहरादून के दो स्कूलों में दो पालियों में आयोजित की गई थी।
आरोपितों के पास से 17 ब्लूटूथ डिवाइस बरामद की गई। इनके खिलाफ दो मुकदमे पटेलनगर और एक डालनवाला में दर्ज किया गया। नकलची अभ्यर्थियों ने साल्वर गैंग के बारे में पूछताछ करने पर बताया कि गैंग बाहर से आपरेट कर रहा था। इसके अलावा भी कुछ अन्य परीक्षाएं ऐसी थी, जिसमें नकल के मामले सामने आए।
2022 से हर परीक्षा में रडार पर रहते हैं 200 लोग
परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सरकार की ओर से एसटीएफ उत्तराखंड व जिला पुलिस को सख्त निर्देश किए जाते हैं। 2021-22 में हुई परीक्षाओं के दौरान नकल माफिया के साथ जिनके नाम भी जुड़े थे, अब वह हर परीक्षा में पुलिस की रडार पर रहते हैं।
परीक्षा शुरू होने से दो दिन पहले उनके मोबाइल सर्विलांस पर लगाए जाते हैं और उनकी रैकी भी की जाती है। देखा जाता है, वह किस-किससे संपर्क कर रहे हैं और वह उत्तराखंड में ही हैं या फिर बाहरी राज्य में हैं।
नकल प्रकरण में 64 आरोपितों की हुई थी गिरफ्तारी
यूकेएसएसएससी की विभिन्न स्नातक स्तरीय परीक्षाओं में पेपर लीक व नकल कराने के मामले में एसटीएफ ने करीब 64 आरोपितों को गिरफ्तार करते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
इसमें 500 से अधिक छात्र भी रडार पर आए थे। इनमें कुछ वह थे, जिन्होंने पेपर खरीदा, जबकि कुछ ऐसे थे जिन्होंने पेपर खरीदने के बाद आगे कई लोगों को बेच दिया। एसटीएफ ने पेपर खरीदकर आगे बेचने वालों को आरोपित बनाया, जबकि पेपर खरीदकर नकल करने वालों को गवाह बनाया।
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