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बालीवुड फिल्म 2024 में नजर आएंगी दून की तेजस्वी, जानिए किस पर आधारित है कहानी

देहरादून की तेजस्वी सिंह अहलावत अब फीचर फिल्म 2024 में नजर आएंगी। फिल्म चार दोस्तों की कहानी पर आधारित है जिसमें तेजस्वी मुख्य भूमिका में है। फिल्म मंगलवार को आनलाइन प्लेटफार्म पर रिलीज होगी। तेजस्वी ने मर्दानी से बालीवुड में डेब्यू किया था।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 11:35 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 11:35 AM (IST)
बालीवुड फिल्म 2024 में नजर आएंगी दून की तेजस्वी, जानिए किस पर आधारित है कहानी
बालीवुड फिल्म 2024 में नजर आएंगी दून की तेजस्वी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। फिल्म 'मर्दानी' से बालीवुड में डेव्यू करने वाली देहरादून की तेजस्वी सिंह अहलावत अब फीचर फिल्म 2024 में नजर आएंगी। फिल्म चार दोस्तों की कहानी पर आधारित है, जिसमें तेजस्वी मुख्य भूमिका में है। फिल्म मंगलवार को आनलाइन प्लेटफार्म पर रिलीज होगी।

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रोहिन रवींद्रन नायर के निर्देशन में इस फिल्म की शूटिंग मुंबई और दिल्ली में हुई है। देहरादून के राजपुर रोड, इंदर बाबा मार्ग निवासी तेजस्वी ने बताया कि ये चार ऐसे दोस्त की कहानी है, जो एक अनाथालय में एक साथ बड़े हुए हैं और मुंबई में वैश्विक महामारी का सामना करते हैं। फिल्म की कहानी को कुछ इस तरह बुना गया है कि इसमें दर्शकों को हाल ही में आई कोरोना महामारी से जुड़े उनके अनुभवों और उससे मिली सीख पर विचार करने का मौका मिलेगा। इस फिल्म में मुस्कान जाफरी, मयूर, मिहिर आहूजा, शार्दुल भारद्वाज ने भी अभिनय किया है।

बनारस में होगी फिल्म 'हसल' की शूटिंग

तेजस्वी ने बताया कि उनकी फिल्म हसल की शूटिंग दिसंबर में बनारस में होगी। जिसकी तैयारी की जा रही है। निर्देशक रवि सिंह की फिल्म हसल में मशहूर अभिनेता संजय मिश्रा, रणवीर शौरी के साथ देहरादून की तेजस्वी सिंह अहलावत और राघव जुयाल भी हैं। रिलीज अगले वर्ष फरवरी में की जाएगी। फिल्म हर व्यक्ति के अंदर मौजूद अंधेरे को खोजती है।

उत्तरांचली भाषा लिपि तैयार करने का दावा

टिहरी जिले के नरेंद्रनगर ब्लाक स्थित बुगाला गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक हर्षपति रयाल ने उत्तरांचली भाषा लिपि तैयार करने का दावा किया है। इसके तहत उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी भाषा की वर्णमाला भी तैयार की है।

रयाल ने बताया कि लंबे विचार-मंथन व प्रयासों के बाद उत्तरांचली भाषा की वर्णमाला तैयार हो पाई। इसमें देवनागरी या अन्य किसी लिपि से नहीं, बल्कि देवी-देवताओं और प्रकृति से वर्ण लिए गए हैं। इस वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर अपनी अपनी नैसर्गिक ध्वनि में ही प्रायोगिक है। उन्होंने उत्तरांचली भाषा लिपि के वर्णों को मूर्त रूप देने के लिए नया साफ्टवेयर बनाने की जरूरत बताई। इसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार से भी सहयोग की अपेक्षा की है।

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