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    युवती पर लगा दुष्कर्म का आरोप… सात महीने जेल में रही, सबूत नहीं मिलने पर कोर्ट ने कर दिया बरी

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 09:15 AM (IST)

    देहरादून में अदालत ने एक युवती को दुष्कर्म के आरोप से मुक्त कर दिया क्योंकि साक्ष्यों का अभाव था। युवती ने एक किशोर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था जिसके बाद पुलिस ने उसे ही आरोपित मानकर पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया था। डीएनए रिपोर्ट में किशोर बच्चे का जैविक पिता नहीं पाया गया।

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    किशोर से दुष्कर्म करने के नहीं मिले साक्ष्य, युवती दोषमुक्त

    जागरण संवाददाता, देहरादून। अपर जिला एवं सेशन जज फास्ट ट्रैक कोर्ट (पॉक्सो) के न्यायाधीश पंकज तोमर ने साक्ष्यों के अभाव में एक युवती को दुष्कर्म के आरोप से मुक्त कर दिया। युवती ने एक किशोर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई। 

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    पुलिस ने आरोपी को नाबालिग मानते हुए युवती के खिलाफ ही पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपपत्र दाखिल कर दिया। विवेचक ने ही 29 दिसंबर 2020 को युवती के खिलाफ शहर कोतवाली में पॉक्सो के तहत मुकदमा दर्ज कराया, जिसके बाद युवती को गिरफ्तार कर लिया और वह सात महीने तक जेल में रही।

    एक युवती ने 10 दिसंबर 2020 को एसएसपी को प्रार्थनापत्र दिया कि उसकी जान-पहचान मोहल्ले के एक लड़के से हुई। धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती हुई। आरोप है कि उसने शादी का झांसा देकर कई बार दुष्कर्म किया, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। 

    जब इस बात की जानकारी आरोपित के स्वजन को मिली तो उन्होंने गर्भपात करने की बात कही। इस मामले में आरोपित, उसकी मां व भाई-बहन के विरुद्ध शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया। 

    विवेचना में पुलिस ने पीड़ित युवती को ही आरोपित बना दिया। पुलिस ने किशोर को स्वयं ही पीड़ित बताया और उसके स्वजन को केस से बाहर कर दिया। वहीं, शिकायतकर्ता युवती के विरुद्ध पॉक्सो के अंतर्गत आरोपपत्र दाखिल कर दिया।

    किशोर ने पुलिस को बताया कि युवती उसके पड़ोस में रहती है। एक दिन युवती ने उससे शराब मंगवाई और जबरदस्ती पिलाई। नशा होने पर युवती ने उसके साथ गलत काम किया। 

    कोर्ट में किशोर की मां, बुआ सहित अन्य गवाहों के बयान हुए, लेकिन वह किशोर के जन्मतिथि संबंधी प्रमाणपत्र नहीं दिखा पाए। उन्होंने केवल जन्मपत्री के आधार पर ही उसे नाबालिग बताया। 

    बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूरे केस में अभियोजन ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया, जिससे साबित किया जा सके कि पीड़ित बालिग है या नाबालिग।

    कोर्ट को बताया कि युवती किराये के कमरे में रहती है, जहां उसके छोटे भाई-बहन भी साथ में रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में युवती किशोर को बुलवाकर शारीरिक संबंध बनाएगी, यह किसी भी परिस्थिति में विश्वसनीय नहीं लगता। 

    वहीं, किशोर ने बयानों में बताया है कि उसे नहीं पता कि उसके युवती के साथ संबंध बने या नहीं। न्यायालय के समक्ष किशोर और आरोपित युवती व उसके बच्चे की डीएनए रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। फारेंसिक लैब की आख्या के अनुसार, किशोर आरोपित युवती के बच्चे का जैविक पिता नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए युवती को दोषमुक्त कर दिया।