Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    SSP अजय सिंह बोले- 'एनफोर्समेंट से नहीं ट्रैफिक सेंस से कम होगी जाम की समस्या'

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 10:34 AM (IST)

    देहरादून में त्योहारों के दौरान यातायात और अपराध नियंत्रण पुलिस के लिए चुनौती है। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि यातायात सुधार के लिए ट्रैफिक सेंस जरूरी है। बाल व महिला अपराधों में परिचितों की भूमिका अधिक है, इसलिए सतर्कता आवश्यक है। नशे के खिलाफ सैंपलिंग अभियान चलाया जा रहा है। साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है। लूट और डकैती जैसे अपराधों में कमी आई है, लेकिन वर्चुअल अपराध बढ़ रहे हैं।

    Hero Image

    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून में त्यौहारों के सीजन में पुलिस के लिए और भी चुनौती बढ़ जाती है। शहर में खरीदारी के साथ-साथ वीवीआइपी दौरे बढ़ जाते हैं। ऐसे में यातायात व्यवस्था से लेकर कानून व्यवस्था बनाने बड़ी चुनौती साबित होती है। शहर की आबादी 20 लाख से अधिक जबकि 15 लाख वाहन हैं। वहीं शहर की सड़कें घट चुकी हैं और मानव संसाधन में लगातार कमी आ रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    बाल व महिला अपराध में अधिकतर परिचितों को हाथ, स्वजन बच्चों की गतिविधि पर रखें नजर

     

    दीपावली के साथ-साथ राज्य स्थापना दिवस पर बड़े कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिससे पुलिस को दिन रात ड्यूटी में तैनात रहना पड़ता है। शहर में यातायात व्यवस्था से लेकर अपराध पर नियंत्रण को लेकर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता सोबन सिंह गुसांई ने देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह से सीधे सवाल किए। आइए जानते हैं एसएसपी के रूप में वह चुनौतियों का समाधान कैसे करेंगे।

    सवाल : शहर में यातायात की समस्या दिन-ब-बिगड़ती जा रही है। शासन-प्रशासन यातायात में सुधार के दावे करता है, लेकिन हालत जहां के तहां हैं?
    जवाब: शहर के कई मार्ग ऐसे हैं, जिन पर डायवर्जन प्वाइंट नहीं हैं। त्यौहारों के सीजन में भीड़ को कम नहीं किया जा सकता, शहर में पार्किंग की संख्या कम हैं। वाहनों की संख्या 14 लाख से अधिक पहुंच चुकी हैं। इनफोर्समेंट बढ़ाकर यातायात सुचारू नहीं कर सकते, इसलिए वाहन चालकों में ट्रैफिक सेंस होनी जरूरी है।

    सवाल: बाल व महिला अपराध के मामले में लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ समय से स्कूली बच्चों के लापता होने के मामले भी बढ़े हैं, इस पर किस तरह से अंकुश लगाएंगे?
    जवाब : बाल व महिला अपराध के जो मामले सामने आए उनमें से 95 प्रतिशत केसों में पीड़ित को रिकवर किया गया है। इसके पीछे कोई बाहरी नहीं बल्कि परिचित ही होते हैँ। कई बच्चे सोशल साइट्स से जुड़े हुए हैं, जिन्हें आरोपित बहला फुसलाकर ले जाते हैं। बच्चों व महिला का अपहरण के मामले बहुत कम सामने आए हैं। स्वजनों को भी चाहिए कि बच्चों की गतिविधियों पर नजर बनाकर रखें।

    सवाल : नशा युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। आपने छात्र-छात्राओं की सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू की है। इससे नशे पर कितना अंकुश लगेगा? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नशामुक्त उत्तराखंड अभियान को साकार करने के लिए आगे क्या रणनीति अपनाने जा रहे हैं?
    जवाब : देहरादून शिक्षा का हब है। यहां पर 80 से 90 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। नशे के कारण आत्महत्या, लड़ाई झगड़े, स्ट्रीट क्राइम जैसी घटनाएं सामने आती हैं। नशे को जड़ से खत्म करने के लिए जागरूकता व चेकिंग अभियान काफी है। ऐसे में उनकी सैंपलिंग प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक 23000 छात्र-छात्राओं से सहमति पत्र लिए जा चुके हैं। कुछ छात्रों के सैंपल भी लिए जा चुके हैँ। 15 छात्राओं को एक शैक्षणिक संस्थान की ओर से निलंबित किया गया है जबकि एक छात्र कालेज छोड़कर जा चुका है। अब जिला प्रशासन की मदद से सैंपलिंग अभियान को बढ़ाया जा रहा है, ताकि अन्य छात्र-छात्राएं जागरूक रहें।

    सवाल: साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है। अपराधी भोले-भाले लोगों की खून पसीने की कमाई लूट रहे हैं। बहुत कम केसों में ही पीड़ित की धनराशि वापस हो सकती है। शहरवासियों को साइबर अपराध से बचाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
    जवाब : साइबर अपराध से बचने के लिए हमको खुद ही जागरूक होना पड़ेगा। यह ऐसा अपराध है जिसमें अपराधी कई हजार किलोमीटर दूर बैठा होता है। लोग लालच में आकर ठगी के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में तो लोग ठगी होने पर भी अपनों को बताने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में लोग खुद जागरूक होकर इस लड़ाई को लड़ने में पुलिस का साथ दें। साइबर ठगी होने पर तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।

    सवाल : यदि ओवरआल अपराध की बात करें तो आपको क्या लगता है कि अपराध पर कितना अंकुश लग पाया है?
    जवाब : लूट, डकैती, रुपयों के लिए अपहरण व फिरौती जैसे अपराध की घटनाओं में कमी आई है। कुछ समय पहले तक छीनाझपटी की घटनाएं सामने आ रही थी, लेकिन भारतीय न्याय संहिता नए कड़े कानून के तहत अब इन केसों में भी कमी आई है। 40 से 50 छीनाझपटी के आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। अब वर्चुअल अपराध में बढ़ोतरी हो रही है जिसमें नशा तस्करी को रोकना पुलिस की प्राथमिकता है।