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    उत्‍तराखंड की राजधानी देहरादून भी पलायन की जद में, 53 गांवों से 2802 व्यक्तियों ने किया स्थायी पलायन

    By Nirmala BohraEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 10:19 AM (IST)

    Migration in Uttarakhand उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की देहरादून जिले की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है जो आयोग के उपाध्यक्ष डा एसएस नेगी ने हाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी है।

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    देहरादून जिले के गांव भी पलायन की मार झेल रहे

    राज्य ब्यूरो, देहरादून : उत्तराखंड में पलायन एक गंभीर समस्या बना हुआ है। स्थिति यह आ गई है कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में देहरादून जिले के गांव भी पलायन की मार झेलने लगे हैं। ग्रामीण बेहतर जीवन व सुविधाओं के लिए नजदीकी कस्बों व शहरों में बस रहे हैं।

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    देहरादून जिले के 53 गांवों के 2802 व्यक्ति स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं, जबकि 231 ग्राम पंचायतों के 25781 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की देहरादून जिले की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है, जो आयोग के उपाध्यक्ष डा एसएस नेगी ने हाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी है।

    उत्तराखंड के गांवों से पलायन ऐसा विषय है, जिसका 21 वर्ष बाद भी समाधान नहीं हो पाया है। पलायन का सबसे अधिक असर अभी तक पर्वतीय जिलों में नजर आ रहा था। पर्वतीय जिलों के 3946 गांवों से 1.18 लाख व्यक्ति स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं। अब पलायन का दंश मैदानी क्षेत्रों में भी दिख रहा है। पलायन आयोग की देहरादून जिले की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट इसकी बानगी है। आयोग ने पर्वतीय व मैदानी दोनों स्वरूप वाले इस जिले के छह विकासखंडों के 401 ग्राम पंचायतों का अध्ययन किया।

    रिपोर्ट बताती है कि देहरादून के गांवों से भी पलायन का क्रम थमा नहीं है। जिले में सबसे अधिक स्थायी पलायन चकराता विकासखंड से हुआ है। यहां के 16 गांवों के 611 व्यक्ति अब अन्य क्षेत्रों में बस चुके हैं। वहीं, सबसे अधिक अस्थायी पलायन कालसी से हुआ है। यहां के 107 गांव अस्थायी पलायन की जद में हैं। यानी, यहां के निवासियों का गांव में आना जाना लगा रहता है और वे रोजगार के लिए बाहर हैं।

    आयोग की संस्तुतियां

    आयोग ने पलायन को रोकने के लिए अपनी रिपोर्ट में कई संस्तुतियां की हैं। इनमें मनरेगा के तहत पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों के लिए मजदूरी की अलग-अलग दरें तय करना प्रमुख रूप से शामिल है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि को लाभकारी बनाते हुए इसे बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण के साथ ही समय पर अच्छे बीज की उपलब्धता, उद्यान के क्षेत्र में उच्च कोटि की नर्सरी की स्थापना, सिंचाई की उचित व्यवस्था और उद्योगों में स्थानीय निवासियों को रोजगार की उपलब्धता पर जोर दिया गया है।

    इन गांवों में अस्थायी पलायन

    विकासखंड - ग्राम - व्यक्ति

    कालसी- 107-11399

    विकासनगर- 26- 7397

    रायपुर- 26- 3176

    चकराता-59- 3172

    डोईवाला- 09- 493

    सहसपुर- 04- 144

    यहां से स्थायी पलायन

    विकासखंड- गांव -व्यक्ति

    रायपुर- 08- 1657

    चकराता -16- 611

    विकासनगर- 11- 354

    सहसपुर- 07-120

    कालसी- 07- 34

    डोईवाला- 04- 26