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    गाड़ी ही नहीं शरीर को भी ''जख्म'' दे रहीं देहरादून में छलनी सड़कें, कमर और रीढ़ की हड्डियों के लिए भी खतरनाक

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:34 PM (IST)

    मानसून में देहरादून की गड्ढों भरी सड़कें परेशानी का सबब बनी हुई हैं। चिकित्सकों के अनुसार इनसे गर्भवती महिलाओं और हृदय रोगियों को खतरा है। हड्डी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इनसे कमर और रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है। ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों के अनुसार सड़कों में गड्ढों के कारण टायर फटना और स्टेयरिंग संबंधी दिक्कतें आ रही हैं। सुरक्षित ड्राइविंग की सलाह दी गई है।

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    वर्षाकाल में शहर की सड़कों का बुरा हाल. File

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। मानूसन काल में बड़े-बड़े गड्ढ़ों से छलनी दून शहर की सड़कें न केवल वाहन बल्कि उसमें सवार लोगों के शरीर को भी जख्म दे रही हैं। चिकित्सकों के अनुसार वाहन चलाते समय तेज और अप्रत्याशित झटका केवल वाहन को गंभीर संरचनात्मक क्षति पहुंचा सकता है, बल्कि मानव शरीर के लिए भी घातक है।

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    गर्भवती महिलाओं और हृदयरोगियों के लिए तेज झटका बड़ा खतरा साबित हो सकता है। वहीं, आटोमोबाइल विशेषज्ञों का कहना है कि गड्ढ़ों के कारण होने वाली क्षति न केवल वाहन में यांत्रिक समस्या पैदा कर सकती है, बल्कि वाहन के शाकर, बैलेंसिंग राड और टायर के लिए भी खतरा है।

    दून मेडिकल कालेज के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विक्रांत चौहान के अनुसार जिस तरह खराब सड़क दुर्घटना की बड़ी वजह हो सकती है, वैसे ही कमर और रीढ़ की हड्डियों के लिए भी खतरनाक है, खासकर स्कूटी और बाइक सवारों के लिए। सबसे ज्यादा असर बुजुर्ग और बच्चों पर पड़ता है, जो रोज ऐसी सड़क पर यात्रा करते हैं।

    यात्रा के दौरान वाहन हिलने से छोटे-छोटे झटके लगने आम हैं, लेकिन लगातार ऐसा होने से कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी, गर्दन में दर्द और डिस्क की समस्या हो सकती है। डा. विक्रांत के अनुसार झटके से घुटनों, कुल्हे व टखनो पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है।

    अगर सड़क में बड़े गड्ढे हैं तो इससे अचानक जोरदार झटका लगता है व कभी-कभी एकदम ब्रेक लगाना पड़ता है। इसका सीधा असर रीढ़ की हड्डी में चोट लगने जैसा होता है। इसे विप्लेस इंजरी कहते हैं जो हड्डी टूटने तक का कारण भी बन सकती है। किसी को पहले से कमर दर्द, गर्दन दर्द या रीढ़ की हड्डी में परेशानी है तो दिक्कत और बढ़ जाती है।

    वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डा. योगेंद्र सिंह के अनुसार गड्ढों की सड़क से गुजरना हृदय के रोगियों के लिए तनावपूर्ण गतिविधि हो सकती है, जो हृदय गति व रक्तचाप को बढ़ा सकती है।

    गर्भपात के अलावा गर्भस्थ शिशु को भी खतरा

    वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा सुजाता संजय ने बताया कि अगर किसी की डिलीवरी डेट पास है और डिलीवरी कभी भी हो सकती है, तो गड्ढों वाली सड़कों पर चलना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। तेज गति या असमान सतह से झटके लगने से गिरने और चोट लगने का खतरा रहता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए जोखिमपूर्ण है।

    गंभीर स्थिति में प्रीमेच्योर ब्लीडिंग हो सकती है, जो कभी-कभी गर्भपात का कारण बन सकती है।कई बार वक्त से पहले प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है, और अगर वह जीवित रहते हैं तो उन्हें आजीवन शारीरिक और मानसिक विकलांगता झेलनी पड़ सकती है।

    स्टेयरिंग असेंबली व एग्जास्ट हो रहे खराब

    आटो मोबाइल विशेषज्ञ विकास आनंद के अनुसार सड़क के गड्ढे़ में सबसे बड़ा नुकसान टायर को पहुंचता है। जब वाहन का टायर गहरे गड्ढे में गिरता है, तो टायर फट सकता है या तीखे किनारों से पंचर हो सकता है। टायर के खराब होने के अलावा, टायर फटने से आपका वाहन नियंत्रण खो सकता है और सामने से आने या जाने वाले दूसरे वाहन से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है।

    इसके अलावा गड्ढे से टकराने का बल स्टीयरिंग असेंबली को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे संभावित नियंत्रण समस्याएं हो सकती हैं और दुर्घटना का खतरा बढ़ सकता है। अगर गड्ढा काफी गहरा है, तो वाहन का एग्जास्ट खराब हो सकता है क्योंकि यह जमीन में घिसटता या गिरता है। क्षतिग्रस्त एग्जास्ट सिस्टम इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है और साथ ही चालक व यात्रियों को कार्बन मोनोआक्साइड गैस रीलीज होने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

    सिडान कारों की बाडी को खतरा

    यदि, वाहन सिडान है तो उसकी बाडी को भी काफी नुकसान हो सकता है। बंपर व साइलेंसर टूटने के साथ ही वाहन में सड़क की रगड़ लग सकती है। आटो मोबाइल विशेषज्ञ विकास आनंद के अनुसार वर्षाकाल में गड्ढ़ों के कारण कार क्षतिग्रस्त होने के औसत 70 से 80 मामले रोजाना शहर में सामने आ रहे हैं।

    दुपहिया के टूट रहे शाकर

    दुपहिया वर्कशाप चलाने वाले आफताब खान के अनुसार गड्ढ़ों के कारण दुपहिया के शाकर पर सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। शाकर टूटने का खतरा बना रहता है। आफताब के अनुसार इन दिनों दुपहिया के शाकर टूटने के 80 से 100 मामले रोजाना आ रहे हैं। इसके अलावा टायर फटने या कटने के मामले भी बढ़ गए हैं।

    सावधानी पूर्वक चलाएं वाहन

    चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अगर इन परेशानियों से बचाना है तो सुरक्षित सड़कों से होकर गुजरें। वाहन को धीमा और गड्ढों से बचा कर चलाएं। अक्सर बरसात के दिनों में पानी भरने से गड्ढे छुप जाते हैं, इसका विशेष ध्यान रखें।

    बाइक व स्कूटी राइडर्स अपने बैठने के तरीके को थोड़ा सही करें। सड़क में गड्ढे से बाइक निकलते हुए सीट से थोड़ा सा उठकर पार करें। अपने गंतव्य पर पहुंचकर थोड़ा सा फिजिकल एक्सरसाइज करें। ऐसे रास्ते से जाने के बाद कुछ देर तक झुकने का कोई काम न करें व सीधी स्थिति में रहें।