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    Dehradaun Disaster: फुलेत गांव में जनजीवन अस्त-व्यस्त, अंधेरे में कट रही रात

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 03:15 PM (IST)

    देहरादून के फुलेत गाँव में भारी बारिश से तबाही हुई है। सड़कें और संचार सेवाएं बाधित हैं जिससे ग्रामीण अलग-थलग पड़ गए हैं। मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की टीम जुटी है लेकिन बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को होटलों में शिफ्ट किया है और राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। ग्रामीण बिजली और राशन की कमी से जूझ रहे हैं।

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    बिजली के साथ फोन भी हुए बंद, सैलाब में लापता लोगों की तलाश में जुटी है एसडीआरएफ. Jagran

    सोबन सिंह गुसांई, जागरण देहरादून। मालदेवता से करीब 20 किलोमीटर दूर फुलेत गांव में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। मंगलवार सुबह अतिवृष्टि के कारण ग्रामीणों की जिंदगी ठहर सी गई है।

    सैलाब के कारण सड़कों के साथ बिजली पोल व टेलीफोन सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी हैं। ऐसे में ग्रामीणों का पूरी तरह से संपर्क कट गया है। मलबे में लापता हुए छह लोगों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की टीम पहुंच गई है, लेकिन पूरे दिन बचाव अभियान चलाने के बाद भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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    मंगलवार सुबह देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा रायपुर से ऊपर पहाड़ में बसे फुलेत गांव में भी अतिवृष्टि हुई। जिसके कारण एक मकान पूरी तरह से दब गया। भयानक आपदा के कारण आठ लोग लापता हो गए, जिसमें दो लोग मलबे के नीचे दिखाई दिए। जगह-जगह सड़कें टूटने, बिजली पोल बहने व टेलीफोन सेवा बंद होने के कारण ग्रामीण स्थानीय प्रशासन से कोई संपर्क नहीं कर पाए। दोपहर करीब एक बजे एसडीआरएफ कंट्रोल रूम में सूचना मिली कि फुलेत में कुछ लोग दबे हुए हैं, ऐसे में प्रेमनगर से एक टीम बचाव कार्य के लिए फुलेत भेजी गई।

    एसडीआरएफ की एक टीम रायपुर तक पहुंची, जहां से रास्ता बंद मिला। इसके बाद एसडीआरएफ के जवान जरूरी उपकरण लेकर पैदल ही निकल पड़े। रात नौ बजे एसडीआरएफ की टीम गांव पहुंची, जहां अंधेरा छाया हुआ था। ऐसे में टीम ने बचाव कार्य के लिए सुबह का इंतजार किया। बुधवार सुबह एसडीआरएफ की टीम ने बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन सैलाब में इतना मलबा आया है कि बिना मशीनों के इन्हें हटाया नहीं जा सकता। ऐसे में पूरे दिन एसडीआरएफ की टीम लापता लोगों की तलाश में जुटी रही। बुधवार रात को भी टीम वहीं ठहरी।

    अंधेरे में डर के साए में रह रहे ग्रामीण

    जंगल के बीच बसे गांव में दो दिन से बिजली न होने के कारण ग्रामीण अंधेरे में रह रहे हैं। मौसम खराब होने पर ग्रामीण खौफ में आ रहे हैं। जब तक गांव तक पहुंचने वाली सड़क ठीक नहीं होती, तब तक बिजली लाइन सुचारु होनी मुश्किल है। ग्रामीण सुरेंद्र सिंह ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी सुध लेकर जल्द से जल्द बाधित सेवाएं सुचारु की जाएं।

    एसडीआरएफ जवानों ने बनाया हेलीपेड तब पहुंचा राशन

    अतिवृष्टि के कारण गांव में कुछ घरों का राशन भी खराब हो चुका है, ऐसे में उनके सामने खाने-पीने की समस्या भी बन गई है। बुधवार को एसडीआरएफ की टीम ने खेत में अस्थायी हेलीपेड बनाया, जिसके बाद राशन को हेलीकाप्टर से गांव पहुंचा और ग्रामीणों को राशन सामग्री मिल पाई।

    आपदा प्रभावितों को होटलों में किया शिफ्ट

    देहरादून: देहरादून में आपदा के बाद जिला प्रशासन सक्रियता से राहत और बचाव कार्यों को आगे बढ़ा रहा है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशन में प्रभावित परिवारों को राहत शिविरों से निकालकर नजदीकी सुरक्षित होटलों में शिफ्ट किया गया है और एनजीओ के माध्यम से खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। जिलाधिकारी स्वयं आपदा राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं और विभागों से समन्वय बनाकर बचाव व पुनर्वास कार्यों को गति दे रहे हैं।

    मंझाड़ा-कार्लीगाड क्षेत्र में सर्च और रेस्क्यू आपरेशन जारी है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ स्थानों पर ठहराया जाए। साथ ही गुणवत्तायुक्त भोजन, साफ-सफाई और स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए। उप जिलाधिकारी कुमकुम जोशी के प्रयासों से नागल हटनाला के प्राइमरी स्कूल में ठहरे 60 आपदा पीड़ितों को होटल हिमालयन व्यू में शिफ्ट किया गया है। इसी प्रकार कार्लीगाड के 60 प्रभावितों को हिमालयन व्यू, सेरागांव के 32 लोगों को ईरा रिजार्ट और कुल्हान के 76 प्रभावितों को हिल व्यू होटल में स्थानांतरित किया गया है।

    आपदा प्रभावितों की सुविधा के लिए प्रशासन ने पांच होटलों वाईब्स लाइन, आइसबर्ग, हेली रिजार्ट एंड रेस्टोरेंट, होटल हिल व्यू और पर्ल इन को अधिग्रहित किया है। इन स्थानों पर प्रभावित परिवारों की देखभाल के लिए 10 कार्मिकों की तैनाती भी की गई है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में जिला प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। मंझाड़ा गांव के सभी 40 परिवार शिफ्ट किए गए हैं। वहीं, कार्लीगाड में सुरक्षित स्थानों पर बने घरों में लोग अभी रह रहे हैं।