देहरादून का ओएनजीसी चौक हादसा, एक वर्ष पहले 11 नवंबर की वो काली रात; एक साथ बुझ गए थे छह घरों के चिराग
देहरादून के ओएनजीसी चौक पर बीते साल 11 नवंबर को एक दुखद घटना घटी। जिसमें छह दोस्तों की एक साथ मौत हो गई थी। इस हादसे ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया था। पीड़ित परिवार अभी भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

ओएनजीसी चौक का सड़क हादसा। जागरण आर्काइव
अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून: 11 नवंबर 2024, मध्य रात्रि 1:33 बजे का समय, ओएनजीसी चौक और भयानक हादसा। दून शहर शायद ही वो काली रात कभी भूल पाएगा, जिसमें छह घरों के 'चिराग' पलभर में बुझ गए थे।
ओएनजीसी चौक पर मध्य रात्रि डेढ़ बजे बेलगाम गति से दौड़ती कार व कंटेनर की भिड़ंत में जिस तरह दो युवाओं की कटी हुई गर्दन और शवों के चीथड़े इधर-उधर सड़क पर फैले थे, उसने हर किसी को झकझोर दिया था।
इस भयावह हादसे में युवाओं की बेलगाम गति से दौड़ती हुई कार तो एक कारण थी ही, लेकिन उससे भी बड़ा कारण पुलिस की रात्रि चेकिंग व्यवस्था ध्वस्त होना रहा।
स्थिति यह है कि पुलिस इस घटना के सालभर बाद भी कंटेनर चालक को नहीं पकड़ सकी, न ही चार्जशीट दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी तब घटना का संज्ञान लेकर शासन से रिपोर्ट तलब की थी, मगर दुनिया को अलविदा कह चुके छह युवाओं के स्वजन आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं।

राजपुर रोड स्थित जाखन से बेलगाम गति से शहर के बीचोंबीच पुलिस के पांच बैरियरों से गुजरते हुए कार 10 किमी दूर ओएनजीसी चौक तक पहुंच गई, लेकिन कहीं भी कार को रोका नहीं गया।
अगर पुलिस चेकिंग में यह कार रोक ली जाती, तो शायद हादसे को रोका जा सकता था। सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने इस प्रकरण में शासन से रिपोर्ट तलब की थी, तो माना जा रहा था कि न केवल इस दुर्घटना के असल 'जिम्मेदार' सरकारी तंत्र पर कार्रवाई हो सकेगी।
बल्कि शायद सरकार ऐसे कदम भी उठाएगी, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस हादसे के बाद शासन, जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग ने अपने स्तर पर अलग-अलग कदम उठाए, लेकिन वह सभी कदम केवल 'दिखावा मात्र' रहे।

अब भी सदमे में हैं परिवार
जो छह युवा असमय काल का शिकार बने, उनके परिवार वाले अब भी सदमे में हैं। इस हादसे में छह युवाओं की जान लील लेने वाली इनोवा हाइक्रास कार जब 11 नवंबर-2024 की देर रात करीब एक बजे जाखन से निकली तो डिवाइडर के विपरीत दिशा में नीचे यानी शहर की तरफ आई।
बेलगाम गति पकड़ चुकी कार को पैसेफिक माल के एक कर्मचारी ने देखा तो पुलिस को सूचित भी किया, लेकिन पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई। फिर कार पुलिस की कैनाल रोड, दिलाराम बाजार व घंटाघर की बैरिकेडिंग तक छह किमी बिना रोक-टोक पहुंच गई, जबकि कार पर नंबर प्लेट भी लगी थी।
घंटाघर से कार तीन किमी दूर बल्लूपुर चौक बैरिकेडिंग तक जा पहुंची, लेकिन यहां भी कार को नहीं रोका गया। वहां से कार गढ़ी कैंट की ओर मुड़ी और करीब 800 मीटर दूर जाकर हादसे का शिकार हो गई। पुलिस और परिवहन विभाग शहर में रात्रि चेकिंग के लाख दावे करते रहे हैं, लेकिन इस हादसे ने दोनों की चेकिंग व्यवस्था की पोल खोल दी थी।

11 वर्ष से बिना फिटनेस दौड़ रहा था कंटेनर
दून में पुलिस व परिवहन विभाग की चेकिंग व्यवस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि युवाओं की कार के आगे आया कंटेनर (एचआर-55-जे-4348) 11 वर्ष से बिना फिटनेस दौड़ रहा था। गुरुग्राम के आरटीओ कार्यालय में बीआरसी लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 12 अगस्त-2009 को पंजीकृत हुए उक्त कंटेनर का फिटनेस प्रमाणपत्र 16 अगस्त-2013 को समाप्त हो गया था, जबकि टैक्स व बीमा 31 मार्च-2015 को खत्म हो चुका था। कंटेनर का चालक साइड का फ्रंट शीशा टूटा हुआ था, इस पर रिफ्लेक्टर टेप और पंजीयन नंबर प्लेट तक नहीं थी। खस्ताहाल होते हुए भी यह कंटेनर बेधड़क दून की सड़कों पर दौड़ रहा था।
शहर में 40 कैमरे अब भी खराब
स्मार्ट सिटी के तहत शहरभर में 674 कैमरों का जाल बिछाते हुए 235 करोड़ रुपये की लागत से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। इसके बाद भी 115 सीसीटीवी कैमरे अहम क्षेत्रों में गत वर्ष नवंबर में खराब पड़े थे।
जिम्मेदारों को यह तब पता चला था, जब ओएनजीसी चौक हादसे के बाद कार की लोकेशन देखने के लिए सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल की गई थी। ओएनजीसी चौक ही नहीं, बल्कि शहरभर में 115 सर्विलांस कैमरे विभिन्न स्थानों पर खोदाई के कारण केबिल कटने से उस समय सात माह से बंद पड़े थे। हालात ये हैं कि इनमें से 40 कैमरे अब भी खराब पड़े हैं।
देर रात पार्टियों पर अब भी नहीं नियंत्रण
कई प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय व कोचिंग संस्थान होने के कारण दून को एजुकेशन हब के नाम से भी जाता जाता है। देश के विभिन्न राज्यों से छात्र-छात्राएं यहां पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन इनमें कुछ छात्र-छात्राएं अपनी ही लापरवाही के कारण जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं।
इसकी सबसे बड़ी वजह देर रात दून शहर में होने वाली पार्टियां और लांग-ड्राइव का जुनून है। पिछले कुछ माह में हुई दुर्घटना की असल वजह भी यही रही।
पुलिस-प्रशासन दुर्घटना के इन कारणों पर नियंत्रण लगाने में पूरी तरह विफल रहा, लेकिन गत वर्ष 11 नवंबर की दुर्घटना के बाद जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर शहर के सभी बार कुछ दिन जरूर रात्रि 11 बजे बंद करा दिए गए, लेकिन अब हालात फिर पहले जैसे हैं।
ये दुर्घटनाएं भी खोल चुकी हैं चेकिंग की पोल
मसूरी में गई थी पांच छात्र-छात्राओं की जान
- देर रात पार्टी और लांग-ड्राइव के जुनून में ही गत वर्ष चार मई की तड़के मसूरी में कार खाई में गिरने से पांच छात्र-छात्राओं की जान चली गई थी।
- यह सभी छात्र फोर्ड की एंडेवर कार से रात ढाई बजे घूमने निकले और सुबह करीब पांच बजे दून लौटते समय मसूरी में झड़ीपानी रोड पर कार कई मीटर नीचे दूसरी सड़क पर जा पलटी। इस दुर्घटना में मसूरी रोड स्थित एक विवि के चार छात्र और एक छात्रा की मौत हो गई थी, जबकि एक छात्र बुरी तरह घायल हो गया था।
चार युवाओं की जिंदगी हुई थी खत्म
- मसूरी कार दुर्घटना के 13 दिन बाद 17 मई को भी दो अलग-अलग दुर्घटना में चार युवकों की मौत हो गई थी। प्रेमनगर के धूलकोट डाट काली मंदिर के पास डंपर की टक्कर से बाइक सवार दो युवकों की मौके पर मौत, जबकि एक घायल हो गया था।
- इसी देर रात बल्लीवाला फ्लाईओवर पर दो बाइक सवार चार दोस्तों में आगे निकलने की होड़ में आपस में टक्कर हो गई, जिसमें दो युवकों की मौत हो गई थी। इनमें एक युवक की मौत फ्लाईओवर से नीचे गिरने के कारण हुई थी।
सेना के कैप्टन व दोस्त की गई थी जान
- दून के पाश क्षेत्र हाथीबड़कला में 11 अक्टूबर-2023 को हुई दुर्घटना में कार के कंटेनर से टकराने के कारण थल सेना के एक कैप्टन व उनके दोस्त की मौत हो गई थी।
- देर रात दोनों दोस्त पार्टी व लांग-ड्राइव कर कार से लौट रहे थे कि सेंट्रियो माल के बाहर गलत ढंग से खड़े कंटेनर में कार जा घुसी थी।
शहर में दुर्घटना नियंत्रण को लेकर जो भी कदम उठाए जा सकते हैं, वह सभी पुलिस ने उठाए हैं। रात्रि चेकिंग व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए हर मुख्य मार्ग पर बैरियर लगाकर चेकिंग की जा रही है। एल्कोमीटर से वाहन चालकों की जांच की जा रही है और वैकल्पिक मार्गों पर भी थाना व चौकी पुलिस नजर रख रही हैं।
-अजय सिंह, एसएसपी देहरादून
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