Dehradun News: फिजाओं में गूंजी या हुसैन की सदाएं, शिया समुदाय के लोग ने कर्बला में इमाम हुसैन के बलिदान को किया याद
Dehradun News फिजाओं में गूंजी या हुसैन की सदाएं। आज देहरादून में शिया समुदाय के लोग ने कर्बला में इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया। जुलूस में हुसैन जिंदाबाद कल भी जिंदा था आज भी जिंदा है गूंजता रहा।
जागरण संवाददाता, देहरादून: मोहर्रम की दस तारीख यानी यौमे आशूरा पर शिया समुदाय ने शहर में मातमी जुलूस निकालकर कर्बला में शहीद हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों के बलिदान को याद किया। जुलूस में हुसैन जिंदाबाद, कल भी जिंदा था-आज भी जिंदा है, गूंजता रहा। हर किसी की आंखें नम थी और हुसैन की याद में लोग बार बार रो रहे थे।
मंगलवार को ईसी रोड स्थित इमामबाडा में शिया समुदाय के लोग एकत्रित हुए। मातमी जुलूस में बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। जुलूस में इमाम हुसैन का घोड़ा, जुनजुना और ताजिये लेकर मातमी चल रहे थे।
इमाम हुसैन और उनके साथियों को किया याद
दोपहर तीन बजे मातमी जुलूस सर्वे चौक, तिब्बती मार्केट, लैंसडौन चौक, दर्शनलाल चौक होते हुए गांधी रोड स्थित इनामुल्ला बिल्डिंग में पहुंचकर समाप्त हुआ। इसके बाद ताजिये दफन किए गए। एक मोहर्रम से चल रही मजलिसों में इमाम हुसैन और उनके साथियों को याद किया गया।
- 10 मोहर्रम को जुलूस में मौलाना असगर जैदी, मौलाना असकरी ने तकरीर कर इमाम हुसैन के बलिदान के बारे में बताया।
- कहा कि हुसैन ने दुनिया में बराबरी और अमन का संदेश दिया। हक और इंसाफ के लिए वह अत्याचारी ताकतों से लड़ते रहे।
उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इस दौरान तिरंगा लहराकर एकता का संदेश दिया गया। मातमी जुलूस में सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात रहा। इस मौके पर अंजुमन मोइनुल मोमिनीन के सदर कल्बे हैदर जैदी, सचिव शहंशाह नकवी, हसन जैदी, सिंकदर जैदी, समल नकवी, रजा जैदी आदि मौजूद रहे।
हजरत इमाम हुसैन की शहादत को किया याद
हरिद्वार के बहादराबाद क्षेत्र के आसपास गावों में मोहर्रम मनाया गया। ताजियों के साथ मातमी जुलूस निकाल कर ताजिये अपनी-अपनी करबला में सुपुर्द-ए-खाक कर दुआ की गई।
जुलूस के दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए और संवेदनशील इलाकों के साथ-साथ सभी स्थानों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए नमाज के बाद ताजियों को जियारत के लिए सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित कर अकीदतमंदों के दीदार के लिए रखा गया।
सभी स्थानों पर स्थापित किए गए ताजियों पर मजलिस और फातिहाख्वानी के बाद खिराज-ए-अकीदत पेश की गई। इसके साथ ही अखाड़ा खेलते हुए इन सभी ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों के सलेमपुर, गढ़मीरपुर, बहादराबाद आदि क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से स्थानीय लोग मोहर्रम के लिए ताजिया बनाते हैं।