Dehradun-Mussoorie Route पर भयंकर जाम, दून से मसूरी जाने में तीन और वापसी में लग रहे चार घंटे
देहरादून से मसूरी तक मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण भारी जाम लग रहा है जिससे पर्यटकों को परेशानी हो रही है। 35 किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन घंटे लग रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के प्रयास विफल हो रहे हैं। कैंपटी फाल और हरिद्वार मार्ग पर भी जाम की स्थिति है। बसों का संचालन बंद होने से पर्यटकों को महंगी टैक्सियों का सहारा लेना पड़ रहा है।

अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। सुकून व प्रकृति की शांत वादियों के बीच छुट्टी बिताने मसूरी आने वाले सैलानियों की झुंझलाहट इन दिनों साफ नजर आ रही है। झुंझलाहट हो भी क्यों न, क्योंकि जितना समय दिल्ली-नोएडा से देहरादून पहुंचने में लग रहा, उतना ही समय दून से मसूरी जाने में खर्च करना पड़ रहा।
यूं तो दून से मसूरी की दूरी सिर्फ 35 किमी है, लेकिन कार से इन दिनों यह दूरी लगभग तीन घंटे में तय हो रही। आपदा के कारण मसूरी मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण पूरा दिन यातायात जाम के कारण सैलानी परेशान हो रहे और पुलिस-प्रशासन के सभी प्रयास विफल साबित हो रहे हैं। ऐसे में अगर आप मसूरी जा रहे हैं तो जाम में फंसना निश्चित मानिए। यही नहीं, मसूरी से दून वापस आने में एक घंटा और अतिरिक्त लग रहा, यानी चार घंटे।
गुलाबी शाम और हल्की ठंड के बीच पहाड़ों की रानी मसूरी में इन दिनों पर्यटकों की चहल-कदमी दोबारा शुरू हो गई है। दरअसल, 15 सितंबर को आई आपदा के बाद मार्ग बंद होने से मसूरी की रौनक कहीं गुम हो गई थी, लेकिन मार्ग खुलने के बाद सैलानी एक बार फिर मसूरी का रुख कर रहे हैं। चूंकि, मौका सप्ताहंत का है, ऐसे में बड़ी संख्या में सैलानी शुक्रवार से ही मसूरी पहुंचना शुरू हो गए थे।
शनिवार को यह संख्या और बढ़ गई। चूंकि, अभी मसूरी मार्ग आठ स्थानों पर क्षतिग्रस्त है या मलबा जमा है, ऐसे में इन स्थानों पर खासकर कुठालगेट, शिव मंदिर, मसूरी बैंड व झरने के पास, कोल्हूखेत, गलोगी व चूनाखाल में वाहन एक-एक कर दूसरी तरफ निकाले जा रहे हैं। जिस कारण मार्ग पर लंबा जाम लग रहा। इसके अलावा किंक्रेग के भी दोनों ओर दो से तीन किमी लंबा जाम लगा रहा।
दून-मसूरी मार्ग पर भी विभिन्न स्थानों पर सैलानी जाम में फंसे रहे। मसूरी से दो किमी पहले किंक्रेग पड़ता है और यहां से मसूरी लाइब्रेरी चौक तक दो किमी तय करने में सैलानियों को एक घंटे का समय लगा। जाम में फंसे सैलानी झुंझलाते रहे, लेकिन पुलिस-प्रशासन जाम खुलवाने में असफल साबित हुए।
स्थिति यह है कि भीड़ प्रबंधन को लेकर भी प्रशासन कोई कदम नहीं उठा पा रहा है। वापस लौटते हुए भी सैलानियाें को जाम में फंसना पड़ा। पुलिस-प्रशासन की ओर से उचित व्यवस्था न किए जाने के कारण दिनभर लगे जाम से मसूरी आने का सैलानियों का पूरा मूड किरकिरा हो गया।
धनोल्टी, कैंपटी मार्ग भी रहे जाम
कैंपटी फाल जाने वाला मार्ग भी शनिवार को पूरी तरह जाम रहा। दरअसल, बड़ी संख्या में सैलानी सैर के लिए कैंपटी फाल जा रहे थे, ऐसे में यहां से निकलने में ही डेढ़ से दो घंटे का समय लगा। इसके अलावा धनोल्टी, बुरांशखंडा, काणाताल आदि क्षेत्रों में भी सैलानियों की भीड़ के कारण यातायात जाम रहा। अधिकांश होटल और गेस्ट हाउस भी सैलानियों से पैक रहे। भीड़ के चलते कंपनी गार्डन, भट्टाफाल, गनहिल, मसूरी झील समेत लालटिब्बा-चार दुकान समेम माल रोड पर भी जाम की स्थिति रही।
शहर में हरिद्वार मार्ग पर चार किमी लंबा जाम
इन दिनों दून शहर में हरिद्वार मार्ग का भी बुरा हाल है। हाईवे बन जाने के कारण हरिद्वार से जोगीवाला तक तो वाहन सरपट आ रहे हैं, लेकिन जोगीवाला से रिस्पना पुल और अजबपुर फ्लाईओवर तक के चार किमी चलने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग रहा है।
यहां शहर की बड़ी आबादी के साथ ही राजमार्ग (सहारनपुर व हरिद्वार के बीच) के यातायात का दबाव भी रहता है, इसलिए अजबपुर फ्लाईओवर से मोहकमपुर तक जाम लग रहा है। एयरपोर्ट, हरिद्वार व ऋषिकेश से दून की ओर आने वाले वाहन जाम में फंसे रहे। रात तक यही स्थिति थी। यही हाल दून से रिस्पना पुल होकर जाेगीवाला तक भी रहा। सामान्य दिनों में यह दूरी महज दस मिनट में तय होती है।
मसूरी की बसें न चलने से यात्री परेशान
आपदा के बाद से मसूरी मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण परिवहन निगम की बसों का संचालन 15 सितंबर से बंद पड़ा है। इस कारण ट्रेन या बस से दून आने वाले सैलानियों को टैक्सी से महंगे किराये पर मसूरी जाना पड़ रहा। मसूरी मार्ग पर पर्वतीय डिपो की रोजाना 30 बसें संचालित होती हैं। इनमें भी 25 बसें देहरादून-मसूरी जबकि शेष बसें मसूरी होकर दूसरे पर्वतीय स्थलों तक जाती हैं।
मौसम सुहावना होने के कारण दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ समेत सहारनपुर, हरियाणा व पंजाब के पर्यटक इन दिनों मसूरी का रुख कर रहे हैं। शनिवार को भी बड़ी संख्या में सैलानी दून पहुंचे थे पर बसों के न चलने के कारण उन्हें वैकल्पिक वाहन उपयोग करने पडे़।
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