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    Dehradun News: दून-मसूरी रोपवे को लगने लगे पंख, अब 15 मिनट में तय होगा पहाड़ों का सफर

    देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का कार्य तेज़ी से चल रहा है। पुरकुल में लोअर टर्मिनल का भूतल बन चुका है वहीं मसूरी में अपर टर्मिनल का निर्माण शुरू हो गया है। 26 में से 11 टावरों की नींव का काम पूरा हो गया है। उम्मीद है कि वर्ष 2026 तक रोपवे से सफर सुहाना हो जाएगा जिससे देहरादून और मसूरी के बीच यात्रा का समय घटकर केवल 15 मिनट रह जाएगा।

    By tuhin sharma Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 15 May 2025 10:56 AM (IST)
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    2026 तक रोपवे का सफर शुरू हो जाएगा। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    तुहिन शर्मा, जागरण, देहरादून। बहुप्रतिक्षित दून-मसूरी रोपवे परियोजना को पंख लगने लगे हैं। परियोजना का काम तेजी से चल रहा है। देहरादून में सटे पुरकुल गांव में रोपवे के लोअर टर्मिनल स्टेशन के भूतल (ग्राउंड फ्लोर) का निर्माण हो चुका है। अब दूसरी मंजिल का कार्य शुरू होगा। यहां तीन मंजिला पार्किंग भी बन गई है और चौथी मंजिल के लिए शटरिंग का कार्य चल रहा है।

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    वहीं, गांधी चौक मसूरी में बनने वाले अपर टर्मिनल का निर्माण भी शुरू हो चुका है। यहां सड़क (एप्रोच रोड) बन गई है। पूरी परियोजना में बनने वाले 26 टावर में से 11 की नींव का कार्य पूर्ण हो चुका है। साथ ही साथ अन्य टावर की नींव का कार्य भी चल रहा है। उम्मीद है करीब डेढ़ साल बाद रोपवे के जरिये आवागमन शुरू हो जाएगा।

    पर्यटन सीजन के दौरान मसूरी मार्ग पर दिनभर लगने वाले जाम और मसूरी में पार्किंग की समस्या को देखते हुए पर्यटकों को सुविधा के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने साल 2024 की शुरुआत में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के अंतर्गत मसूरी स्काइवार कंपनी के माध्यम से 300 करोड़ रुपये की लागत से देहरादून-मसूरी रोपवे का परियोजना का निर्माण शुरू कराया।

    रोपवे का एक छोर पुरकुल गांव में बना रहा है, जबकि दूसरा मसूरी के गांधी पार्क में है। पुरकुल में पर्यटकों के वाहनों के लिए 10 मंजिला पार्किंग बनाई जा रही है। जहां एक बार में करीब दो हजार से अधिक वाहन खड़े हो सकेंगे। साथ ही यहां पर्यटकों को तरोताजा होने के लिए कैफेटेरिया, शौचालय आदि की सुविधा मिलेगी। पर्यटन विभाग का दावा है कि वर्ष 2026 के अंत तक रोपवे का निर्माण पूर्ण हो जाएगा।

    15 मिनट में देहरादून से मसूरी का तय होगा सफर। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    5.5 किमी में सिमटा 33 किमी का सफर

    आमतौर पर पर्यटन सीजन में पर्यटकों को देहरादून से मसूरी पहुंचने में 1.5 से तीन घंटे का समय लगता है, लेकिन रोपवे के माध्यम से पर्यटक मात्र 15 मिनट में मसूरी पहुंच जाएंगे। सड़क मार्ग से देहरादून से मसूरी की दूरी 33 किमी है। जबकि रोप-वे से यह दूरी सिर्फ 5.5 किमी में रह जाएगी। निर्माणदायी संस्था का दावा है कि यह रोपवे दक्षिण एशिया के सबसे बड़े रोपवे में से एक है।

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    एक घंटे में एक तरफ से पहुंचेंगे 1300 पर्यटक

    रोपवे के रोप और केबिन फ्रांस से मंगाए जा रहे हैं। एक केबिन में एक साथ 10 पर्यटकों के बैठने की क्षमता होगी। यह स्वचलित केबिन हैं और इनके दरवाजे अपने आप खुलेंगे और बंद होंगे। शुरुआत में 55 केबिन आएंगे और भविष्य में केबिन की संख्या बढ़ाई जाएगी। इन केबिन से एक घंटे में एक ओर से करीब 1300 यात्री पहुंच सकेंगे।

    छह मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से दौड़ेंगे केबिन

    रोपवे के केबिन की अधिकतम रफ्तार छह मीटर प्रति सेकेंड होगी। यह रोपवे बचाव तकनीक (रेस्क्यू मोड) से लैस होगा। इससे केबिन की रफ्तार मौसम के अनुसार नियंत्रित होगी। रोपवे का पूरा संचालन आनलाइन होगा। जिसके लिए बकायदा फ्रांस से एक टीम आएगी, जो रोपवे का संचालन करने वाले कार्मिकों को प्रशिक्षित करेगी।

    खूबसूरत सफर में जाम से मिलेगा छुटकारा

    रोपवे से मसूरी का सफर पर्यटकों के लिए अत्यधिक रोमांच और खूबसूरत नजारों से भरा होगा। पहाड़ों के बीच से गुजर कर पर्यटक सीधे मसूरी की माल रोड पर दस्तक देंगे। इससे पर्यटन सीजन में मसूरी मार्ग पर लगने वाले जाम में अंकुश लगेगा। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पर्यटन सीजन रोजाना 10 हजार से अधिक पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं।

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    पर्यटन विभाग के राजस्व में होगा इजाफा

    रोपवे से पर्यटन विभाग के राजस्व में इजाफा होगा। इसके साथ ही पुरकुल गांव में स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। रोपवे से पर्यटक प्रदूषण मुक्त सफर कर सकेंगे। रोप-वे बर्फबारी और वर्षा के बीच सभी सीजन में निरंतर संचालित होगी। जबकि आमतौर पर वर्षा के दौरान भू-स्खलन और मलबा आने से मसूरी सड़क मार्ग बाधित हो जाता है।

    दून-मसूरी रोपवे का निर्माण तेजी से चल रहा है। प्रयास है कि निर्धारित समय में गुणवत्तापरक काम हो। इसके लिए निर्माण कार्य की लगातार निगरानी चल रही है और ठेकेदारों को सख्त हिदायत दी गई है। - सचिन कुर्वे, सचिव, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड