Uttarakhand News: देहरादून में रिवर्स पलायन की कोशिशें नाकाम, आंकड़े गायब
देहरादून में पलायन रोकने की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं। कालसी विकासखंड में 35 क्लस्टर बनाकर बुनियादी सुविधाएं देने का लक्ष्य था पर पलायन के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि देहरादून में भी पलायन की समस्या है जिसका मुख्य कारण बुनियादी सुविधाओं की कमी है। रिवर्स पलायन के बावजूद विभाग के पास वापस लौटे लोगों का कोई आंकड़ा नहीं है।

जागरण संवाददाता, देहरादून । जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन रुका या नहीं इसका आंकडें विभाग के पास नहीं हैं। ऐसे में दूसरे प्रदेशों में गए और अपने गांव को छोड़कर राज्य के अन्य शहरों से वापस अपने गांव-घर लौटने वाले लोगों का के बारे में अधिकारियों को जानकारी नहीं है। ऐसे में रिवर्स पलायन के जरिये गांवों में पलायन रोकने की मुहिम बेनतीजा साबित हो रही है।
प्रदेश में पलायन आयाेग ने वर्ष 2018 से 2022 तक गांवों में सर्वे के जरिये विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपेंते हुए खुलासा किया कि पहाड़ी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देहरादून भी पलायन की मार झेल रहा है। वहीं, रिपोर्ट में पलायन की मुख्य वजह बुनियादी सुविधाओं का अभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा ,बेरोजगारी व रोजगार उपलब्ध नहीं होना गिनाया गया।
रिपोर्ट में बताया गया था कि दून में पिछले 10 सालों में 25,781 अस्थायी तौर और 2,802 व्यक्ति स्थायी रूप से अपना ठिकाना छोड़ कर चले गए हैं। विकासखंड कालसी की 107 पंचायतों में सबसे अधिक 11,399 व्यक्तियों और सबसे कम सहसपुर की चार ग्राम पंचायतों में 144, विकासनगर की 26 पंचायतों में 7,397 व्यक्तियों ने रोजागर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपने नजदीक के शहर और कस्बों में अस्थायी पलायन किया।
जबकि, सबसे ज्यादा चकराता विकासखंड के 16 गांवों के 611, डोईवाला की चार पंचायतों के 26 व रायपुर की आठ पंचायतों के 1,657 व्यक्तियों ने स्थायी पलायन कर राज्य व अन्य प्रदेशों में बस गए हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पलायन के सबसे अधिक मामलों को देखते हुए विकासखंड कालसी में रिवर्स पलायन शुरू किया गया है।
वहीं गांवों में कलस्टर बनाकर बुनियादी सुविधाओं के जरिये पलायन रोकने के दावे किए गए। लेकिन, हकीकत इससे जुदा है। विभाग को नहीं पता कि इन पलायन खत्म कर कितने व्यक्ति गांव वापस आकर रोजगार कर रहे हैं।
कितने व्यक्ति गांव-घर लौटे व रोजगार का नहीं आंकड़ा
कालसी के 35 गांवों में कलस्टर बनाकर रिवर्स पलायन शुरू किया गया है। वहीं, पलायन से प्रभावित गांवों में वित्तीय वर्ष 2022-23 व 2023-24 में पालीहाउस, आंगनबाड़ी केंद्र, गोपालन इकाई, मुर्गीपालन, स्कूलों में स्मार्ट क्लास, सिंचाई के लिए नहरों जीर्णीधार, सिंचाई टैंक, खेल मैदान व मछली पालन आदि विकास कार्यों को किया जा रहा है। लेकिन, विभाग के पास शहर और अन्य प्रदेशों में अपने गांव-घर को लौटने और रोजगार प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में रिवर्स पलायन के जरिये गांवों में पलायन को रोकने की कसरत बेनतीजा साबित होती दिख रही है।
कोट
विभाग की ओर से कलस्टर बनाकर गांवों में बुनियादी सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है। पलायन को खत्म कर कितने गांवों में कितनी संख्या में लोग अपने घर वापस आये इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं हैं।
-विक्रम सिंह, प्रयोजना निदेशक, ग्राम्य विकास अभिकरण, देहरादून
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