Dehradun Disaster: सैलाब दे गया जीवनभर का गहरा जख्म, परिवार में रह गए छोटे-छोटे बच्चे
देहरादून के पास टोंस नदी में आई बाढ़ ने मुरादाबाद के कई घरों को तबाह कर दिया। हादसे में 11 लोगों की जान चली गई जिससे कई परिवार उजड़ गए। घरों में चूल्हे नहीं जले और बच्चे पूरी रात रोते रहे। लापता लोगों की तलाश जारी है जिससे लोगों का दुख और बढ़ गया है।

विरेंद्र कुमार, जागरण देहरादून । टोंस नदी में आए सैलाब ने कई घरों को उजाड़ दिया है। वहीं, सैलाब के गहरे जख्म के बाद से घरों में चूल्हे तक नहीं जले। पूरी रात छोटे बच्चे अपने माता-पिता को याद कर रोते रहे। वहीं, रातभर हादसे की भयावहता को याद कर परिवार के लोग सिहरते रहे। सैलाब का जिक्र आते ही लोगों की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। उधर, लापता लोगों की तलाश में पारिवारिक सदस्यों का समय बीत रहा है।
प्रेमनगर स्थित टोंस नदी में आए सैलाब ने मुरादाबाद व संभल जिले के 11 लोगों की जान ले ली। कई लोगों के परिवार उजड़ गए। पोंटा-विकासनगर हाईवे किनारे बसे छह हजार की आबादी वाले गांव परवल में मातम पसरा है। सुमन ने बताया कि अधिकांश मुरादाबाद के मुड़िया जैन गांव के रहने वाले हैं। वहीं, हीरालाल संभल के रहने वाले हैं और करीब 15 वर्षों से यहीं पर रहते थे।
सैलाब में उनकी दोनों बेटियां बह गई थीं। एक बेटी रानी का शव मिल चुका है। दूसरी बेटी लापता है। सैलाब में बहने वाले होराम के चचरे भाई कैलाश सैनी ने बताया कि अधिकांश लोग दो-तीन वर्षों से ही परवल में आकर मजदूरी पर रेत निकालने का कार्य कर रहे थे। लेकिन, सैलाब ने एक झटके में सब कुछ तबाह कर दिया। होराम के परिवार में छोटे बच्चे रीतू व तरुण रह गए हैं।
मदन-सुंदरी के घर में भी बच्चे रह गए हैं। उन्होंने बताया कि मृतकों में अभी तक हरचरण, सोमती, मदन, रानी, नरेश, रीना व किरण के शव मिल चुके हैं। जबकि, होराम, राजकुमार, सुंदरी और नीता की तलाश की जा रही है। अभी तक लापता लोगों के न मिलने से पीड़ा और बढ़ रही है। मृतकों के शव गांव पहुंच गए हैं। होराम की शिनाख्त के लिए विकासनगर कोतवाली में फोन आया है। जिसके शिनाख्त के लिए पारिवारिक लोग गए हैं।
बच्चे की किलकारी का था इंतजार, अब पसरा मातम
ट्रैक्टर ड्राइवर फरमान को अपने घर में बच्चे की किलकारी का इंतजार था। लेकिन, उसे पता था कि बच्चे के जन्म लेने से पहले ही वह दुनिया से चला जाएगा। दरअसल, फरमान गांव परवल का रहने वाला था। पत्नी की डिलिवरी में कुछ ही दिन बचे हैं।
बच्चे का मुंह देखने से पहले ही फरमान सैलाब में समा गया। घर में खुशी का माहौल अचानक मातम के सन्नाटे में तब्दील हो गया। भाई जाबिद ने बताया कि वह चार भाई हैं। फरमान उनमें बड़ा था। जबकि, नसीफ और फरियाद फरमान से बड़े हैं। सबसे छोटा भाई सैफ अली है।
परिवार के लोग मेहनत मजदूरी कर गुजारा करते हैं। हादसे के वक्त फरमान ने फोन पर करीब 50 सेकेंड बात कर खतरे की जानकारी दी। सभी लोग नदी की ओर दौड़ पड़े। लेकिन, सैलाब ने उसे निगल लिया।
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