Dehradun Flood: नदियों का शहर देहरादून, अनियोजित विकास से खो रहा सुकून
देहरादून शिवालिक श्रेणी में बसा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नदियों के लिए प्रसिद्ध है। रिस्पना बिंदाल जैसी नदियाँ शहर की खूबसूरती बढ़ाती हैं और जल निकासी में मदद करती हैं। हालांकि इन नदियों के किनारे अतिक्रमण बढ़ रहा है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों को संकुचित करने से आपदाएँ आ सकती हैं।

जागरण, संवाददाता, देहरादून। शिवालिक श्रेणी की गोद में बसा दून घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बहती नदियों के लिए जानी जाती है। दून शहर चारों ओर से नदियों से घिरा हुआ है और शहर के बीचों-बीच से भी कई नदियां गुजरती हैं।
ये नदियां न केवल दून की खूबसूरती को बढ़ाती हैं बल्कि शहर का प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम भी हैं, जो बरसात के दौरान पानी के निकास में अहम भूमिका निभाती हैं।
नदियों का जाल
शहर में बहने वाली प्रमुख नदियों में रिस्पना, बिंदाल, सुसवा, टोंस, आसन, सोंग, नून, जाखन, मालदेवता, खलंगा और तमसा शामिल हैं। इन नदियों का जाल देहरादून को एक अनूठी भौगोलिक पहचान देता है।
पूर्व की ओर बहने वाली सोंग और सुसवा, पश्चिम में बहने वाली टोंस और आसन तथा बीच से गुजरती रिस्पना-बिंदाल जैसी नदियां दून घाटी के जल प्रवाह को संतुलित रखती हैं। लेकिन, चिंता की बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में इन नदियों के किनारों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण तेजी से बढ़े हैं।
कई जगह नदियों की धारा को मोड़कर मकान, दुकान, होटल और रिजार्ट खड़े कर दिए गए हैं। इससे न केवल नदियों का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा भी बढ़ गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों का गला घोंटने से उनकी चौड़ाई कम होती जा रही है, जिससे अतिवृष्टि या बादल फटने की स्थिति में पानी का बहाव रिहायशी इलाकों में घुस जाता है और भारी तबाही मचाता है।
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