Dehradun Disaster: मंझाड़ा-कार्लीगाड़ में शवों की तलाश जारी, डाग स्क्वायड भी जुटा
देहरादून के कार्लीगाड़ में बादल फटने से तीन लोग लापता हैं। रेस्क्यू टीम शवों की तलाश कर रही है पर अभी तक कोई सुराग नहीं मिला। मंझाड़ा-कार्लीगाड़ में तबाही का मंजर है खेत और घर बर्बाद हो गए हैं। प्रशासन राहत कार्य में जुटा है और आर्थिक सहायता पहुंचा रहा है। लापता लोगों के परिजन मलबे में अपनों की तलाश में डटे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कार्लीगाड़ क्षेत्र में बीते सोमवार रात को बादल फटने से आए मलबे में तीन जिंदगियां दफ्न हो गईं। मंगलवार को रेस्क्यू टीम घटना स्थल पहुंची और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। अब मलबे में दफ्न शवों की तलाश की जा रही है।
जेसीबी पहुंचने के बाद दो दिन से मलबे की खोदाई की जा रही है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब डाग स्क्वायड को भी शव खोजने में लगा दिया गया। अपनों को खोने वाले दिनभर मलबे में उनके शवों की आस में डटे हैं।
मंझाड़ा-कार्लीगाड़ क्षेत्र में भीषण के आपदा के बाद से तबाही का मंजर है। यहां चारों ओर मलबा पसरा है और घरों, खेत व दुकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। साथ ही स्थानीय युवक समेत तीन लोग आपदा के बाद से ही लापता हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों व्यक्ति मंजाझ़ा के पंचायत घर में सामान रख रहे थे, तभी पहाड़ी से आए मलबे के ढेर में समा गए।
तब से ही उनकी तलाश की जा रही है। प्रशासन की जेसीबी दो दिन से मलबे में खोदाई कर रही है, लेकिन शव नहीं मिले हैं। इसके अलावा ग्रामीण भी मलबे को हटाने का प्रयास कर रहे हैं। गुरुवार को उप जिलाधिकारी हरगिरी की देखरेख में मलबे में दबे शवों को डाग स्क्वायड की मदद से खोजने का प्रयास किया गया। जिलाधिकारी के निर्देश में युद्धस्तर पर राहत-बचाव कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही कृषि व उद्यान विभाग की टीमों ने भी क्षति का आकलन किया। प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता भी पहुंचाई जा रही है।
खेती चौपट, घर भी दरके
मंझाड़ा और कार्लीगाड़ गांव में करीब 80 परिवार निवास करते हैं। फिलहाल मंझाड़ा गांव को पूरी तरह खाली कराया गया है और कार्लीगाड़ के भी कई परिवारों को सुरक्षित स्थलों पर होटल आदि में ठहराया गया है। दिन में रेस्क्यू कार्य के दौरान प्रभावित ग्रामीण पर यहां पहुंच जाते हैं। वह अपने बचे हुए सामान और घर को देखते आते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि खेती पूरी तरह चौपट हो गई है। धान की फसल तैयार थी, जो कि अब चार से छह फीट मलबे में दबी है। कुछ ग्रामीणों के तो खेत की बह गए। इसके अलावा बड़ी संख्या में मवेशी भी मलबे में दब गए। कुछ मवेशी अभी वहीं घरों में बांधे गए हैं, जिन्हें चारा-पानी पहुंचाया जा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।